गुलाब बस गुलाब होते हैं …:))

गुलाब यह गुलाब है । ऋतुराज वसंत के एक सुबह खिला हुआ गुलाब । गुलाब के साथ कोई विशेषण नहीं लगाते , गुलाब की तौहिनि होती है , बस इन्हें गुलाब कहते हैं । बड़ी मुश्किल से गुलाबी गुलाब दिखते है । इन्हें तोड़ना नहीं , मिट्टी से ख़ुशबू निकाल तुमतक पहुँचाते रहेंगे । गुलाब मख़मली … Continue reading गुलाब बस गुलाब होते हैं …:))

प्रकृति , धरा और ऋतुराज

धरा - सखी , ये किसकी आहट है ?प्रकृति - ये वसंत की आहट लगती है ..धरा - कौन वसंत ? हेमंत का भाई ऋतुराज वसंत ?प्रकृती - हाँ , वही तुम्हारा ऋतुराज वसंत …:))धरा - और ये शिशिर ?प्रकृति - वो अब जाने वाला है …धरा - सुनो , मैं कैसी दिख रही हूँ … Continue reading प्रकृति , धरा और ऋतुराज