आज स्व श्रीमती इंदिरा गांधी की शहादत दिवस है ! आज से ठीक २९ साल पहले श्रीमती गांधी की हत्या कर दी गयी थी ! तब हम हाई स्कूल में होते थे – घर में कोंग्रेसी वातावरण होता था ! घर के “दालान” में श्रीमती गांधी के अलावा महात्मा गांधी / नेहरू / राजेन बाबू इत्यादी की तस्वीरें होती थी – फ्रेम की हुई ! चाईल्ड साइकोलॉजी – यही आदर्श बन गए – तब जब उनमे से एक उस वक़्त देश का प्रधानमंत्री हो ! मै उनका बहुत ही बड़ा फैन हुआ करता था – उसकी एक वजह थी – एक बचपन से अपने दादा जी की साइकिल हो या लाल बत्ती कार – जब तक स्कूल में रहा – खूब घुमा – जब बाबा के साथ राजनीतिक लोगों के यहाँ जाता – लोग नेहरू – इंदिरा का उदहारण देते और मै खुद में श्रीमति गांधी की छवी देखता – “पिता का पत्र पुत्री के नाम ” एवं “वानर सेना” की कहानियां बहुत लुभाती थी – जो हम स्कूल में पढ़ते थे !
सन चौरासी के फरवरी महीने में कांग्रेस के सीनियर लोगों की एक मीटिंग होने वाली थी – दिल्ली में ! अपने बाबा के साथ मै भी हो चला ! तब हम सभी २६ , महादेव रोड ठहरे थे – वह जगह थी हमारे इलाके के लोकसभा सांसद शहीद नगीना राय का डेरा – अगले दिन मीटिंग थी – सुबह से हम भी ज़िद पद अड़ गए – कई लोग समझाए – तुम उब जाओगे फलाना ढेकना – अब हम कहाँ मानने वाले – दिल्ली आये ही थे – प्रधानमंत्री से मिलने – बिना मिले कैसे चले जाएँ 🙁 खैर सभी लोग मान गए – जबतक लोग तैयार होते – हम भाग के प्रगति मैदान से एक सौ रुपैया में कैमरा खरीद लाये – ब्लैक & व्हाईट इंदु फिल्म्स के साथ ! तब बड़े बड़े लोकसभा सांसद इत्यादी भी अपनी कार नहीं रखते थे – सभी लोग ऑटो से मीटिंग के तरफ निकले ..:))
वहाँ पहुँचने पर अद्भुत नज़ारा था – बाबा सभी बड़े कोंग्रेसी से परिचय करा रहे थे – सबको पैर छू कर प्रणाम कीजिये – आशीर्वाद लीजिये ! पोर्टिको में खड़ा थे – तब तक तीन ऐम्बैसडर कार तेज़ी से आयी – सभी लोग सतर्क हो गए – अंतिम कार से अपने सर साड़ी का पल्लू को सम्भालते श्रीमती इंदिरा गांधी – मैंने अपना पूरा रील वहीँ खाली कर दिया और वो जैसे ही पास आयीं – पैर छू एक आशीर्वाद लिया …:)) एक हाईस्कूल के बच्चे के साफ़ दिमाग में जो खुछ घुस सकता था – घुस गया – आजीवन के लिए :))
उसी साल उनसे दूसरी मुलाकात हुई पटना में – उनकी मृत्यु से ठीक पंद्रह दिन पहले – पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में – तब जब बिहार के प्रथम वित्त मंत्री श्री अनुग्रह नारायण सिंह के छोटे पुत्र श्री सत्येन्द्र बाबू वापस कांग्रेस ज्वाइन कर रहे थे – दिन था – सोलह ओक्टूबर – हम कहाँ मानने वाले थे – स्टेज से बिलकुल सटे हुए कुछ कुर्सीयां रखी हुई थी – बाबा अन्य नेताओं के साथ पीछे बैठे थे – और हम सांसदों के बैठने वाली कुर्सी पर – किसकी मजाल जो मुझे उठा दे ..:)) अबोध मन …लगा …जब श्रीमती गांधी के नज़दीक रहूंगा – वो शायद पहचान लेंगी – यह वही लड़का है …जो फरवरी में मुझसे मिला था …:)) सचमें ..एक मन क्या क्या सोच लेता है …:))
इस मुलाक़ात के पंद्रह दिन बाद उनकी हत्या हो गयी …उसके बाद राजनीति में बहुत बदलाव आया …इसपर क्या टिपण्णी करूँ …पर मेरा यह पुरजोर मानना है …चाईल्ड साइकोलॉजी पुरे जीवन पर शासन करती है …
श्रीमति गांधी को श्रद्धांजली !!
रंजन , दालान
31.10.2013