लाईकबाज , कमेंटबाज़ , शेयरबाज़ और पोस्टबाज़ :
इस फेसबुक पर तरह तरह का आइटम लोग नज़र आता है , कुछ लोग लाईकबाज होता है । आप कुछ भी पोस्ट कीजिये , भाई जी का लाईक जरूर से रहेगा । आप सड़ा अंडा , टमाटर , कद्दू कुछ भी लिख दीजिये , भाईजी का एक लाईक टप से आ गिरेगा । ऐसे आइटम लोगों को इससे कोई मतलब नही की आप क्या लिखे हैं । उन्हें यह लगता है कि फेसबुक पर लाईक करना उनका धर्म है । शांतप्रिय लोग है ये । आलतू फालतू कमेंट कर कभी आपका मन नही दुखाते । बस लाईक किये और चल दिये ।
दूसरे लोग होते हैं ‘कमेंटबाज़’ ! आप कुछ भी लिखिए , इनका एक कमेंट अवश्य ही रहेगा । हर घंटे 58 मिनट ये ऑनलाइन होते हैं । जब तक ये अपने दोस्तों के वाल पर कमेंट नही करेंगे , रात में इनको नींद नही आती है । कभी कभी आधी रात नींद तोड़ कर भी ये कमेंट करते है । कई दफा दोस्तों का पोस्ट सूंघ कर भी ये कमेंट कर देते है । इनको पोस्ट के विषय वस्तु से मतलब नही होता । कभी कभी पता चलता है कि कहीं किसी अपने दोस्त के वाल पर अपने कमेंट के अस्तित्व की रक्षा में …दे रिप्लाई …दे रिप्लाई । ऐसे लोग अपने कमेंट की रक्षा को लेकर काफी सजग रहते हैं ।
शेयरबाज़ : ऐसे लोग के अंदर अहंकार मात्र भर भी नही होता । ये कुछ भी शेयर कर सकते हैं । सन्नी लियोन की तस्वीर से लेकर बाबा भोलेनाथ की तस्वीर तक । इन्हें इससे मतलब नही होता कि इनके शेयर करने से किसी को ज्ञान की प्राप्ति हुई या नही हुई । बस शेयर करना इनका नैतिक कर्तव्य होता है । हाथ मे मोबाईल आया नही की …दे शेयर …दे शेयर । ऐसे ही जीव जंतु व्हाट्स एप्प पर सुबह सुबह गुलाब के फूल के बीच अपना नाम और गुड मॉर्निंग फारवर्ड करते है । इनके 300 – 400 के बीच मित्र होते है और इनके द्वारा किये गए शेयर को एक भी लाईक नही मिलता । औसतन एक दिन में करीब 10 से 20 शेयर मिलता है । सोशल मीडिया पर एक बहस भी है कि जो लोग प्रतिदिन 10 से कम शेयर करते हैं , उन्हें शेयरबाज़ की श्रेणी में रखा जाय या नही ।
दे शेयर …दे शेयर …दे शेयर ।
पोस्टबाज़ : अधिकतर हिंदी पत्रकार टाइप । सुबह नींद खुलते ही इनको यह भ्रम हो जाता है कि देश की जनता एक हाथ मे लोटा और दूसरे हाथ मे मोबाईल लेकर इनका ‘फालतू’ पोस्ट पढ़ने को तैयार है । फेसबुक की प्राचीर से ये अपना भाषण शुरू कर देते हैं । अखबार पढ़ कुछ आलोचना , कुछ तीखा मीठा । इनका कोई अपना विचार नही होता । बेविचार होते हैं । जो करेंट टॉपिक मिला उसी पर कुछ घिस दिए । इनके पांच हज़ार दोस्त और करीब हज़ार दस हज़ार फॉलोवर होते हैं । अगर दिन में दो तीन पोस्ट नही करें तो रात में कै दस्त की दिक्कत होने लगती है । इनको रात में भुतहा सपना आने लगता है । मित्र उठो जागो , फेसबुक की प्राचीर से तुमको देश को संबोधित करना है । जनता तकिया पर माथा रख , हाथ मे मोबाईल लेकर तुम्हारे पोस्ट का इंतज़ार कर रही है । जागो वत्स , जागो । ले …अब ये आधी रात …एक पोस्ट टपका देते हैं । कुछ फालतू लोग आधी रात भी लाईक / कमेंट कर देते हैं । इन्हें मैं ‘बेचैन आत्मा’ ही कहना पसंद करूंगा । इनको घर परिवार में कोई टोकता भी नही । परिवार वाले भी सोचते होंगे – जे बलाय , फेसबुक पर बिजी है – इसको डिस्टर्ब मत करो ।
और बाकी आप जैसे निर्लज्ज भी होते है जो पोस्ट पढ़ मजा लेते है , मुस्कुराते हैं लेकिन एक लाईक / कमेंट / शेयर नही करते हैं । इन्हें लगता है कि लाईक / कमेंट / शेयर से पोस्टवाला कहीं मशहूर न हो जाये ।
जय हो …;)
~ रंजन ऋतुराज ‘पोस्टबाज़’ । 25.08.18 / दालान ब्लॉग