सरौता …कहां भूल आए … :))

" सरौता कहां भूल आए …प्यारे नंदोइया "~ पद्म विभूषण गायिका स्व गिरिजा देवी जब इस गीत को बेहद सलीके अंदाज़ से गाती थी ,समा बन्ध जाता था :))हम शायद उस पीढ़ी से आते हैं , जहां बचपन कि स्मृतियों में सरौता बसा हुआ है । पुरुष के महिन चाल चलन का यह भी एक … Continue reading सरौता …कहां भूल आए … :))

गुल्लक …

गुल्लक बेहद पसंद । कहीं से भी आओ और पॉकेट में खनखनाते चंद सिक्कों को गुल्लक में डाल निश्चिंत । फिर उस गुल्लक के भरने का इंतजार ताकि उसे फोड़ा जा सके । कभी किसी को कड़कड़ाते नोट गुल्लक में डालते नहीं देखा । हमेशा सिक्के ही ।पर कभी कभी ऐसा लगता है क्या इतने … Continue reading गुल्लक …

गोभी … :))

फूलगोभी की इस तस्वीर को देख आप मक्खन भूल जाएंगे । सीजन आ गया है । सुबह सुबह नहा धों कर , हल्का गीला गरम भात पर दो चम्मच घी और ' गरम गरम गोभी आलू ' का सब्जी । उसके बाद रोजी रोटी कमाने निकल जाइए । गोभी जबरदस्त कमजोरी है । सालों भर … Continue reading गोभी … :))

मिर्च ही मिर्च …

तीखी मिर्ज ... मिर्च की इतनी वैराईटी देख मन खुश हो गया । मां की याद आई । उनके खाने में आग में सेका हुआ मिर्च अवश्य होता था । फिर अपना बचपन याद आया - रगड़ा चटनी । लहसुन और हरा मिर्च का चटनी । आह । दिन में चावल दाल के साथ रगड़ा … Continue reading मिर्च ही मिर्च …