अशोका द ग्रेट

सम्राट अशोक

संभवतः यह सम्राट अशोक की प्रतिमा है । नीतीश कुमार सरकार द्वारा नव निर्मित ज्ञान भवन में यह प्रतिमा स्थापित है – अशोका द ग्रेट । टीनएज में सम्राट अशोक इस कदर मानस पटल पर छाए हुए थे की किताब और कॉपी में खुद को ‘रंजन द ग्रेट’ भी लिखा करता था :))
अमर चित्र कथा से ज्यादा कभी पढ़ा नही लेकिन यह बात समझ मे आ गयी कि महान ही याद किये जाते हैं । घोड़ों पर सवार ही योद्धा युद्ध कर सकता है और वही घुड़सवार एक दिन शांति का दूत भी बनता है । आखिरकार अशोक भी तो एक मनुष्य रहा होगा , आप हम जैसों की मानव प्रकृति उसके अंदर भी होगी । युद्ध से थका इंसान , शांति भी उसी तीव्रता से फैलाया जिस तीव्रता से वो युद्ध किया होगा ।
” युद्ध और प्रेम दोनो इंसान की प्रकृति है । फर्क बस तीव्रता / ऊर्जा का है और मूलतः यही ऊर्जा आकर्षण का केंद्र बनती है और इसी तीव्र ऊर्जा के सहारे इंसान इतिहास में अमर होता है या फिर उसी इतिहास के गर्त में डूब जाता है । “
लेकिन सवाल यह है कि यह ऊर्जा ईश्वरीय देन है या फिर इंसान खुद से पैदा करता है ? खैर जो भी हो …अपने टीनएज के आदर्श ‘अशोका द ग्रेट’ की प्रतिमा को देख एक सुखद अनुभव हुआ – ऐसे जैसे सम्राट अशोक न्याय और दंड के रूप में बैठे हुए हैं – सम्राट वही न कहलायेगा जो न्याय कर सके …
न्याय करना आसान है , क्या ? :)))
~ रंजन द ग्रेट 😉 पाटलिपुत्र , बिहार , भारत ।

11.02.18