~ आज सप्तमी है । बिहार में देवी का पट खुल गया होगा । सर्वप्रथम देवी पूजन हमारे घर की बहन , बेटी और बहु करेंगी । देवी का आगमन और देवियों के द्वारा स्वागत ❤️
सब कुछ तो हमारी सभ्यता से ही है । जब कोई दुल्हन प्रथम बार ससुराल आती है तो उसका स्वागत भी घर की महिलाएं ही करती है :)) कितनी अचरज की बात है कि हिन्दू धर्म के जितने भी पर्व और त्योहार है , सभी किसानों के समय को या उनके सुविधा अनुसार ही बनाए गए हैं । किसान मूल हैं ।🙏
~ मैंने देखा है लोग अपनी शक्ति से ज्यादा दूसरों की शक्ति को तौलते हैं । यह उतना उचित नहीं है । खुद की शक्ति को पहचानिए । दो वक़्त की रोटी और एक छत के बाद , इस संसार में किसी से डरने की जरूरत नहीं है । अपना पॉजिटिव प्वाइंट समझिए । अपने खुद के प्रकृति को समझिए । आप अव्वल दर्जे के फ्रॉड हैं तो यह भी एक पॉजिटिव प्वाइंट है लेकिन उस शक्ति का आदर कीजिए । हम जैसे साधुओं को जान बक्श दीजिए । रोड किनारे , स्टेशन पर , मेला में फ्राउडगिरि कीजिए । हम जैसे लोग आपको प्रणाम कर के आगे बढ़ जायेंगे। यह मेरा स्वभाव है , आप चोर हैं , चोट्टा है , फ्रॉड है – हम अपनी मूल प्रकृति के अनुसार आपको नहीं टोकेंगे जब तक कि आपकी चोर कटाई से हमको कोई फर्क नहीं पड़ता । समाज है – हर तरह के लोग है , आप भी रहिए । खुशी खुशी अपना चोर और चोट्टा के ग्रुप में ।
हमको अपना पॉजिटिव प्वाइंट पता है । निगेटिव भी पता है । किसी का आठ आना भी नहीं मारेंगे । पैसा के मामले में पक्का ईमानदार । अब खूबसूरती नजर के सामने से गुजरेगी तो कनखिया के एक नज़र देखेंगे ही देखेंगे । अब वो एक घड़ी , पेन या कोई हम उम्र बेमिसाल हो । मूल प्रकृति है । पढ़ने में मन नहीं लगा तो कभी किसी को खुद को होशियार समझ कर बर्ताव नहीं किया । भाई , हम बकलोल और आप होशियार । अब आगे बढ़िये । अब बाप दादा हाथी रखता था तो वो लिखेंगे ही लेकिन अपना पटल पर । भांट की तरह दरवाजे दरवाजे नहीं । हे हे …मौसी जी , अहं बड नीक छीये । मार साला मऊग के । किसी की यही प्रतिभा । गीत गाते गाते अंगना में ढूक गए । हा हा हा । भाई , ई सब प्रतिभा हम में नहीं 🙏
तो घुमा फिरा के कहने का मतलब की आप अपने मूल प्रकृति को समझिए । मूल शक्ति वही है । आपका स्वभाव । वहीं से आपको इज्जत मिलेगी या बेइज्जती । बड़का फ्रॉड तो बड़का फ्रॉड के समूह में जाए – बहुत इज्जत मिलेगी । साधु के ग्रुप में जायेंगे तो बेइज्जती मिलेगी । बड़का साधु हैं तो साधु के समाज में रहे , वहीं इज्जत मिलेगी । फ्रॉड के समाज में जायेंगे तो गाली मिलेगी । देख साला साधु को , बैठ कर खाता है । हा हा हा ।
क्योंकि शक्ति का एक मंज़िल – सामाजिक प्रतिष्ठा भी है :))
: रंजन , दालान
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