ताजिया / तजिया

आज तजिया / ताजिया है ! शहर शहर , गाँव गाँव तजिया निकला होगा ! मेरे गाँव में भी ! बचपन यादों की गली से झाँक रहा है ! कई दिन पहले से तजिया को सजाने का काम शुरू हो जाता था ! लम्बे और खूब ऊँचे तजिया !"हसन - हुसैन" करते टोली आती थी … Continue reading ताजिया / तजिया

छाता …

छाता छाता 😊~ अगर बचपन को याद करूं तो छाता जरूरत के साथ साथ सभ्यता का भी प्रतीक होता है । पहले बेंत वाले छाते आते थे 😊 गांव के बाजार पर एक छाता मरम्मत वाले बैठते थे । कुछ ग्रामीण छाता मरम्मत वाले के सड़क किनारे चुकुमुकू बैठ अपनी छाता मरम्मत करा रहे 😊: … Continue reading छाता …

पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी PankajTripathi / 2020 आज दोपहर फोन से एक मैसेज लिख रहा था तो बेटी ने पूछा - कहां व्यस्त हैं ? तो मैंने कहा - पंकज को मैसेज कर रहा हूं । बेटी वापस चली गई और लौट कर पूछी - कौन पंकज ? मैंने कहा - पंकज त्रिपाठी गोपालगंज वाले । बेटी … Continue reading पंकज त्रिपाठी

अलाऊ और हाथी :))

महावत "सलाम… बाबू"~ इसी संबोधन के साथ अक्सर शाम को हमारे ग्रामीण अलाउद्दीन का फोन आता है 😊 हम बचपन में अलाउद्दीन को अलाऊ कहते थे । हमारे पंचायत के करीब 22 साल तक मुखिया / ग्राम प्रधान रहे अल्शेर मियां के 4/5 पुत्रों में से एक : अलाऊ 😊: दरबार में करीब 200 साल … Continue reading अलाऊ और हाथी :))

मेरा गांव – मेरा देस – मेरा मैट्रिक परीक्षा

मार्च के महिना में 'मैट्रीक' का परीक्षा होता है - शायद इस पोस्ट को आपमे से बहुत सारे पढ़े होंगे - फिर से पढ़ लीजिये - जो नहीं पढ़ें हैं - आराम से पढ़िए - खालिस बिहारी है .... :)) बिहार में छठ पूजा के बाद - सबसे महत्वपूर्ण पर्व त्यौहार होता है - घर … Continue reading मेरा गांव – मेरा देस – मेरा मैट्रिक परीक्षा

मेरा देस – मेरा गांव – होली पार्ट २

सुबह सुबह किसी ने पूछ दिया - इंदिरापुरम में आप लोग होली कैसे मनाते हैं ? अब हम क्या बोलें - कुछ नहीं - सुबह से पत्नी - दही बड़ा , मलपुआ , मीट और पुलाव बनाती हैं ! दिन भर खाते हैं - ग्यारह बजे अपने फ़्लैट से नीचे उतर कुछ लोगों को रंग … Continue reading मेरा देस – मेरा गांव – होली पार्ट २

मेरा गांव – मेरा देस – मेरा होली

छठ / होली में जो अपने गाँव - घर नहीं गया - वो अब 'पूर्वी / बिहारी' नहीं रहा ! मुजफ्फरपुर / पटना में रहते थे तो हम लोग भी अपने गाँव जाते थे - बस से , फिर जीप से , फिर कार से ! जैसे जैसे सुख सुविधा बढ़ने लगा - गाँव जाना … Continue reading मेरा गांव – मेरा देस – मेरा होली