एक कविता …

एक कविता …

थोडा रुको …
कुछ सोचो …
ये सफ़र भी तुम्हारा है …
वो मंज़िल भी तुम्हारी है …
कुछ बहको…
थोडा महको …
ये ज़िंदगी भी तुम्हारी है …
वो ख्वाब भी तुम्हारे हैं …
कुछ पाओ …
थोड़ा गवाओं…
ये रात भी तुम्हारी है …
वो दिन भी तुम्हारा है …
थोड़ा खिलखिलाओ …
कुछ आंसू बहाओ…
ये सेहरा भी तुम्हारा है …
वो गुलशन भी तुम्हारा है …:))
~ RR
31 Jan , 2015

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