दो दुनिया …..

दो दुनिया बिलकुल दो दुनिया होती है ! एक अन्दर की , एक बाहर की ! एक स्त्री की , एक पुरुष की ! एक निश्छल की , एक छल की ! एक प्रेम की , एक नफरत की !  एक साधू की , एक चोर की ! एक भगवान् की , एक हैवान की ! … Continue reading दो दुनिया …..

ताजिया …

आज तजिया है ! शहर शहर , गाँव गाँव तजिया निकला होगा ! मेरे गाँव में भी ! बचपन यादों की गली से झाँक रहा है ! कई दिन पहले से तजिया को सजाने का काम शुरू हो जाता था ! लम्बे और खूब ऊँचे तजिया !"हसन - हुसैन" करते टोली आती थी ! दरवाजे … Continue reading ताजिया …

घड़ी ….

अविनाश / ब्लैक डायल बहुत दिनों तक हाथ में घड़ी पहन सोने की आदत बनी रही - इस बीच कई बार घड़ी स्लो हो जाती और देर से नींद खुलती - बहुत अफ़सोस और कुछ खोया खोया सा महसूस होता था - अब इस ग्लानी से ऊपर उठ चूका हूँ - लगता है - पाया … Continue reading घड़ी ….

हाफ पैंट

हाफ पैंट भी गजब का ड्रेस है - हम जैसे छोटे शहर से आये लोग इसको पहनते ही 'फुल्ल कॉन्फिडेंस' में आ जाते हैं ! कार भी स्टाईल से चलाने लगते हैं - क्या कहें ..हम ! आज कल ठेहुना तक वाला फैशन में है - यूनी सेक्स - दस पॉकेट तो होगा ही ! … Continue reading हाफ पैंट

सोशल मीडिया के लोग ….

लाईकबाज , कमेंटबाज़ , शेयरबाज़ और पोस्टबाज़ :इस फेसबुक पर तरह तरह का आइटम लोग नज़र आता है , कुछ लोग लाईकबाज होता है । आप कुछ भी पोस्ट कीजिये , भाई जी का लाईक जरूर से रहेगा । आप सड़ा अंडा , टमाटर , कद्दू कुछ भी लिख दीजिये , भाईजी का एक लाईक … Continue reading सोशल मीडिया के लोग ….

दालान लिट्रेचर फेस्टिवल की कहानी

अंजू की गुड़िया : एक कहानीगर्मियाँ आते ही, मैं और मेरे तमाम, हमउम्र भाई-बहन, टाइमपास के नये-नये तरीके ढूँढते ! उन्ही में से एक खेल होता गुड्डे-गुड़िया का ! सिर्फ़ एक घर नही, पूरा मोहल्ला ही बरामदे में बसा लेते हम ! जो बरामदे से निकलता, हाँक देता- “हटाओ ये टीम-टाम!” ! गर्मी की उन … Continue reading दालान लिट्रेचर फेस्टिवल की कहानी

ख्याल …

एक भोर से देर रात तक में - न जाने कितने ख़याल आते हैं - अलग अलग रंग की भावनाओं में रंगे हुए - तेज़ प्रवाह वाली नदी की तरह , छप्पर उड़ा देने वाली आँधी की तरह । ये ख़याल आते हैं और चले जाते हैं । मन के पटल पर कुछ निशान छोड़ … Continue reading ख्याल …

गुलज़ार …

Gulzar - Happy BirthDay Sir 🙂 'खट्टी मीठी आँखों की रसीली बोलियाँबोलिए सुरीली बोलियाँ ' गृहप्रवेश का यह गीत एक तड़के सुबह से आँखों में गूंज रहा है ! जब आप आगे लिखते हैं - 'रात में घोले चाँद की मिश्री - दिन के गम नमकीन लगते है - नमकीन आँखों की नशीली बोलियाँ' !बस … Continue reading गुलज़ार …

अटल जी की स्मृति में …

अटल जी आंखें बंद हो गयी होंगी । धड़कने रुक गयी होंगी । पर काल के कपाल पर लिखी हुई स्मृति भला कब बंद होती हैं या रुकती हैं ।सन 1957 में लोकसभा और उनके भाषण से मंत्रमुग्ध नेहरू जी और वहीं से एक भविष्यवाणी - देश का होने वाला प्रधानमंत्री । कितना ओजस्वी वो … Continue reading अटल जी की स्मृति में …

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

पिछले कुछ साल में - इंटरनेट के माध्यम से हज़ारों लोगों के बात चीत और उनके मनस्थिती को समझते हुए यही पाया हूँ की - देश या इस देश के इंसान अभी भी व्यक्तिवाद के पीछे पागल है ! मेरी यहाँ पर दूसरी राय है !मैंने हमेशा संस्था को महत्वपूर्ण समझा है ! उस संस्था … Continue reading स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

छाता …

आइये मेरे पटना में - बारिशों का मौसम है ..:)) जबरदस्त बारिश हो रही है - मेरे पटना में …छाता ….पहले लकड़ी वाला छाता होता था …जैसा छाता वैसा उस इंसान का हैसियत …कलकत्ता से छाता आता था …एक फेमस ब्रांड होता था …नाम भूल रहा हूँ …स्प्रिंग एकदम हार्ड …सब अजिन कजिन उस छाता … Continue reading छाता …

सुना है ….

सुना है …वो मेरे दालान पर आती है …चुपके चुपके …देर चाँदनी रात …लम्बे घूँघट में झुकी नज़रों के साथ …सावन की बूँदों सी पायल की रुनझुन के साथ …दबे पाँव आधी रात …:))कुछ पढ़ कर …कुछ सुन कर …खिड़कियों को खटखटा कर …वो वापस चली जाती है …चुपके चुपके…देर चाँदनी रात …लम्बे घूँघट में … Continue reading सुना है ….

कहानी साइकिल की …

कहानी साइकिल की : ब्रांड रेलेे 😊कोई राजा हो या रंक - हमारे समाज में उसकी पहली सवारी साइकिल ही होती है और साइकिल के प्रति उसका प्रेम आजीवन रहता है - भले ही वो चढ़े या नहीं चढ़े ।अगर आप अपने बचपन को याद करें तो बड़े बुजुर्ग ब्रांड रेलेे की बात करते थे … Continue reading कहानी साइकिल की …

प्रेम का आधार …

शायद मैंने पहले भी लिखा था और फिर से लिख रहा हूँ ! प्रेम का आधार क्या है ? मै 'आकर्षण' की बात नहीं कर रहा ! मै विशुद्ध प्रेम की बात कर रहा हूँ ! मेरी नज़र में प्रेम का दो आधार है - 'खून और अपनापन' ! बाकी सभी आधार पल भर के … Continue reading प्रेम का आधार …

कहानी साबुन की …

खस साबुन इस छोटे से जीवन में तरह तरह का साबुन देखा और लगाया लेकिन आज भी गर्मी के दिनों में खस और जाड़ा में पियर्स का कोई जोड़ नहीं है ।बाबा को लक्स लगाते देखते थे । दे लक्स …दे लक्स । ढेला जैसा लेकिन सुगंधित । किसी पर चला दीजिए तो कपार फुट … Continue reading कहानी साबुन की …

कुछ यूं ही …

मेरे गाँव के पास से एक छोटी रेलवे लाईन गुजरती है - हर दो चार घंटे में एक गाड़ी इधर या उधर से - पहले भाप इंजन - छुक छुक …लेकिन अब डीजल इंजन है ..भोम्पू देता है ..बचपन में छुक छुक गाड़ी को देखने के बहाने रेलवे ट्रैक के पास जाते थे ..वहाँ ..पटरी … Continue reading कुछ यूं ही …