वर्षों पहले की बात है । विश्वविद्यालय के तरफ़ से प्रायोगिक परीक्षाएँ में परीक्षक बन मुझे आगरा जाना हुआ । आस पास के दो तीन कॉलेज में प्रायोगिक परीक्षा समाप्त करवा मैंने एक टैक्सी ले ली । आगरा में ही 'इलेवन मिनट्स' किताब ख़रीद ली । उम्र कम थी - किताब बस दो घंटे में … Continue reading इलेवन मिनट्स …
Month: November 2020
गुल्लक …
गुल्लक बेहद पसंद । कहीं से भी आओ और पॉकेट में खनखनाते चंद सिक्कों को गुल्लक में डाल निश्चिंत । फिर उस गुल्लक के भरने का इंतजार ताकि उसे फोड़ा जा सके । कभी किसी को कड़कड़ाते नोट गुल्लक में डालते नहीं देखा । हमेशा सिक्के ही ।पर कभी कभी ऐसा लगता है क्या इतने … Continue reading गुल्लक …
ओनली बुलेट …
पटना में घर घर बुलेट , हर हर बुलेट हो गया है । जिसको देखिये वही बुलेट हांक रहा है । हाफ लिवर का आदमी भी बुलेट लेकर घूम रहा है । अरे भाई , तुम्हारा कोई इज्जत नही है लेकिन बुलेट का इज्जत तो है …न । अकेले बुलेट स्टैंड पर नही लगेगा लेकिन … Continue reading ओनली बुलेट …
शब्द छवि बनाते हैं …
मै कोई साहित्यकार / लेखक / पत्रकार / कवी / शायर नहीं हूँ - बस जो जब दिल में आया लिख दिया - करीब ठीक दस साल पहले - मैंने यूँ ही रोमन लिपि में हिंदी भाषा में - रामेश्वर सिंह कश्यप उर्फ़ लोहा सिंह से प्रेरित होते हुए - खुद पर ही एक बेहतरीन … Continue reading शब्द छवि बनाते हैं …
छठ क्या है ?
छठ क्या है ? छठ यही है 🙏~ किसी भी बिहारी के लिए यह समझा पाना की छठ क्या है । दुनिया का सबसे मुश्किल काम । जाति को कौन पूछे – धर्म की दीवारें गिर जाती है ।~ भावनाओं का वह सागर किस तूफान पर होता होगा जब गांव के नथुनी मियां कहते हैं … Continue reading छठ क्या है ?
छठ : जब ले माई बिया …
आज नहाय - खाय है ! हल्का ठण्ड ! कुहासा भी है ! कम्बल से बाहर निकला तो देखा - दरवाजे पर हुजूम ! बाबा का खादी वाला शाल ओढ़ - चाचा का हवाई चप्पल ले के …बाहर ! कुर्सियां सजी है - लोग बैठे हैं !अहा …मिंटू चाचा …एक कुर्सी पर चुप चाप ! … Continue reading छठ : जब ले माई बिया …
छठ की यादें : रंजन ऋतुराज
कल से ही अखबार में 'छठ पूजा' को लेकर हो रही तैयारी के बारे में समाचार आने लगे ! आज तो दिल्ली वाला 'हिंदुस्तान दैनिक' फूल एक पेज लिखा है ! कल दोपहर बाद देखा - फेसबुक पर् शैलेन्द्र सर ने एक गीत अपने वाल पर् लगाया था - शारदा सिन्हा जी का ! गीत … Continue reading छठ की यादें : रंजन ऋतुराज
रवीश कुमार की यादों में छठ
रविश कुमार शौक से पत्रकार है - मेरे पड़ोसी से मेरा ही परिचय देने लगे - "हम यादों में जीते हैं" - आज के 'प्रभात खबर' के पहले पन्ने पर छपी - उनकी बेहतरीन लेख - छठ पूजा पर - "सामूहिकता सिखाते छठ घाट"‘नरियलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुग्गा मेड़राए, ऊ जे खबरी … Continue reading रवीश कुमार की यादों में छठ
छठ पर गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी का एक लेख …
अक्सर पिछले छह दशकों की वीथियों में घूम ही आती हूं। उन स्मृतियों में सब हैं, दादा-दादी, मां-पिताजी, भाई-बहन और ढेर सारे चाचा-चाचियां और सेवक-सेविकाएं। उन्हीं रिश्तों के बीच होली-दिवाली, दुर्गा पूजा, चौथचंदा, सरस्वती पूजा और व्रत-त्योहार। सबसे ऊपर रहती है छठ पर्व की स्मृति। कितना सुहाना, कितनी आस्था। दादी द्वारा कितने सारे निषेध। चार … Continue reading छठ पर गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी का एक लेख …
मेरा गांव – मेरा देस – मेरी दिवाली :))
एक बार फिर दिवाली आ गया ! हर साल आता है ! यादों का मौसम एक बार फिर आया ! अभी अभी पटना से लौटा हूँ - कई लोग फिर से बोलने पूछने लगे - 'दिवाली में भी आना है ?' अरे ..मेरे भाई ..हम पेटभरुआ मजदूर हैं ..कहाँ इतना पैसा बचाता है कि ..हर … Continue reading मेरा गांव – मेरा देस – मेरी दिवाली :))
पोंच …
जाड़ा आ ही गया ! मेरे बिहार में जाड़ा के आते आते ही आपको गली - गली में हर चार कदम पर 'अंडा' का दूकान मिल जाएगा । - चार वर्ष का बच्चा से लेकर सत्तर साल के बुढा तक दुकानदार मिल जाएगा - इसी उम्र का खाने वाला भी ! एक ठेला पर सजा … Continue reading पोंच …
गोभी … :))
फूलगोभी की इस तस्वीर को देख आप मक्खन भूल जाएंगे । सीजन आ गया है । सुबह सुबह नहा धों कर , हल्का गीला गरम भात पर दो चम्मच घी और ' गरम गरम गोभी आलू ' का सब्जी । उसके बाद रोजी रोटी कमाने निकल जाइए । गोभी जबरदस्त कमजोरी है । सालों भर … Continue reading गोभी … :))
सोच …फुर्सत में अवश्य पढ़ें
लिखने से पहले ..मै यह मान के चल रहा हूँ …मेरी तरह आप भी किसी स्कूल - कॉलेज में पढ़े होंगे - जैसी आपकी चाह और मेरिट या परिस्थिती ! अब जरा अपने उस 'क्लास रूम' को याद कीजिए - चालीस से लेकर सौ तक का झुण्ड - कुछ सीनियर / जूनियर को भी याद … Continue reading सोच …फुर्सत में अवश्य पढ़ें
मिर्च ही मिर्च …
तीखी मिर्ज ... मिर्च की इतनी वैराईटी देख मन खुश हो गया । मां की याद आई । उनके खाने में आग में सेका हुआ मिर्च अवश्य होता था । फिर अपना बचपन याद आया - रगड़ा चटनी । लहसुन और हरा मिर्च का चटनी । आह । दिन में चावल दाल के साथ रगड़ा … Continue reading मिर्च ही मिर्च …