दालान लिट्रेचर फेस्टिवल की कहानी

अंजू की गुड़िया : एक कहानीगर्मियाँ आते ही, मैं और मेरे तमाम, हमउम्र भाई-बहन, टाइमपास के नये-नये तरीके ढूँढते ! उन्ही में से एक खेल होता गुड्डे-गुड़िया का ! सिर्फ़ एक घर नही, पूरा मोहल्ला ही बरामदे में बसा लेते हम ! जो बरामदे से निकलता, हाँक देता- “हटाओ ये टीम-टाम!” ! गर्मी की उन … Continue reading दालान लिट्रेचर फेस्टिवल की कहानी