मुहब्बत सुब(ह) का इक सितारा है ..’ – ये सीरियल देखना ! पाकिस्तानी है ! बहुत संजीदा है ! तुमको पसंद आएगी !क्यों ..मुझे ही क्यों पसंद आएगी ?अरे …तुम थोडा हट के हो ! तुम्हारी हर पसंद कुछ अलग है !पर ..मै टीवी नहीं देखता !मेरे लिए देख लेना ..मै युटिउब का लिंक भेज देती हूँ !क्या हम अपने अपने शहर से इतनी दूर – टीवी सीरियल डिस्कस करने आये हैं ?नहीं ..तो और क्या करने आये हैं ! लड़की की आँखों में चमक और शरारत थी !उस पुराने ‘बिस्टरो’ में बैठ दोनों कॉफ़ी ले रहे थे ! सड़क किनारे अपने अपने घर के आगे एक छोटा सा रेस्त्रां खोल लेना – फ्रांस के मिडिल क्लास की जरुरत थी ! वक़्त के साथ ऐसे रेस्त्रां पुरे विश्व में मशहूर होने लगे ! बेंत वाली कुर्सी के साथ – बाज़ार से सस्ते दर पर मिलने वाले चाय / कॉफ़ी और नास्ता ! कई बिस्टरो तो काफी मशहूर थे ! पर पुराने बिस्टरो की बात ही अलग है ! वो पेरिस के मुहल्लों की खुशबू के साथ होते हैं ! सुबह आठ से देर शाम तक !फ्रेंच कितने स्टाइलिश होते हैं ! लड़का सड़क की तरफ देखते हुए बोला !हाँ ! पेरिस अदभुत हैं ! मेरी तमन्ना थी – कभी तुम्हारे साथ यहाँ आऊंगी !हाँ ! तुम्हारी एक तस्वीर एफिल टावर के साथ देखी है ! किसने खिंची थी ?मालूम नहीं – याद नहीं ! शायद किसी ने खिंची होगी ! तब मै सिंगल थी !
पेरिस उसे भी पसंद ! उसे भी ! साल के अंत दोनों हर साल पेरिस पहुँच जाते थे ! इस बार भी पहुंचे हैं ! अपने – अपने शहर से दोनों एक ही समय में फ्लाईट पकड़ते पर लडके की फ्लाईट थोड़ी जल्दी पहुँचती ! और वो एअरपोर्ट पर एक गुलाब की कली के साथ उसका इंतज़ार कर रहा होता ! गुलाब उसे भी पसंद ! उसे भी ! वो दूर से नज़रें झुकाए नज़र आती ! उसका देखने का अंदाज़ ही अलग था ! थोड़ी गर्दन टेढ़ी और झुकी – फिर आहिस्ता आहिस्ता अपने सर को ऊपर करती और निगाहों में उसको भींच लेती ! उसी ख़ास पल में दोनों एक साथ एक दुसरे के लिए झुकते थे ! उसकी आँखें उसके ऊपर से पल भर के लिए भी नहीं हट रने ही थीं ! और वो अब खुद को असहज महसूस करने लगी !लड़कियां अजीब होती है ! कोई ना देखे तो बेचैन और देखे तो और बेचैन ! एअरपोर्ट के बाहर ठण्ड होगी यह सोचते हुए दोनों ने अपने अपने फुल जैकेट निकाल लिए ! हेल्प डेस्क से पता किया तो टेम्प्रेचर करीब पांच डिग्री था ! लड़की ने एक लम्बा बूट पहन रखा था ! किसी हॉलीवुड स्टार से कम नहीं !दोनों अब एअरपोर्ट से बाहर निकलने लगे – अपने अपने ट्रॉली बैग के साथ ! लडके का बायाँ हाथ लड़की की दाहिने हाथ से मिला हुआ !होटल काफी दूर था ! करीब तीस मील ! टैक्सी वाला बंगलादेशी थे ! उसने बुदबुदाते हुए कहा – पेरिस के महंगे होटलों में से एक है – प्लाजा अथेनी ! एफिल टावर से महज एक मील दूर – सौ साल पुराना बेहतरीन होटल ! इसके खिड़की से एफिल टावर नज़र आता है लड़की चौंक गयी – तब तो बहुत महंगा होगा ! उसने कुछ शिकायत भरे लहजे में लडके की तरफ देखा ! लडके ने नज़रें नीचे कर बोला – कंपनी से कूपन मिला था – यहाँ भंजा लिया – तुम्हारी कसम मेरे पॉकेट से कुछ भी नहीं लगा , सिवाय हवाई टिकट के ! लड़की ने थोड़े शिकायत वाले लहजे में बोला – पिछली बार जहाँ रुके थे वहीँ रुकना था ! फिर टैक्सी के पीछे दोनों हाथें पकड़ अपने अपने खिड़की से पेरिस की सडकों को देखने लगे !क्रिश्मस बीत चूका था लेकिन बाज़ारों और सडकों में वही रौनक थी ! शाम का समय और बाहों में बाहें डाल फ्रेंच ! लडके ने बोला – मुहब्बत का शहर है , उन्मुक्त शहर – प्रेम भय के साथ नहीं आता – उसे उन्मुक्ता चाहिए ! समाज पर काट देता है , मुहब्बत के पंख के बगैर इंसान किसी पिंजरे में बंद हो जाता है ! लड़की ने जोर से लडके की हाथों को पकड़ लिया ! लडके की नज़र लड़की की कलाई पर चला गया – वो हीरे के कंगन पहन रखी थी ! उसके कंगन में ढेर सारे हीरे जड़े हुए थे ! ये कंगन …? लड़का मुस्कुराता हुआ बोला ! लड़की बोली – माँ ने दिया है ! कुल चार है ! कैसी हैं ? बढ़िया हैं – कह कर वो लड़का चुप हो गया !वो पेरिस को महसूस करना चाहता था ! हर एक पल को जीना चाहता था ! उसे पता था – कल किसी ने नहीं देखा है ! जो है सो आज है ! वो आज के अभी में जीना चाह रहा था ! पेरिस की सडकों पर टैक्सी दौड़ रही थी ! सडकों पर फ्रेंच में लिखे शब्द पढने की कोशिश में लड़की खिलखिला कर हंस रही थी ! वो बंगलादेशी ड्राईवर सब सुन रहा था ! लड़की ने बोला – हमारा इण्डिया ऐसा कब होगा ! खूबसूरती गजब का आकर्षण पैदा करती है ! वो शहर हो , इंसान हो या कोई वस्तु ! ताकतवर से भी ज्यादा आकर्षण खूबसूरती करती है ! लडके को कुछ भी विश्वास नहीं – एक बेहतरीन ख़ूबसूरत शहर में एक अत्यंत ख़ूबसूरत लड़की ! उसे हर पल एक सपना लग रहा था ! चुपके से वो अपने बाएं हाथ में दाहिने हाथ का नाख़ून गडाता – कहीं यह सपना तो नहीं !पर वो एक सच था ! जो सच उसकी कल्पना से निकली थी ! जिस कल्पना को वो वर्षों छुपा कर रखा था और वो कल्पना आज हर पल घटित हो रही थी ! उसने अगले चौबीस घंटे की चित्रकारी कर रखी थी ! उसे पता था – उसके पास सबसे बड़ा धरोहर है – उस लड़की का विश्वास ! वो आज उस विश्वास में घुलने के लिए आया था ! उसके साथ घुलने के लिए !होटल आने में समय था ! लडके ने पूछा – प्रेम में सबसे बड़ी चीज़ क्या होती है ? लड़की समझ गयी ! पर वो चुप रही ! लडके ने बोला – विश्वास ! लड़की का विश्वास बाघिन के दूध की तरह होता है – जिसे रखने के लिए सोना का कटोरा होना चाहिए ! लड़की चुप रही ! लडके ने बोला – कुछ बोलो ! वो बोली – मै क्या बोलूं – मै बस महसूस करती हूँ ! आज तुम बोलो – मै सुनूंगी – अच्छा लगता है तुमसे सुनना !होटल आ गया था ! भव्य विशाल – प्लाजा अथेनी ! लड़की को मजाक सुझा – उसने बोला – टैक्सी से आराम से उतरना – किसी हॉलीवुड स्टार की तरह – मुझे अच्छा लगेगा ! लड़का मुस्कुरा दिया …:)………………………..टैक्सी ड्राईवर ने दोनों का ट्रॉली बैग निकाला ! लड़की ने अपने बैग से कुछ यूरो निकाले ! टैक्सी ड्राइवर को देने लगी ! लडके ने जोर से मना किया ! लड़की सहम गयी ! झट से उन यूरो को अपने बैग में रख ली ! सुन्दर टॉट बैग था ! लाल रंग का ! हर बार वो उसी बैग के साथ पेरिस आती थी !थोड़ी मायूस हो गयी ! लडके ने झिड़क कर कुछ बोला था ! पर होटल लॉबी की भव्यता देख वो अचानक से खुश हो गयी ! पुरे लॉबी से एक अलग खुशबू आ रही थी ! उसने पूरा विश्व घुमा था लेकिन ऐसी खुशबू के साथ किसी होटल को नहीं महसूस किया था ! अचानक से एक होटल स्टाफ आया और कमरे में चलने को बोला ! वो बस लॉबी की भव्यता से खुश थी ! लडके ने हिंदी में ही पूछा – इतनी खुश क्यूँ हो ? उसने जबाब दिया – ऐसा लग रहा जैसे ये होटल मेरा है !दोनों लिफ्ट में प्रवेश कर चुके थे ! लड़का मुस्कुराने लगा ! उस लड़की की इसी ‘हक’ वाले अंदाज़ पर वो फ़िदा हुआ था ! बड़े हक से वो उससे कुछ पूछती या बोलती थी ! कुछ भी ! प्यार भी उसी हक से – गुस्सा भी उसी हक से ! एक दफा लड़की ने बड़े हक से फोन पर एक इत्र की फरमाइश की थी ! और जब इत्र पहुंचा तो डाकिया से छुडवाने तक नहीं गयी ! बाद में पोस्ट ओफ्फिस वालों ने जबरदस्ती उस इत्र को पहुंचा दिया – उसके घर के कई चक्कर लगाने के बाद !अथेनी प्लाजा बेहतरीन होटल था ! एफिल टावर के व्यू वाले कमरे बेमिशाल थे ! पेरिस के बेहतरीन होटलों में से एक ! कहते हैं प्रथम विश्व युद्ध में भी यह होटल खुला रहा ! विश्व के बेहतरीन शेफ इस होटल के लिए अपनी सेवा दे चुके थे !दोनों रूम में प्रवेश कर गए ! अभी सामान ठीक से रखा भी नहीं की लडके ने झट से बालकोनी की तरफ बढ़ा और वहां से पर्दा हटा दिया ! वो पीछे मुड़ा ही लड़की उसके पीछे ! वह बुदबुदाने लगी – बेहतरीन एफिल टावर ! होटल के सातवें मंज़िल से शाम के समय एफिल टावर ! लडके ने कहा – इस होटल में तुम्हारे फेवरिट टीवी सीरियल – सेक्स एंड सिटी की शूटिंग भी हो चुकी है ! लड़की पहले तो चौंक गयी फिर बोली – बनो मत ज्यादा , झूठ बोल कर मुझे इम्प्रेस कर रहे हो ! लड़का हंस दिया – क्या अब भी तुमको इम्प्रेस करने की जरुरत है – गूगल कर सकती हो ! लड़की बोली – चलो मान लिया !होटल में चार बेहतरीन रेस्त्रां और एक बार थे ! अलग अलग फ्रेंच नामों से ! अभी डिनर में समय था ! लडके ने सर्विस को इंटरकॉम कर अंग्रेजी अखबार माँगा ! तब तक लड़की इलेक्ट्रिक केटली में पानी गर्म करने लगी ! वो खुश थी – वहां दार्जिलिंग टी बैग भी रखा हुआ था ! उसने लडके से कहा – सुनो , यहाँ तुम्हारा पसंदीदा दार्जिलिंग टी भी है ! लडके ने अखबार पढ़ते हुए – हूँ कर के रह गया ! दोनों सोफ़ा पर बैठ बालकोनी से एफिल टावर को देखने लगे ! लडके ने बोला – पता है , पेरिस मुझे क्यों पसंद है ? लड़की ने अपना सर उसके कंधे पर रख दिया ! लड़का बोला – जब मै कॉलेज में पढता था , मेरे कमरे में सिर्फ फिमेल मोडल्स की तस्वीरें होती थी – ग्लैडरैग्स वाली ! तब मुझे पता चला – पेरिस फैशन का शहर है , दुनिया भर के ख़ूबसूरत लोग यहाँ आकर बसते हैं ! तब मै मोडल्स के बारे में खूब पढता था ! उनका जीवन , उनका काम ! मेरी पसंदीदा होती थी – नाओमी कैम्पबेल ! लड़की एक जलन भरी मुस्कान के साथ उसके कंधे से अपना सर हटा ली ! और पूछी – अब ? लड़का बोला – अब सिर्फ तूम ! लड़की ने फिर से अपना सर उसके कंधे पर रख दिया !दोनों चाय की चुस्कियां लेने लगे ! लड़की बोली – एक बात पूछूं ? लडके ने बोला – शौक से पूछो ! लड़की बोली – जब टैक्सी वाले को मै पैसा देने लगी , तुम अचानक से गुस्सा क्यों हो गए ? ! लड़का बोला – जैसे महिलाओं में सबसे सेंसीटीव उनका ‘सेल्फ स्टीम’ होता है ठीक वैसे पुरुषों में उनका ‘मेल इगो’ होता है – बहुत सेंसीटीव ! दोनों एक दुसरे के इस सेंसीटीवनेस से अनभिज्ञ होते हैं ! जान बुझकर तो नहीं लेकिन अनजाने में अक्सर यहीं चोट पहुँचती है ! लड़की बोली – अगर मै ही टैक्सी ड्राईवर को यूरो दे देती तो कौन सी बड़ी बात हो जाती ! लड़का बोला – तुम नहीं समझोगी – बेहतर है हम दोनों चाय ख़त्म करें !लड़की सोच में पड गयी ! सेल्फ स्टीम वाली बात तो उसे समझ में आ गयी लेकिन टैक्सी ड्राइवर को अगर वो ही पैसे दे देती तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ता ! मन ही मन वो सोचने लगी – मर्द बेवकूफ होते हैं – हम महिलाओं से भी मीन माईडेड ! यहो सोच वो खुश हो गयी !लड़की ने जोर का किस किया ! फिर बोली – सुनो मर्द को इतने ख़ूबसूरत होठों के साथ जन्म नहीं लेना चाहिए – लड़की पीछे पीछे पेरिस तक आ जाती है ! लड़के ने बोला – लड़की को भी ‘मोनिका बलूची’ जैसा ख़ूबसूरत नहीं होना चाहिए – लड़का पीछे पीछे पेरिस आ जाता है ! लड़की बोली – ये हम दोनों के बीच मोनिका बलूची कहाँ से आ गयी ? लड़का बोला – वो भी यहीं रहती है – पेरिस में !दोनों जोर से हंसने लगे ! शाम पूरी तरह से ढल चुकी थी……………………..पेरिस में सूर्यास्त हो चूका था ! होटल के कमरे की बालकोनी से हल्का जगमगाता एफिल टावर और शहर की मशहूर बिल्डिंगों की रौशनी ! अचानक लडका सोफे से उठा और लड़की से पूछा – स्ट्रीट वाक् पर चलोगी ? लड़की बोली – क्यों नहीं , कुछ नया पहनना होगा , क्या ? लडके ने बोला – नहीं , यही ड्रेस काफी है ! लड़की ने बोला – रुको , बाल बाँध लेती हूँ ! लड़की बाल में कंघी लगाने लगी और लडके ने अपने जूते के फीते बांधने शुरू कर दिए ! लडके ने बोला – मुझे , स्ट्रीट वाक् और विंडो शौपिंग बहुत अच्छा लगता है , बड़े बड़े शो रूम के आगे से निकलना – जहाँ कहीं भी गया , वहां की सबसे मशहूर स्ट्रीट में जरुर घुमा – विंडो शौपिंग का फायदा होता है – दुनिया और फैशन का आइडिया लग जाता है और जब जेब में पैसे हों – खरीद लो ! लड़की बोली – अगर जेब में पैसे ना हों तो ? लड़का बोला – कल्पना में वो ड्रेस पहन लो ! लड़की तैयार हो गयी ! जींस , जैकेट , एक गुलाबी मफलर और बूट ! लडके ने नीचे से ऊपर उसे एक सांस में देख गया ! लड़की टैक्सी ड्राइवर वाली घटना से थोड़ी जली हुई थी – उसे मजाक सूझी और उसने लडके से पूछा – टॉट बैग लेना है ? लडके ने बोला – नहीं , हम बस स्ट्रीट वाक् करेंगे ! लड़की बोली – कुछ यूरो और क्रेडिट कार्ड रख लूँ ? लडके ने बोला – तुम्हारा जैसा मन , रख भी सकती हो नहीं भी – हम कुछ खरीदेंगे नहीं , बस आधा एक घंटा टहलेंगे ! लड़की बोली – हाँ या ना – खुल कर बोलो , कब तुम्हारा मेल इगो जाग जाएगा और कब सो जाएगा – कहना मुश्किल है ! लड़का जोर से हंस दिया ! लड़की थोड़े गुस्से में थी ! लड़की बोली – तुम हर बात पर हंस क्यों देते हो – ये कोई हंसाने की बात नहीं है – यूरो और क्रेडिट कार्ड तो मै रखूंगी ही – मेरा भी ‘सेल्फ स्टीम’ जाग गया है ! लड़का मुस्कुरा दिया !लड़की भी सोचने लगी – अजीब इंसान है , पल भर में सारा अहंकार और पल भर में सब गायब – थोडा गुस्सा तो था ही ! दोनों कमरे से निकलने लगे ! लड़की बोली – थोडा तन के चलो ! लडके को समझ में नहीं आया ! फिर लड़की बोली – मेरे साथ चलते वक़्त तुम ऐसे कैसे हो जाते हो – बिना कान्फिडेंस वाले ? लड़का अब तन गया और बोला – अब बोलो , और तन के चलूँ ? लड़की चुप हो गयी !लिफ्ट से होटल लॉबी और फिर होटल से बाहर ! संगमरमर से सजा – एवेन्यू मोनटेन स्ट्रीट ! होटल लॉबी की अरबियन इत्र खुशबू अभी भी दोनों महसूस कर रहे थे ! दोनों ने एक दुसरे का हाथ पकड़ लिया ! लडके ने किसी से पूछा – स्टोर्स ? उस इंसान ने दाहिने जाने को बोला ! लड़के के दिमाग में तन के चलने वाली बात घूम रही थी ! बहुत हलके स्पीड से दोनों टहलने के अंदाज़ में आगे बढ़ रहे थे ! लडके ने बोला – बाल को खोल लो , तुम्हारे बंधे बाल ‘पेरिस’ की तौहीनी कर रहे हैं ! लड़की मुस्कुरा कर अपने बालों के क्लिप को हटा लडके के हाथ में थमा दी !लड़का बोला – जानती , किसी भी स्त्री का सबसे बड़ा गहना क्या होता है – उससे प्रेम करने वाला ! बचपन में पिता , दादा , भाई और फिर जवानी में प्रेमी ! जब वो अपने गहने को पहन लेती है – फिर उसका कांफिडेंस खुद ब खुद बढ़ जाता है – नहीं भी इतराए तो थोडा इतराना उसके चेहरे पर आ जाता है – फिर वो सोचती है – ये मेरे साथ वाला पुरुष इसी मन की मुद्रा में क्यों नहीं है ! लड़की सब बात सुन ली ! फिर उसने जोर से लडके की हाथों को पकड़ लिया – फिर छोड़ दिया – फिर बोली – ‘तुम हर बात को इतना सीरियस क्यों लेते हो ? – ऐसा लग रहा है जैसे मै अपने किसी हमउम्र के साथ नहीं बल्कि एक बुढे बाबा के साथ टहल रही हूँ -मै तो कब का बोल कर भूल भी गयी …..वो देखो …लुइ वेटन का शो रूम ….दुनिया की मशहूर स्ट्रीट में से एक पेरिस का एवेन्यू मोनटेन ! मोनटेन फ्रेंच के एक लेखक थे ! उन्ही के नाम से यह स्ट्रीट थी – तीन सौ साल पुरानी स्ट्रीट ! शायद ही कोई दुनिया का मशहूर फैशन ब्रांड न हो – जिसके शो रूम यहाँ न हो ! कहते हैं – यहाँ की शाम आपको हॉलीवुड के सितारे भी अपने पसंदीदा ब्रांड के शो रूम में कुछ खरीदते नज़र आ जाएँ ! लडके की आँखों में चमक थी ! लड़की भी खुश थी ! दोनों टहल रहे थे ! राफ लौरेन , डायर ,शिनेल सब के सब ब्रांड ! खरीदने को कुछ नहीं पर देखने को बहुत कुछ !लडके ने कहा – यूरोप का हर एक शहर घुमने वाला है – बस पॉकेट में पैसे होने चाहिए ! लड़की बोली – हाँ , सारी दुनिया लूट ये अपने घर को सजा लिए हैं ! लडके ने बोला – मिलान कितना ख़ूबसूरत है ! लड़की बोली – हाँ , हम वहां भी टहले थे ! लडके ने बोला – मिलान में तो मै काफी कॉंफिडेंट दिख रहा था ! लड़की रुक गयी – ओ माई गॉड , तुम अब तक वहीँ अटके हो ? लड़का बोला – नहीं , बस कह रहा हूँ – हमारे जीवन में जो सबसे नजदीक होता है – हम उसकी बातों पर गौर फरमाते हैं , बचपन के स्कूल शिक्षक , माता पिता से लेकर अब तुम ! लड़की मुस्कुरा दी – बाबा, तुम दुनिया के सबसे ज्यादा कॉंफिडेंट इंसान हो – अब आगे बढ़ो – भोंदू ! लड़का बोला – बढ़िया लगा तुमसे यह बात सुन , सचमुच मै एक कॉंफिडेंट इंसान हूँ तभी तो यहाँ तुम्हारे साथ हूँ ! लड़की मुस्कुरा दी ! दोनों आगे बढ़ते जा रहे थे ! स्ट्रीट ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था …कई फैशन ब्रांड जो फ्रेंच नाम से थे – दोनों उनको पढने का कोशिश करते …कुछ पढ़ पाते तो कुछ में अटक जाते ………………..दोनों चुप से हो गए थे …अचानक से लड़का बोला – मुझे स्वेट शर्ट बेहद पसंद – प्री विंटर में पहनने वाले – जब पापा यंग थे वो ऐसे ही कपडे पहनते थे ! लड़की बोली – बहुत पसंद तो …ले लो ..मै खरीद दूँ ? लेकिन … ! लड़का बोला – खरीद दो …मेरा मेल इगो नहीं जागेगा ! दोनों हंस दिए !
राफ लौरेन के शो रूम में घुस गए ! लड़का बुदबुदाया – बहुत महंगा है ! लड़की बोली – अब घुस गए हो तो एक ले ही लो ..ये देखो …ये तुम पर बढ़िया लगेगा ! लड़का बोला – हाँ , मेंरी नज़र भी यहीं थी ! लड़की ने यूरो निकाले और पेमेंट किया ! लड़का खुश था और बोला – जब जब मै इस स्वीट शर्ट को पहनूँगा – ऐसा लगेगा तुम मुझसे चिपकी हो ! लड़की शांत थी फिर बोली – तुम्हारे लिए ये स्वीट शर्ट खरीदते वक़्त मुझे ख़ुशी हो रही थी , कहीं मुझे सचमुच तो मुहब्बत नहीं हो गयी , ! लड़का शरारती अंदाज़ में बोला – ये तो बहुत गलत हो जाएगा ! और हंसने लगा !दोनों अब वापस होटल लौटने लगे ! लडके ने लड़की का हाथ जोर से पकड़ लिया ! लड़की बोली – तुमको देख ऐसा लगता है – जैसे कोई ख़ूबसूरत चीज़ कई बन्धनों में बंधी हो ! लड़का बोला – मै पुरुष हूँ , बाहरी दुनिया का बादशाह , जिस फ्रीडम की बात तुम करती हो – वह मेरे लिए आसान नहीं है ! लड़की बोली – मै जिस फ्रीडम की बात कर रही हूँ – वह जेंडरलेस है ! लड़का बोला – हम कितने भी ऊँचे हो जाए , प्रकृति से नहीं लड़ सकते ! लड़की बोली – बात प्रकृति से लड़ने की नहीं है – बात प्रकृति में समाने की है , अपनी प्रकृति समझो ! लड़का बोला – गंगा भी हर वक़्त गंगोत्री नहीं रहती है ! लड़की बोली – गंगोत्री से आगे जाने को कौन बोला , यहीं बैठे रहो ! लड़का बोला – इंसान हूँ ! लड़की बोली – भगवान् बनो ! लड़का बोला – आसान नहीं ! लड़की बोली – फिर गंगोत्री की तेज़ धार से अलग हो जाओ ! लड़का बोला – जिद्दी हूँ ! लड़की बोली – फिर अपना जिद्द दिखाओ !फिर दोनों हंसने लगे ! होटल आ गया था ! दोनों ने फिर से होटल के अन्दर की अरबियन इतर की खुशबू महसूस करने लगे ! लड़की बोली – तुम ऐसा ही कोई इत्र मुझे क्यों नहीं गिफ्ट क्यों नहीं करते ! लड़का बोला – गंगोत्री की खुशबू महसूस करो ! होटल की लिफ्ट में दोनों जोर से हंसने लगे !दोनों थोड़े थक गए थे ! लड़का सोफे पर लेट गया ! उसने लड़की को कमरे में रखी इलेक्ट्रिक केतली से चाय बनाने को कहा ! लड़की बोली – बहुत डिमांडिंग हो ! लड़का सोफे से उठ लड़की के समीप आ गया और बोला – बेहद खुबसूरत हो ! लड़की बोली – कितना ? लड़का बोला – उर्वशी ! लड़की ने मग में टी बैग रखते हुए बोला – बहुत जल्द पिघल जाते हो ! लड़का बोला – तुम्हारी तपिश ही ऐसी है ! लड़की ने बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में अपने सर को झुका उसके तरफ देखते हुए बोली – अच्छा ….! लड़का मुस्कुराता हुआ सोफे पर लेट गया ! अखबार खोल लिया !डिनर में समय था ! लड़की अपने ट्रॉली बैग में कुछ खोजने लगी ! लडके ने टीवी ऑन कर दिया ! नेटफ्लिक्स का कनेक्शन था – पेरिस में बैठ – हिंदी सिनेमा के गीत सर्च करने लगा ! ताजमहल का गीत – जो बात तुझमें है …तेरी तस्वीर में नहीं….। लड़के ने टीवी का वोल्यूम बढ़ा दिया । लड़की सोफ़ा के पास आयी और बोली – सुनो …तुम सचमुच में मुझे प्यार करते हो ..न । लड़का ने एक लम्बी साँस ली बोला – शायद ..नहीं । लड़की बेड की तरफ़ मुड़ी और वहाँ से तकिया उठा लड़के के ऊपर चला दी । लड़का ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा । लड़की बाथरूम में …डिनर पर जाने का समय होने वाला था । शाम का साढ़े आठ बज रहा था ………….एलेन डिकासा , दुनिया के मशहूर फ्रेंच शेफ ! दुनिया भर में उनके रेस्त्रां हैं ! प्लाजा अथेनी में भी ! क्रिस्टल शेनडिलियर और बहुत कुछ ! लड़की ने अपने ट्रॉली बैग से एक पिज़ कलर की फ़्रेंच शिफॉन निकाली और लडके की तरफ उस साड़ी को दिखाते हुए पूछी – ये पहन लूँ ! लड़का एक नज़र देखते हुए बोला – कुछ भी पहन लो , सुन्दर ही लगोगी ! लड़की बोली – अब तारीफ़ बंद करो ! लड़का बोला – पेरिस में जब तक हैं – कर लेने दो ! लड़की ने बोला – सर उधर घुमाओगे , मुझे साड़ी पहननी है ! लड़का मुस्कुरा दिया और होटल के कमरे के बालकोनी की ओर मुड गया ! और उधर से बोलने लगा – जानती हो , हम हर वक़्त एक ब्राण्ड एम्बैसडर होते हैं – आज पेरिस में हम दोनों को कोई देखेगा तो हमें इंडियन जोड़ा कहेगा , हम यहाँ अपने देश को रिप्रेजेंट कर रहे हैं , हमारे हाव भाव सब कुछ लोग गौर करते हैं – हम कैसे चलते हैं से लेकर कैसे उनसे मिलते हैं – बहुत कुछ ! लड़की चुप थी ! साड़ी का प्लेट ठीक कर रही थी ! लड़की ने बोला – अब इधर मुड जाओ , थोडा ये प्लीट ठीक कर दो ! लड़का पास आया और लड़की के पैरों के पास झुक कर बैठ गया और साड़ी के प्लेट को ठीक करने लगा ! लडके की नज़र लड़की के पैर पर गए – तुम्हारे पाँव सचमुच हसीन है ! लड़की का सर झुका था – बाल उसके चेहरे को ढक लिए थे और उस वक़्त सचमुच गुलाबी लग रही थी ! लड़का उसे पिंक ब्यूटी कहता था और उसे उसका गुलाबी दिखना बेहद पसंद ! लडके ने बोला – कोई गुलाबी शिफॉन नहीं था ? लड़की बोली – है ..न ! लड़का बोला – फिर उसे ही पहनो ..न ! लड़की बोली – बहुत डिमांडिंग हो ! लड़का बोला – मालूम नहीं – फिर ऐसी रात कब आये , पहन लो ! लड़की और गुलाबी हो गयी ! पल भर में गुलाबी शिफॉन पास में थी ! इस बार लड़की ने प्लीट ठीक करने को लड़का को नहीं बोला ! लडके ने बेहतरीन सूट और नेक टाई पहन ली ! लड़की काजल लगाना शुरू कर दी ! लड़की बोली – अजीब इंसान हो , कितना धैर्य लेकर पैदा लिए हो ! लड़का बोला – ऐसा कुछ नहीं है , जहाँ प्रेम हैं वहीँ धैर्य अनंत है ! लड़की बोली – जहाँ विश्वास है , वहीँ धैर्य है ! लड़का मुस्कुरा दिया ! दोनों तैयार थे ! कमरे से निकल होटल के लिफ्ट में ! लिफ्ट के सीसे में दोनों गजब के दिख रहे थे ! लडके ने बहुत हौले से लड़की के कमर पर अपनी हाथ रख दी ! दोनों एक साथ बोल उठे – टच बाई लव ! लड़का आगे बोला – मालूम नहीं ऐसे पल फिर कब आयेंगे , दूर रहो तो भी कम आयेंगे , पास रहो तो बिलकुल नहीं आयेंगे ! यह कह वो जोर से हंसने लगा ! लड़की बोली – हर बात पर हंस देते हो , कभी तुम्हारे हंसने पर गुस्सा आता है तो कभी प्यार ! लड़का बोला – फिलहाल हमदोनो पेरिस में हैं और यह प्यार का मौसम है ! एलेन डिकासा रेस्त्रां में दोनों प्रवेश कर गए ! दस बारह जोड़े और बैठे थे ! लड़की बहुत खुश थी ! वो चुप थी ! इस पल को वो अपने आँखों से बोल रही थी ! लड़का सब कुछ उसके आँखों से सुन रहा था ! लड़की बोली – सुनो , तुम दुनिया के सबसे बेहतरीन इंसान हो ! लड़का मुस्कुरा दिया ! दोनों ने एलेन डिकासा का पेस्ट्रीज ऑर्डर किया ! लड़की बोली – वाईन लोगे ? लड़का बोला – शायद यह तुम्हारी तौहीनी होगी , पर कॉकटेल का मजा ही अलग है ! लड़की ने वाईन ऑर्डर किया – रेड वाईन ! लड़की ने फिश के भी कुछ आइटम ऑर्डर किये ! मै रोज फिश खाती हूँ – लड़की चहकते हुए बोली ! लड़का बोला – एलेन डिकासा में भी आकर फिश ही खाए – फिर क्यूँ एलेन डिकासा आये ! लड़की हंसने लगी ! अलग अलग टेबल पर कुछ और जोड़े बैठे हुए थे ! लड़की बोली – सब हमें ही क्यों देख रहे हैं ? लड़का बोला – शायद हम इन सबों में सबसे ज्यादा रोमांटिक हो , वैसे भी इस गुलाबी शिफॉन में तुम किसी अप्सरा से कम नहीं दिख रही ! लड़की ने कांटे से फिश का एक टुकड़ा पकड़ लडके के मुह में डाल दी और बोली – अब थोड़ी देर चुप भी रहो ! दोनों का डिनर समाप्त होने को था ! लडके में मन में कुछ चल रहा था …वो मुस्कुरा रहा था ! लड़की खुश थी ! उसकी मासूमियत उसके चेहरे पर छा गई थी ………………..दोनों डिनर के बाद होटल लॉबी में आ गए थे ! लड़की बोली – अब ? लड़का बोला – चलो पेरिस के सैर पर निकलते हैं ! लड़की बोली – क्लब ? लड़का बोला – नहीं , क्लब और डांस फ्लोर पर तुम्हारे साथ नहीं जा सकता ! लड़की बोली – मतलब ? लड़का बोला – मतलब मत ही समझो , होटल से बाहर निकलो ! दोनों बाहर निकल गए ! एक चमचमाती मर्सिडीज खड़ी थी ! लडके ने कार के गेट का दरवाजा खोला – और लड़की को पीछे वाले सीट पर बैठने को बोला ! लड़की हैरान थी ! लड़का मुस्कुरा रहा था ! दोनों पिछले सीट पर बैठ गए ! लडके ने ड्राइवर को इशारा किया ! लड़की बोली – आखिर हम जा कहाँ रहे है ? लड़का बोला – कहीं नहीं ! लड़की बोली – मतलब ? लड़का बोला – बस अगले डेढ़ घंटे पेरिस की सडकों पर एक सैर ! लड़का मुस्कुरा दिया ! लड़की उसके और करीब आ गयी ! कार पेरिस की सडकों में एक माध्यम स्पीड से चल रही थी ! सडकों पर रौनक थी ! लड़की बोली – क्या यही प्रेम है ? लड़का बोला – मालूम नहीं ! लड़की बोली – फिर प्रेम क्या है ? लड़का बोला – एक कंप्यूटर गेम ! लड़की बोली – मतलब ? लड़का बोला – कभी विडियो गेम खेली हो ? लड़की बोली – रोज सुबह शाम और दोपहर ! वो जोर से हंस दी और फिर बोली – तुम्हे याद नहीं , विडियो गेम के चक्कर में तुम्हारा फोन तक रिसीव नहीं करती हूँ ! लड़का थोडा झेंपा ! लड़की बोली – लेकिन विडियो गेम का लव से क्या चक्कर ? लड़का बोला – किसी भी विडियो गेम में कई लेवल होते हैं , हम हर बार हर लेवल को पार नहीं कर पाते , कभी कोई गलती तो कभी कोई और जरुरत आ पड़ती है तो कभी कंप्यूटर हैंग हो जाता है तो कभी कुछ , लेकिन एक बार ऐसा होता है – जब हम सही रास्ते पर होते हैं , हर एक लेवल को पार करते जाते हैं , कोई समय की ख़टपट नहीं , कोई तीसरा तंग करने को नहीं और हम उस विडियो गेम के आखिर लेवल तक पहुँच जाते हैं ! फिर उसके बाद – विडियो गेम खेलने का मन नहीं करता ,कभी किया भी तो यूँ ही पर इंसान खुद को विजेता मानता है ! ऐसे ही प्रेम का खेल है ! कहीं एक लेवल के बाद आउट तो कभी आखिरी लेवल तक ! लड़की चुप थी – आखिरी लेवल क्या है , शादी ? लड़का बोला – शायद नहीं , शादी साथ रहने की गारंटी देता है लेकिन प्रेम का गारंटी नहीं देता , प्रेम प्रकृति है और शादी समाज की उपज ! लड़की बोली – अगर यह एक विडियो गेम की तरह है तो आखिरी लेवल क्या है ? लड़का बोला – मैंने बस समझाने के लिए बोला – लेकिन प्रेम में कोई आखिरी लेवल नहीं होता – अनंत होता है , गैलेक्सी की तरह ! लड़की शांत हो गयी ! टैक्सी अपनी रफ़्तार में थी ! दोनों पिछली सीट पर चिपके हुए थे ! लड़की ने चुपके से अपनी उंगलिओं को लडके के चेहरे पर रखा ! लड़की बोली – तुमको महसूस करती हूँ , कभी कभी ऐसा लगता है – जैसे मेरी जिंदगी में तुम्हारा आना मेरे दादा – दादी का आशीर्वाद है ! अब लड़का खामोश हो गया ! उसके मन का टाइपराइटर चलने लगा – वो लड़की के हर एक बात को संजो कर रखना चाहता था – उसे पता था – ऐसे पल बड़ी मुश्किल से आते हैं और वो हर एक पल को जी रहा था ….बेहतरीन मर्सिडीज टैक्सी पेरिस की सडकों पर अपनी रफ़्तार में चल रही थी …पेरिस अपनी रंगीनी में डूबा हुआ था …बाहर शोर था …टैक्सी के अन्दर एक मधुर ख़ामोशी थी जिसके चादर के अन्दर दोनों लिपटे हुए थे ….अन्जान शहर के अनजान चेहरों के बीच …दो जाने पहचाने …अपनी अपनी रूहों को निहारते ………………..
लडके ने मर्सिडीज टैक्सी ड्राईवर से एफिल टावर ले चलने को कहा ! रात के साढ़े दस होने को थे ! लड़की ने बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ से लडके को देखा ! दोनों खुद को रोक नहीं पाए ! लड़की बड़ी आहिस्ता ढंग से लडके के होठों को चूमा ! एफिल टावर आ चूका था ! यहाँ रात साढ़े ग्यारह बजे तक लिफ्ट चलती है ! लड़का तेज़ी से एफिल टावर की तरफ बढ़ा ! लड़की कुछ कदम पीछे थी ! एफिल टावर के टॉप फ्लोर तक जाने की टिकट थी ! सत्रह यूरो की ! दोनों एफिल टावर के लिफ्ट में थे ! दोनों रोमांचित थे ! कुछ और टूरिस्ट थे ! लगभग सभी के सभी जोड़े में ! टॉप फ्लोर आ चूका था ! कैमरा के फ्लैश चमकने लगे ! सामने सेन नदी बह रही थी ! रात के अंधियारे में चमकती सेन नदी ! लड़की खामोश थी ! लड़का मुस्कुरा रहा था ! मन में हलचल थी ! दोनों बस पेरिस की इस जगमगाती रात को निहार रहे थे ! लडके ने बोला – अगर बहुत अमीर होता तो अभी एक बेहतरीन नाव में इसी रात इस ख़ूबसूरत नदी में तुम्हारे संग घूम रहा होता – याच समझती हो ? लड़की मुस्कुरा दी और बोली – इतने लम्बे सेंटेंस मत बोला करो , तुमने कह दिया – यही बहुत है ! और यह कहते हुए वो धीरे से लडके के पास आ गयी ! फिर बोली – रोमांस एक कल्पना है तो ये क्या है ? लड़का बोला – पल भर का हकीकत , ओस की बूंदों सा , गुलाब के पंखुड़ी पर छलकता हुआ ! लड़की उससे लिपट गयी ! दोनों अब नीचे उतरने के मूड में थे ! नीचे आ गए ! दोनों टैक्सी स्टैंड के तरफ बढे ! फिर दोनों पलट कर एक साथ एफिल टावर को देखे ! लड़की ने पूछा – ये शहर इतना रोमांटिक क्यू है ? लड़का बोला – मिटटी का सौभाग्य ! लड़की बोली – यहीं बस जाएँ ? लड़का बोला – फ्रेंच सीखना होगा ! लड़की बोली – अब मुझे कुछ नहीं सीखना ! दोनों हंस दिए ! उनकी मर्सिडीज टैक्सी आ चुकी थी ! लडके ने फिर से बहुत प्यार से कार का गेट खोला – लड़की बड़े आराम से बैठ गयी , फिर लड़का भी बैठ गया ! लड़का बोला – बाहर बहुत ठण्ड थी ! लड़की बोली – हाँ ! लड़का बोला – थोडा भी ठण्ड बढ़ता है और तुम और गुलाबी हो जाती हो – कहते हुए उसने अपनी उंगली लड़की के गाल पर चला दिया ! लड़की बोली – इस रात में भी तुमको मै पिंक दिख रही हूँ ! लड़का बोला – खूबसूरती देखने की चीज़ नहीं होती – महसूस करने की होती है – तुम्हारी तरह लम्बी सांस लेकर , आँखें बंद कर ! लड़की ने मुस्कुरा दिया ! लड़की बोली – क्या यही लव है ? लड़का बोला – शायद , पर प्रेम को समझना बहुत मुश्किल – लेकिन इस वक़्त यही प्रेम है ! मर्सिडीज तेज़ी से होटल के तरफ जा रही थी ! लौटते वक़्त महज दस मिनट में होटल के नजदीक आ चुकी थी ! लडके ने ड्राइवर को इशारा किया , कार होटल से कुछ दूर पहले रुक गयी ! दोनों कार से बाहर थे ! होटल आधा मील दूर था ! दोनों टहलते हुए होटल की तरफ चल पड़े ! लडकी बोली – लव का कोई सब्स्च्युट नहीं है ! लड़का बोला – हाँ , दुनिया का सबसे ताकतवर चीज है – प्रेम ! लड़की बोली – फिर दुनिया में इतनी दिक्कत क्यूँ ? लड़का बोला – प्रेम की चाहत तो सबको होती है पर प्रेम कैसे करें – यह किसी को नहीं पता ! दोनों खामोश हो गए ! होटल नजदीक था ! रात के सवा ग्यारह बजने को थे !कमरे में पहुँचते – पहुँचते दोनों बुरी तरह थक चुके थे ! लड़की ने बोला – सुबह का क्या प्रोग्राम है ? ! लड़का बोला – सुबह का सुबह देखेंगे ! लड़की बोली – मुझे जोरों की नींद आ रही है , मै चली सोने !लड़का कमरे की बालकोनी में था ! एक सिगरेट जला ली ! बालकोनी से नज़र आ रहे एफिल टावर को देखने लगा ! अब धीरे – धीरे एफिल टावर की बत्तियां बुझानी शुरू हो चुकी था ! लडके ने फिर से एक सिगरेट जला ली ! लड़की बेफिक्र होकर सफ़ेद तकीयों के बीच एक मासूम तबियत सो गयी ! लडके को उसका बेफिक्र होकर सोना बेहद पसंद आता था । वो उसको निहारने लगा ! आधी रात वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी ! लड़का सोफे पर बैठ गया ! टीवी ऑन कर हिंदी गाने सर्च करने लगा – उसका पसंदीदा गाना – ‘ख़ूबसूरत है वो इतना ..सहा नहीं जाता’ ! कभी टीवी को देखता तो कभी उसको ! जूते खोल दिए थे उसने ! मोजा भी ! टाई भी ! बस सूट पहन वो सोफे पर लेट गया !आधी रात बीत चुकी थी ! आधी रात बाकी थी !………………….सुबह के साढ़े चार बजने को थे ! लड़का गहरी नींद में था ! अचानक से लड़की ने उसको जगाया – सुनो …! लड़की बेड के सिराहने लेटी और चाय के मग को पकडे हुयी थी ! लड़के ने एक आँख खोलते हुए बोला – बोलो …! लड़की बोली – तुम सारी बातें करते हो लेकिन शादी की बात पर लम्बी – लम्बी फिलोसोफी झाड़ने लगते हो ! लड़का बोला – मै कुछ समझा नहीं ? लड़का लड़की के हाथ से चाय का मग लेकर उसकी जूठी चाय पिने लगा ! लड़का बोला – अब बोलो ! लड़की थोड़ी शांत हो गयी फिर बोली – मै कह रही थी ..हमदोनो शादी कब करेंगे ? लड़का बालकोनी की तरफ देखने लगा फिर बोला – मै कुछ भी नहीं कह सकता ! लड़की की भौं तन गयी ! लड़का बोला – क्या इतनी सुबह शादी की चर्चा होनी जरुरी है ? लड़की बोली – हाँ , मै दो घंटे से जाग रही हूँ – हर बार हम मिलते हैं फिर यूँ ही अगली मुलाकात के लिए – मुझे आज और अभी तुम्हारे मुह से शादी की हाँ सुननी है !लड़का बोला – आज तक मैंने तुमसे कभी झूठ नहीं बोला और जो कुछ वादा किया उसको निभाया – मेरे लिए बहुत मुश्किल है यूँ ही कुछ भी वादा कर के निकल जाना ! लड़की बोली – फिर हम चार साल से क्या कर रहे हैं ? लड़का मुस्कुरा दिया और बोला – प्रेम कर रहे हैं ! लड़की बोली – मेरे प्रेम को गारंटी चाहिए ! लड़का बोला – कैसा गारंटी ? लड़की बोली – तुम सिर्फ मेरे हो ! लड़का बोला – यह गारंटी कौन देगा ? लड़की बोली – शादी ! लड़का खीज गया ! लड़की भी थोड़े गुस्से में थी – वो चाय के इलेक्ट्रिक केटली के पास और चाय बनाने के लिए गयी ! लड़का बोला – मेरे लिए भी एक कप ! लड़का अपनी आँखें नचाने लगा ! लड़की केतली के पास खड़े होकर दुसरे तरफ देखने लगी !फिर वहीँ से बोली – तुम कायर हो , डरपोक ! लड़का बोला – शायद ! लड़की – नहीं …तुम सचमुच में डरपोक हो ! लड़का बोला – एक मंगलसूत्र पहना देने से मै साहसी हो जाऊंगा ? लड़की बोली – तुम नहीं समझोगे एक औरत का मन ! लड़का बोला – शादी समाज का नियम है ! लड़की बोली – समाज के नियम इंसान के स्वभाव को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं ! लड़का बोला – यह मेरा डायलोग है ! लड़की बोली – चार साल से तुम्हारे साथ हूँ तो फिर राजेश खन्ना का डायलोग कहाँ से बोलूं ! लड़का जोर से हंसाने लगा ! लड़की गुस्से में और खामोश हो गयी ! दोनों चुप थे ! थोड़ी देर बाद लड़का बोला – मेरे लिए जुबान बहुत बड़ी बात है , जीवन में कोई भी हो जुबान देने के पहले सौ बार सोचता हूँ – कुछ झूठे वायदे किये जा सकते हैं लेकिन मेरे लिए और शायद तुम्हारे साथ बहुत मुश्किल है ! लड़की बोली – फिर ऐसे कैसे चलेगा और कब तक ? लड़का बोला – मेरी नज़र से देखो तो शायद जीवन भर ! लड़की बोली – और मेरा जीवन ? लड़का बोला – अगर प्रेम नहीं बाँध सका तो ये मंगलसूत्र भी नहीं बाँध सकेगा ! लड़की बोली – मेरा घर , परिवार , हित कुटुंब , समाज भी कुछ सवाल लेकर बैठा है ! लड़का बोला – सब भूल जाओ ! लड़की को तेज़ गुस्सा आया – कायर ..डरपोक ..बोलते हुए बाथरूम में घुस गयी – उसकी आँखें भरी हुई थी ! लड़का बेड से कूदते हुए लड़की के पीछे – पीछे ! लड़की आईने के पास थी ! लड़के ने पीछे से जकड लिया और धीरे से उसकी कानों में फुसफुसाया – बेहद ख़ूबसूरत – तुमसे बेहतर कोई और खुशबू नहीं ! लकड़ी की आँखों से दो बूँद मोती टपक गए ! दोनों की आँखें बंद थी ! आईना दोनों के बेपनाह मुहब्बत का गवाह बन रहा था …आसमां नीला हो चूका था …चाँद डूबने को बेताब था और सूरज उगने को …उषा और प्रत्युषा का मिलन …चाँद को एक नज़र देखने को बेताब सूरज …जन्मो की प्यासी रूहों का मिलन …मन से देह के रास्ते पर था …बालकोनी से एफिल टावर भी झाँक रहा था ……………………..वो प्रेम था और वो प्रकृति थी ! दोनों एक दुसरे को इसी नाम से पुकारते थे ! प्रेम अथाह प्रेम लेकर आया था और प्रकृति तो शुद्ध प्रकृति ही थी ! बिलकुल उन्मुक्त थी प्रकृति – जिसपर ईश्वर का भी जोर न चले ! उसने प्रेम से एक बार पूछा था – तुम मुझे प्रकृति क्यों कहते हो ? प्रेम बोला था – जब पहली दफा तुम्हे देखा तो यही ख्याल आया जैसे मै प्रकृति से मिल रहा हूँ – कभी किसी नदी को देखी हो , कभी किसी पर्वत को देखी हो , कभी किसी झरने को देखी हो – कभी इनको गौर से देखना – खुद को पाओगी ! प्रकृति भी सोच में पड़ गयी – किसी ने कुछ कहा तो किसी ने कुछ कहा – कभी किसी ने प्रकृति से तुलना नहीं की ! प्रेम बोला – प्रकृति के साथ ज्यादा बंधन – प्रलय , प्रकृति के साथ उन्मुक्त – ईश्वरीय आनंद ! प्रकृति बोली थी – तुम इतना कैसे सोच लेते हो , दिखने में तो ऐसे नहीं दिखते ! प्रेम हंस दिया था ! प्रकृति बेहतरीन कथक नृत्यांगना है ! यूरोप के शहर शहर घूम अपने ट्रूप के साथ ! प्रेम आर्ट और कल्चर पर लिखने वाला ! एक बार बुडापेस्ट में उसे देखा था – प्रेम वहीँ फिसल गया था ! प्रकृति अक्सर पूछती – कैसे , एक बार में ही फिसल गए ! प्रेम हंस देता और कहता – दिल लगी तो एक बार और पहली नज़र में लगी वर्ना कभी नहीं लगी ! प्रकृति भी हंस देती और कहती – ऐसी दिललग्गी तो कई बार लगी , तुम्हारी गाडी यहीं क्यों अटकी ! फिर दोनों जोर से हंसते !प्रेम एक बार बोला था – शायद , मै तुम्हे वर्षों से जानता था ! प्रकृति बोली – कब से ? प्रेम बोला – नया नया यूरोप आया था , तुम्हारे शहर में ही एक प्रोग्राम का कवरेज करना था , पासपोर्ट में भी थोड़ी दिक्कत थी – एम्बेसी गया – काम हुआ , लौटते वक़्त तुम्हारी माँ ने अपने कार में मुझे लिफ्ट दिया था , उन्हें जब पता चला की मै आर्ट और कल्चर पर लिखता हूँ – उन्होंने तुम्हारे बारे में बताया की मेरी बेटी भी कथक डांस करती है और शायद उसी दिन तुम्हे कोई प्राइज़ मिला था ! प्रकृति बोली – उस दिन तुम्हारे मन में क्या आया ? प्रेम हंसते हुए बोला – मै इम्प्रेस हुआ पर तुम्हारी माँ से तुम्हारा उम्र पूछना भूल गया ! प्रकृति भी हंस दी और बोली – हद हो , ऐसे भी कोई इम्प्रेस होता है ! प्रेम आँख नचाने लगा ! प्रकृति बोली – फिर क्या हुआ ? प्रेम बोला – कुछ महीने गुजर गए ! प्रकृति बोली – और तुम मुझे भूल गए 🙁 प्रेम हंसते हुए बोला – इसमे उदास होने की क्या बात है , यह तो तब की बात है जब मै सिर्फ तुम्हारे बारे में जाना , बिना नाम / लोकेशन के ! प्रकृति बोली – फिर क्या हुआ ? प्रेम बोला – एम्बेसी का कुछ और चक्कर लगाया , तुम नज़र नहीं आयी ! प्रकृति बोली – लो …मम्मी से मेरा नाम पूछ लेना था ! प्रेम बोला – ह्म्म्म …इतना साहसी मै नहीं था ! प्रकृति मुस्कुरा दी ! प्रेम थोडा गंभीर हो गया और बोला – पहली दफा तुम्हारा नृत्य देखा था – तुम्हारे स्टेप्स से ज्यादा चेहरे का भाव पसंद आया ! प्रकृति बोली – फिर ? प्रेम बोला – फिर क्या ? प्रेम मुस्कुरा दिया ! प्रकृति एक टीनएजर की तरह आगे क्या हुआ का जिद करने लगी ! वो इस पुरे किस्से को कई बार सुन चुकी थी – और हर बार सुनना चाहती थी 🙂 प्रेम बोला – मैने तुम्हारे कई शो देखे और हर बार सोचता – इसबार मुलाकात करूँगा और बिना मिले लौट आता ! प्रकृति बोली – डरपोक 🙂 प्रेम बोला – आज भी हूँ 🙂 प्रकृति बोली – तभी तो इतने प्यारे लगते हो ..:) फिर क्या हुआ ? प्रेम बोला – फिर कुछ महीने तुम्हारे शो नहीं हुए – तुमको खोजता तुम तक पहुँच गया 🙂 प्रकृति बोली – मेरा दरवाजा खटखटाते डर नहीं लगा ? प्रेम मुस्कुराते हुए बोला – नहीं :)दोनो जब भी मिलते – इस कहानी को जरुर दोहराते !पर इस वक़्त दोनों एकदूसरे की बाहों में क़ैद गहरी नींद में थे ! सुबह आठ की तेज़ धुप कमरे की बालकोनी से निकल बिस्तर तक पहुँच रही थी ! लौंड्री वाले ने कमरे का बेल बजाया – दोनों एक साथ जाग गए ! प्रेम ने उसको दरवाजे से ही जाने को कह दिया फिर बेड पर लेट गया और बोला – बेड टी मिलेगी ..क्या ? प्रकृति मुस्कुरा दी ! क्यों नहीं मिलेगी कह कर वो इलेक्ट्रिक केतली के तरफ चल दी !बड़े शहर सोते नहीं है ! सारी रात जागते हैं ! उन्हें थकान नहीं होती ! पेरिस भी सारी रात जाग अब अपना दिन शुरू कर चूका था ! बड़े शहर भी अजीब होते हैं – जो यहाँ रहता है वो भी खुद को मुसाफिर समझता है और जो यहाँ चंद घंटों के लिए आता है – वो तो मुसाफिर होता ही है !पेरिस उनदोनों के दिल में घुलने लगा था ! प्रकृति ने चाय के मग को प्रेम की तरफ बढाते हुए बोली – हम यहीं बस जाएँ ? प्रेम चुप रह गया – जैसे उसने प्रकृति की बात सुनी ही न हो ! …………..दोनों ने तय किया सुबह का नास्ता किसी बिस्टरो में जा कर करेंगे ! प्रेम झटपट जींस और एक इंग्लिश जैकेट डाल लिया ! प्रकृति का मूड जींस का नहीं था ! उसने प्रेम से पूछा – अभी इन्डियन सलवार सूट कैसा रहेगा ? प्रेम बोला – ठीक है लेकिन एक जैकेट डाल लो ! दोनों तैयार थे ! होटल से बाहर निकल टहलने लगे ! धुप ठीक थी ! साढ़े आठ बजने को थे ! दोनों ने गॉगल्स लगा लिया था !प्रकृति ने पूछा – एक बात पूछूं ? प्रेम बोला – एक नहीं सौ बात पूछो ! प्रकृति चुप हो गयी ! फिर बोली – ये रिश्ते टूटते क्यों हैं ? प्रेम मुस्कुरा दिया – इतनी सुबह इतनी सीरियस बात ? प्रकृति बोली – बस यूँ ही पूछ रही थी , तुम्हे कितनी समझ ? प्रेम बोला – रिश्ते बनते क्यों है के पहले ही रिश्ते टूटते क्यों है ? प्रकृति बोली – बताओ भी ! प्रेम बोला – रिश्ते बनते ही हैं टूटने के लिए ! प्रकृति बोली – ये कोई जबाब नहीं हुआ , वैसे भी तुम्हारे ऊपर का सवाल है ! प्रेम सीरियस हो गया और बोला – किसी भी रिश्ते का तीन ही आधार होता है – इमोशनल , फिजिकल और फाइनेंसियल , अगर तुम स्त्री पुरुष के संबंधो की बात कर रही हो तो ! प्रकृति बोली – हाँ ..हाँ ..मै वही बात कर रही हूँ ! दोनों होटल के पीछे वाली स्ट्रीट पर थोड़े तेज़ चलने लगे ! प्रेम बोला – बड़ी मुश्किल से किसी रिश्ते में ये तीनो आधार मौजूद होते हैं , कोई एक भी मौजूद रहा तो रिश्ता टूटता नहीं है ! प्रकृति बोली – फिर आजकल इतने रिश्ते क्यों टूट रहे हैं ? प्रेम बोला – बहुत आसान , तीनो आधार मिसिंग होते हैं ! प्रकृति बोली – ये तीनो कैसे एक एक कर के मिसिंग होते हैं ? प्रेम बोला – बहुत सारी वजहें होती हैं ! प्रकृति बोली – कौन सी वजहें ? प्रेम बोला – अब अचानक से मै नहीं बता सकता , थोडा सोचने दो ! दोनों एक बिस्टरो के पास आ चुके थे ! प्रकृति बोली – पिछली बार भी हम यहीं आये थे ! प्रेम बोला – मेमोरी ठीक है तुम्हारी ! प्रकृति बोली – हाँ , बहुत मजबूत ! प्रेम बोला – सिवाय मेरी बातों को याद रखने के तुमको दुनिया की सारी बातें याद रहती हैं ! प्रकृति बोली – अब तुम कौन से तोप हो जो तुम्हारी बातें याद रखूं ! प्रेम दूर देखने लगा !प्रकृति बोली – सो तुमने बताया नहीं , वो कौन सी वजहें हैं जो इन आधारों को कमज़ोर कर देती हैं ! प्रेम बोला – शायद कमिटमेंट पहली वजह है ! प्रकृति बोली – ये कमिटमेंट क्यों कमज़ोर हो जाता है ! प्रेम बोला – इसकी भी कई वजहें हो सकती हैं , समाज , लालन पालन , खुद का वैल्यू सिस्टम , परिवार और अहंकार …या कुछ और वजहें ! प्रकृति बोली – मतलब ?कॉफ़ी आ चूका था ! प्रेम पूछा – ब्रेकफास्ट में क्या लोगी ? प्रकृति बोली – कॉफ़ी ख़त्म हो जाने दो ! प्रेम बोला – मानव स्वभाव सबसे जटिल होता है – वो क्या देखता है , क्या रिएक्ट करेगा और क्या अपनाएगा – ये सब ईश्वरीय देन है , उसे क्या लुभाएगा – वो क्या ठुकराएगा – कहना मुश्किल है ! प्रकृति बोली – सब मुश्किल है , सब जटिल है फिर तुम बेकार हो , गुस्सा आएगा तो यहीं तुमको तोड़ मोड़ के सेन नदी में बहा दूंगी ! प्रेम बोला – कुछ ब्रेकफास्ट मंगा लो , गुस्से का प्रथम वजह – खाली पेट होना है , पिताशय कुछ तीखा तीखा मन को भेजता है ! यह कह वो हंस दिया !प्रकृति फिर पूछ बैठी – तुमने बताया नहीं की रिश्तों में दरार क्यों आता है …रिश्ते टूटते क्यों है ? प्रेम बोला – शायद …दो में से एक उस रिश्ते की आयु तय करता है ..जो उस रिश्ते को लीड कर रहा होता है ..! प्रकृति बोली – जब ये लीड और लैग ही है फिर प्रेम कैसा ? प्रेम बोला – हाँ , जब रिश्ते में लीड और लैग होने लगे तभी संभल जाना चाहिए – प्रेम एकदम बराबरी मांगता है और इंसान का अहंकार किसी भी रिश्ते में बराबरी को बर्दाश्त नहीं कर पाता , या तो वो झुक कर रहेगा या झुका पर रहेगा !प्रकृति चुप हो गयी ! कुछ सोचने लगी ! फिर बोली – कुछ कन्फ्यूजन है , प्रेम बराबरी मांगता है और रिश्ते बराबरी बर्दाश्त नहीं पाते ! प्रेम बोला – कल्पना करो तुम एक तेज़ कार चला रही हो …और अचानक से उस कार का पेट्रोल ख़त्म हो जाए …बगैर पेट्रोल भी वह कार अपनी रफ़्तार के चलते कुछ दूर चलेगी लेकिन पेट्रोल नहीं रहने के कारण वह बंद हो जायेगी , अगर उस कार में गौज मीटर नहीं है फिर इंसान सीधे इंजन की तरफ भागेगा ! प्रकृति बोली – पर आजकल तो गौज मीटर के साथ कार आती है ! प्रेम बोला – मान लो ! प्रकृति बोली – ऐसे कैसे मान ले …:) और वो मुस्कुरा दी ! प्रेम भी मुस्कुरा दिया !प्रकृति बोली – प्रेम में लोग एकदूसरे को हर्ट क्यों करते हैं – कहा जाता है – लव नेवर हर्ट्स ! प्रेम बोला – दो इंसान के बीच प्रेम एक कवच होता है – जैसे एक वस्त्र जिसमे हवा या पानी भरा हो ! प्रकृति बोली – फिर ? प्रेम बोला – फिर इंसान तो इंसान ही है , अपेक्षा में कुछ गड़बड़ी हुई , इंसान इंसान को हर्ट करना शुरू कर देता है , लेकिन वह वस्त्र उसे सचमुच में हर्ट होने से बचा लेता है , उसी वस्त्र के अन्दर प्रेम भरा हुआ है ! प्रकृति बोली – जब वस्त्र या प्रेम है फिर भी तो हर्ट महसूस होता है , रिश्ते टूट जाते हैं ! प्रेम बोला – अगर तुम लगातार एक ख़ास जगह हर्ट करोगी – वस्त्र में लीकेज आ जाएगा , वहीँ से प्रेम ब्लीड शुरू कर देता है और प्रेम धीरे धीरे ख़त्म हो जाता , फिर अगला कोई भी चोट इंसान बर्दास्त नहीं कर पाता है – चोट लगती है और इंसान रिश्ते से बाहर निकल जाता है – मुड कर बहुत दूर चला जाता है !प्रकृति बोली – कुछ समझ में नहीं आया , बहुत सारी बातें हो गयीं ! प्रेम बोला – बोला था न , मानव स्वभाव बहुत जटिल होता है , इसलिए मुझे जटिलता से बेहद घृणा है , भय लगता है ! प्रकृति बोली – हाँ , तू एक सरल इंसान है !प्रेम बोला – ये धुप जो तुम्हारे चेहरे पर छन छन के आ रही , तुम चमक रही हो ! प्रकृति बोली – तुम इतनी प्रसंशा करते हो , थकते नहीं ? प्रेम ने अपने इंग्लिश जैकेट का कालर छुते हुए बोला – जो थक गया , वो प्रेम का प्रेम नहीं …!! दोनों हंस दिए !दोनों हंसते बहुत थे ! दोनों लड़ते बहुत थे ! दोनों बेहद हसीन थे ! दोनों एक दुसरे से प्रेम करते थे ………………………………ब्रेकफास्ट टेबल पर आ गया था ! फ्रेंच टोस्ट और ऑमलेट ! प्रकृति बोली – कुछ फ्रेंच खाना था ..न ! प्रेम बोला – अब जो आ गया है ..वो खा लो ! प्रकृति बोली – जी ! प्रकृति जब थोडा सीरियस होती वो प्रेम की बातों को ‘जी’ कह कर रिप्लाई देती ! प्रेम चुप हो जाता ! इन चार सालों में दोनों एक दुसरे के हर पल के भाव को समझ गए थे ! दोनों अपने अपने जैकेट उतार बिस्टरो के कुर्सी के पीछे टांग दिये ! खिली धुप अच्छी लग रही थी ! प्रकृति बोली – प्रेम कैसे करते हैं , कोई सिंपल फार्मूला बताओ ! प्रेम हंस दिया – प्रेम होगा तो फार्मूला खुद ब खुद बन जाएगा , निकल आएगा ! प्रकृति बोली – फिर भी ..ये बताओ ..तुम्हे सबसे अच्छा क्या लगता है ? प्रेम बोला – सबसे सुखद अनुभव होता है , जिस चीज़ की मै बहुत इज्ज़त देता हूँ , जब उसी चीज़ को तुम भी उसी नज़र से देखती हो , शायद तुम्हे भी मेरा ऐसा करना अच्छा लगता होगा ! प्रकृति ने उंगली से चिली सौस को चखते हुए सर हिला दिया ! प्रकृति बोली – सबसे महतवपूर्ण क्या है ? प्रेम बोला – सामने वाले की प्रकृति को समझना , कभी माँ और बच्चे के प्रेम को देखी हो ? प्रकृति मुस्कुरा दी ! प्रेम भी मुस्कुरा दिया फिर बोला – एक माँ अपने बच्चे की प्रकृति से बहुत परिचित होती है , तभी वो पूर्ण प्रेम कर पाती है ! प्रकृति बोली – उस सम्बन्ध के और भी कारण है , मै माँ और औलाद की बात नहीं कर रही ! प्रेम बोला – वही बात मै भी कह रहा , जब दो इंसान करीब आयेंगे , दोनों को एक दुसरे की प्रकृति को समझना होगा ! प्रकृति बोली – यह कैसे होगा ? प्रेम बोला – जब आपस में प्रेम होगा ! प्रकृति बोली – फिर तो सारी बात प्रेम पर ही आ गयी !दोनों अपने अपने नाश्ते में व्यस्त हो गए ! प्रेम की छुरी और काँटा दोनों प्लेट से लड़ आवाज़ पैदा कर रहे था ! प्रकृति ने उसे एक नज़र देखा और बोला – एकदम देहाती हो ! प्रेम हंस दिया ! प्रकृति बोली – अजीब इंसान हो , हर बात पर हंस देते हो ! प्रेम बोला – और कोई उपाय भी नहीं है ! प्रकृति बोली – इंसान को ऐसा भी नहीं होना चाहिए ! प्रेम पूछा – कैसा ? प्रकृति बोली – तुम्हारे जैसा , अहंकारविहीन , दुनिया तुमको खा जाएगी ! प्रेम बोला – तुमसे कुछ बचेगा तब तो दुनिया मुझे खाएगी ! दोनों हंसने लगे !प्रकृति बोली – तुम अक्सर प्रकृति की बात करते हो , किस प्रकृति की बात ? प्रेम बोला – जैसे हम इंसान भी जानवर हैं , अन्य जानवरों से अलग – जैसे बकरी , शेर , गाय , हाथी – सबकी प्रकृति अलग है , वैसे ही स्त्री और पुरुष की प्रकृति अलग है – ठीक वैसे ही हर इंसान की एक अलग प्रकृती होती है ! प्रकृति बोली – पर , सबका अआत्मा तो एक जैसा ही होता है ..न ! प्रेम बोला – मै तुम्हारे इस बात का हर बार खंडन करता हूँ , जैसे हर किसी के पास एक जैसा शरीर , ठीक वैसे ही हर किसी की आत्मा भी अलग अलग होती है , तभी शायद हम एक ही चीज़ को देखते हैं पर महसूस अलग अलग होता है ! प्रकृति अब अपने गालों पर हाथ रख चुप हो गयी !प्रकृति बोली – आत्मा की बात उतनी सरल नहीं है , जितनी सरलता से तुम बोल देते हैं ! प्रेम बोला – अगर आत्मा की बातें जटिल भी हों , क्या हर्ज़ उन्हें सरलता से देखने में , हर एक चीज़ में जटिलता क्यों खोजें ?प्रकृति बोली – खैर छोडो , ये बताओ आज शाम हम कहाँ जाएंगे ? प्रेम बोला – आज की शाम सेन नदी के नाम ! यह कह वो मुस्कुरा दिया ! प्रकृति बोली – गीत गाओगे ? प्रेम बोला – हाँ ! प्रकृति की आँखों में चमक थी – कौन सा ? प्रेम बोला – ‘चुरा के दिल मेरा …’ ! प्रकृति बोली – ओह ! प्रेम बोला – उस गीत के बोल मुझे बेहद पसंद हैं , लिरिक्स मन को छूता है और उस गीत में एक सीन है – जब देर शाम समुद्र किनारे ….कभी देखना उस गीत को गौर से और सुनना भी ! प्रकृति थोड़ी थक सी गयी थी , जम्हाई लेते हुए बोली – मालूम नहीं , क्या क्या देखना और सुनना होगा ! प्रेम बोला – बहुत कुछ …! उसने प्रकृति के नाकों को उंगली से छूते हुए बोला – मुझे बूट वाली प्रकृति बेहद पसंद ..:)) प्रकृति हल्का इतराती हुई बोली – अच्छा ..:))प्रेम बोला – एक कप और बढ़िया चाय ..हो जाए ! प्रकृति बोली – बहुत चाय पीते हो ! प्रेम बोला – हाँ , बस चले तो हर घंटे ! प्रकृति मुस्कुरा दी ! प्रेम बोला – सुनो , जब तुम चाय के मग को अपने दोनों हाथों से पकड़ , चुस्किओं के बीच मुझे देखती हो …बहुत प्यारी लगती हो !प्रकृति ने टेबल पर ही प्रेम का हाथ पकड़ लिया और बोला – यहीं रह जाएं …पेरिस में …:)) प्रेम बोला – उसी होटल में ..हमेशा के लिए वो कमरा बुक …इतना भी बड़ा रईस मै नहीं …!प्रकृति बोली – फिर तूम बेकार हो ..:(दोनों हंस दिए ! दस बजने को बेताब था ! स्ट्रीट पर चहलकदमी बढ़ गयी थी ! लोग उस बिस्टरो में रुकते और चाय / कॉफ़ी पि कर निकल जा रहे थे ! पर ..प्रेम और प्रकृति वहीँ जमे हुए थे …पेरिस के उस बिस्टरो में …:)) ………………………चाय की चुस्किओं के बीच प्रकृति बोली – आकर्षण से ही प्रेम शुरू होता है ! प्रेम बोला – हाँ ! प्रकृति बोली – तुम पहली नज़र में ही जबरदस्त आकर्षण लेकर आये थे , खुद को रोकना मुश्किल था ! प्रेम बोला – शायद , इसलिए की वह आकर्षण दो तरफ़ा था , जितना तुम्हारे लिए मेरे अन्दर था उतना ही मेरे लिए तुम्हारे अन्दर था – मुचुअल ..शायद यहीं प्रेम पनपता है ! प्रकृति बोली – हाँ …फिर ? प्रेम बोला – सुबह से शाम तक हम कई चीज़ों और इंसान आकर्षण पैदा करते हैं – हर किसी के लिए तो प्रेम नहीं हो पाता ! प्रकृति बोली – ऐसा क्यों ? प्रेम बोला – बहुत सारी वजहें हैं ! प्रकृति बोली – कौन सी वजहें ? प्रेम बोला – समय , स्वभाव , बात , जरुरत , …शायद कई चीज़ें ! प्रकृति बोली – हाँ , कई बार लगता है तुम बिलकुल मेरे जैसे हो ..लेकिन अभी नहीं लग रहा ! प्रेम हंस दिया ! प्रकृति बोली – तुम इतनी सारी बातें कैसे सोच लेते हो ? प्रेम बोला – ये दुनिया तो पुरुषों के लिए बनी , लेकिन ईश्वर ने स्त्री बना पुरुषों की सारी शक्ति ले ली ! प्रकृति बोली – ऐसा कैसे ? प्रेम बोला – दुनिया की सबसे ताकतवर चीज़ औरत का प्रेम होता है – किसी भी रूप में , माँ , बहन , बेटी , प्रेमिका , पत्नी – उसके रूप और प्रेम में इतना ताकत होता है की वह पुरुष के बल और साहस को कई गुना कर सकता है – फिर पुरुष इस सृष्टि का भोग करता है ! प्रकृति बोली – शायद ये दोनों के लिए लागू होता है ! प्रेम बोला – हो सकता है ! प्रकृति बोली – तुम गजब का सुरक्षा लेकर आये थे – ये चीज़ तुम्हारी अनोखी है – एकदम से चौतरफा इमोशनल बाँध देते हो ! प्रेम बोला – शायद सभी पुरुष ऐसा करते होंगे ! प्रकृति बोली – नहीं , ऐसा नहीं है ..कई और कमज़ोर कर देते हैं ! प्रेम बोला – मुझे कभी भी इन्सिक्युरिटी नहीं हुई , लेकिन सामने वाले के मन की चंचलता से भय लगा क्योंकि खुद बहुत एकाग्र रहता हूँ ! प्रकृति बोली – शायद यही इन्सिक्युरिटी है ! प्रेम बोला – बाज़ार है , बेशकीमती इंसान साथ में हो तो भय लगेगा ही ! प्रकृति बोली – फिर , बचाओ , सभालो , मर्द बनो ! प्रेम बोला – पिछले चार साल से कर क्या रहा हूँ ? प्रकृति मुस्कुराते हुए बोली – प्रेम 🙂 प्रेम बोला – प्रेम करना आसान है क्या ? प्रकृति बोली – जितना ये शब्द दिखने में लगता है – उतना ही मुश्किल है – तुम्हे नहीं लगता जैसे तुमने पृथ्वी से भी भारी चीज़ उठा लिए हो ! प्रेम जोर जोर से हंसाने लगा और बोला – अब आदत हो गयी है और जब आदत हो गयी तुम पृथ्वी से भारी तो नहीं लेकिन गुलाब की पंखुड़ी से भी कोमल लगती हो ! प्रकृति खुश हो गयी और बोली – पास आओ , एक किस करूँ ! प्रेम बोला – इतने लोगों के बीच ? प्रकृति बोली – फिर पेरिस क्यों आये , रहना था वहीँ झुमरी तिलैया में ! प्रेम हंसने लगा और बोला – तुम्हारी कई चीज़ें बेहद पसंद ! प्रकृति बोली – मतलब , बाकी चीज़ें नहीं पसंद ? प्रेम बोला – नहीं नहीं ऐसा नहीं है …! प्रकृति बोली – खैर छोडो ..तुम्हे मुझमे क्या क्या पसंद ? प्रेम बोला – तुम बहुत साहसी हो , अन्दर की – तुम्हे पता है – जब मै तुमसे मिला – तुम्हारे बचपन से लेकर अब तक की सारी ज़िन्दगी खुद ट्रेवल कर के देखा – इससे दो फायदा हुआ , तुमको अन्दर से स्वीकार किया , प्रेम मजबूत हुआ और तुम्हारे गुणों को महसूस किया ! प्रकृति बोली – हुजुर ..आगे भी बोलिए ! प्रेम बोला – तुम्हारे ह्रदय और चेहरा का डाइरेक्ट कनेक्शन है , यह आसान नहीं है – ईश्वरीय देन है – इंसान कितना भी कुछ खुद से पा ले – असल आकर्षण तो ईश्वरीय देन ही पैदा करता है ! प्रकृति बोली – बोलते जाओ …मिस्टर आशिक ..रुको मत ! प्रेम बोला – पुरुष हूँ – आखों के माध्यम से आकर्षण और प्रेम आएगा ! प्रकृति बोली – मतलब ? प्रेम बोला -मोनिका बलूची से भी ज्यादा ख़ूबसूरत बनावट है ! प्रकृति बोली – आगे …? प्रेम बोला – एक कप और चाय के बाद – होटल लौटने का मूड बन रहा है ..:))प्रकृती बोली – ओह ….:)) …………..चाय ख़त्म होने के बाद प्रेम ने बिल पे किया ! प्रकृति भी उठ खड़ा हुई और बोली – सुबह से कितनी चाय हुई ! प्रेम बोला – तुमसे एक कप कम ! प्रकृति बोली – तुम सब चीज़ों में मुझसे क्यों कम्पेरिजन करते हो ? प्रेम बोला – अजीब हो , यार ये सब तुम नहीं समझोगी ! प्रकृति बोली – मै सब समझती हूँ , तुम प्रेम हो ..प्रेम ! प्रकृति उसके बेहद नजदीक आ गयी और बोली – सुबह फेस शेव क्यों नहीं किया …वैसे अच्छे दिख रहे हो !दोनों होटल की तरफ निकल पड़े ! प्रकृति बोली – सुनो , तुम कह रहे थे – पुरुष आँखों के द्वारा प्रेम करते हैं फिर अंधे कैसे प्रेम करते हैं ! प्रेम बोला – वो बोलने को बोल दिया – आँखों के द्वारा चाहत पैदा होती है , आकर्षण – प्रेम ह्रदय से किया जाता है ! प्रकृति बोली – वो सब को पता है , कोई नयी बात नहीं है ! प्रेम बोला – प्रेम में इंसान अपनी सभी इंद्रियों का सुख एक ही इंसान से पाना चाहता है । प्रकृति बोली – मतलब ? प्रेम बोला – मतलब यह कि – जब हम दोनो साथ हैं …:)) प्रकृति बोली – ओह …पर अंधे कैसे प्रेम करते होंगे । प्रेम बोला – शायद , उनकी कल्पना शक्ति आम इंसानो से ज़्यादा मजबूत होती होगी , अपनी कल्पना में वो एक तस्वीर बनाते होंगे और उस तस्वीर को अन्य इंद्रियों के साथ मिला कर अपने प्रेम को पूर्ण समझते होंगे । प्रकृति बड़ी मासूमियत से बोली – मालूम नहीं …पर महाभारत की गांधारी याद आ गयी , मालूम नहीं उनकी ज़िद थी या ख़ुद के नसीब से घृणा । प्रेम चुप रह गया । दोनो कमरे में प्रवेश कर गए । प्रकृति बोली – एकदम से थक गए । प्रेम बोला – ऐसा भी नहीं । प्रकृति बेड पर लेट गयी । प्रेम ने टीवी ऑन कर दिया और समाचार देखने लगा । प्रकृति बेड से उठ प्रेम के बग़ल सोफ़ा पर बैठ गयी और बोली – सुनो , सारी दुनिया से पोलिटिक्स और क्रिकेट के गप्प करते हो , मुझसे क्यों नहीं करते ? प्रेम ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा । प्रकृति बोली – यह हँसने की बात नहीं है । प्रेम ने प्रकृति को अपने बाहों में जकड़ लिया । प्रकृति ने फिर उसके होंठों पर अपनी ऊँगली रख दी । टीवी कुछ बोल रहा था । दोनो एक दूसरे से चिपके हुये थे । प्रेम बोला – सबकुछ भूल सकता हूँ पर तुम्हारी ख़ुशबू नहीं , आँखों पर पट्टी बाँध किसी कमरे में छोड़ दिया जाए और अगर तुम आस पास हो फिर ख़ुशबू के सहारे तुम तक पहुँच सकता हूँ । प्रकृति मुस्कुरा दी और बोली – कुत्तों वाली गंधशक्ति लेकर पैदा लिए हो । प्रेम बोला – शायद और भी बहुत कुछ । प्रकृति बोली – जैसे ? प्रेम बोला – कुत्तों वाली वफ़ादारी भी । प्रकृति और ज़ोर से चिपक गयी । …………..’ तुम कभी मुझे सिनेमा नहीं दिखाते 🙁 ‘ प्रकृति थोड़ा शिकायत लहजे में बोली । प्रेम हाथ में टीवी का रिमोट नचाने लगा और बोला – मालूम नहीं , सिनेमा मुझे कभी आकर्षित नहीं किया – हमेशा यही लगा – ये सिनेमा के पर्दे पर दिख रहा रोमांस असल नहीं है । प्रकृति ने प्रेम के हाथों से रिमोट छीन ली और बोली – तुम एकदम बोर आदमी हो । प्रेम हँसने लगा । प्रकृति बोली – चलो , आज मैं तुम्हें सिनेमा दिखाती हूँ । प्रेम बोला – हमारी कहानी किसी सिनेमा से कम है …क्या ? प्रकृति बोली – एकदम बकवास । प्रेम फ़िर हँसने लगा । प्रकृति ने अपना सर प्रेम के ऊपर रख दिया । प्रेम उसकी ख़ुशबू महसूस करने लगा । प्रकृति अचानक से अपना सर प्रेम के ऊपर से हठा पूछी – तुम अब ग़ुस्सा नहीं होते हो , कहीं तुम्हारा प्रेम कम तो नहीं हुआ ? प्रेम चुप रह गया । प्रकृति थोड़ा बेचैन होकर फिर से पूछी – कुछ बोलो …न । प्रेम ने जवाब दिया – तुम मेरी सबसे बेशक़ीमती जान हो । प्रकृति बोली – जान तो एक ही होती है , ऐसे बोल रहे हो जैसे ढेर सारी जान हों और मैं उनमें से सबसे बेशक़ीमती हूँ । प्रेम बोला – वो बात नहीं , कहने का मतलब मैं तुमसे बेपनाह मुहब्बत करता हूँ । प्रकृति बोली – फिर ? प्रेम बोला – इंसान सहम जाता है । प्रकृति बोली – मतलब । प्रेम बोला – भय के साथ ठिठुरना । प्रकृति बोली – किस बात का भय ? प्रेम बोला – तुम्हें खोने का भय । प्रकृति बोली – क्या बकवास बात है । प्रेम कमरे के बालकोनी के तरफ़ चला गया – सिगरेट जलाते हुए बोला – तुम नहीं समझोगी । प्रकृति पास आ गयी , वो अचानक से मासूम होकर प्रेम को पीछे से पकड़ ली और बोली – क्यों करते हो मुझसे इतनी मुहब्बत , अब तुम्हारे मुहब्बत से मुझे डर लगता है । प्रेम बोला – शायद , कई बार भय ठीक होता है – इंसान एक दूसरे से चिपके तो होते हैं , वरना भयमुक्त इंसान क्या क्या तोड़ दे , उसे ख़ुद नहीं पता । प्रकृति बग़ल में आ गयी – सिगरेट का एक कश मुझे भी लेना है । प्रेम हंस दिया । प्रकृति फिर से चिपक गयी । दोनो साथ साथ कमरे में टहलने लगे । प्रकृति ने बोला – सुनो , मुझमें तुमको सबसे अच्छा क्या लगता है ? प्रेम मुस्कुराने लगा – कान में बोलूँगा । प्रकृति भी मुस्कुराने लगी – फ़ालतू बात मत करो । प्रेम थोड़ा सिरीयस होकर बोला – तुम्हारे अंदर वो अहंकार नहीं है जो अन्य लड़कीयों को होता है , शायद इसी वजह अनजान बहुत जल्दी नज़दीक आ जाते होंगे , मुझे कभी यह एहसास ही नहीं हुआ की मैं एक मशहूर नृत्यांगना से बातें कर रहा हूँ । प्रकृति बोली – सब ऐसे ही होते हैं । प्रेम थोड़ा ग़ुस्से में आ गया – कई बार बोल चुका हूँ , सब एक जैसे नहीं होते । प्रकृति बोली – ठीक है ..बाबा , सब एक जैसे नहीं होते – अब आगे बोलो । प्रेम बोला – मूड नहीं है । प्रकृति बोली – चाय पीयोगे ?, प्रेम मुस्कुरा दिया – हां , चीनी मत डालना , उसे थोड़ा जूठा कर देना …:))प्रकृति बोली – पागल हो …प्रेम बोला – प्रेमी हूँ …:)) ……………….दोनों बेड पर आ गए – अपने अपने चाय मग के साथ ! दोनों खूब चाय पीते थे – दोनों खूब गप्प करते थे – दुनिया जहान से लेकर , अपनी रोज मर्रा की ज़िन्दगी तक ! प्रेम ने टीवी का वोल्यूम कम कर दिया ! प्रकृती बोली – आज लंच का मूड नहीं है ! प्रेम बोला – हाँ , आज दोपहर यही रूम में बिताते हैं ! प्रकृती बोली – और पेरिस ? प्रेम हंस दिया और बोला – पेरिस घुमने कौन आया है , मुझे तो बस तुम्हारे साथ कुछ पल रहना था ! प्रकृती बोली – अजीब हो , तुम्हारा प्रेम कभी घटता नहीं ? प्रेम चुप रह गया ! प्रेम बोला – कभी कभी तुमसे बहुत सारी बातें करने का मन करता है ! प्रकृति बोली – जैसे ? प्रेम बोला – जैसे …बहुत कुछ ..सब कुछ ! प्रकृति बोली – रोका कौन है ..करो न ! प्रेम बोला – शायद हम सभी के अन्दर एक और इंसान होता है , जिसे हम मन कहते हैं – वह मन किसी और इंसान के मन से मिलना चाहता है , उससे अपनी बात कहना चाहता है ! प्रकृती मुस्कुरा दी और बोली – हाय रे …मेरे मन के साथी 🙂 प्रेम को गुस्सा आया और बोला – इसलिए ही मै तुमसे कुछ नहीं कहता , मै आम के मोड़ में रहता हूँ , तुम्हे इमली पसंद ! प्रकृती भी गुस्सा गयी – तो खोज लो …कोई आम वाली ! प्रेम मुस्कुरा दिया – इसी धमकी पर हम फ़िदा हैं ! प्रकृती बोली – कब तक ? प्रेम बोला – जब तक है ..जान ! प्रकृती करीब आ गयी और बोली – सुनो , मुझे एक बढ़िया इंसान बनना है ! प्रेम बोला – मतलब ? प्रकृती बोली – मतलब की कोई गैर कोई खोट न निकाले ! प्रेम बोला – मुझे तो तुममे कोई खोट नज़र नहीं आता ! प्रकृती बोली – प्रेमी अँधा होता है पर सबसे ज्यादा खोट तुम ही निकालते हो :/ प्रेम बोला – ओह …! प्रकृती बोली – ओह ..क्या ? प्रेम बोला – कुछ भी नहीं !प्रकृती समझ गयी – प्रेम का मूड ऑफ हो गया है ! वह उसके पास आ गयी और उसके बालों में अपनी उंगली फेरने लगी ! प्रेम मुस्कुरा दिया ! प्रकृती मुस्कुराते हुए बोली – तुम कुछ देर तक क्यों नहीं रूठते हो , तुरंत मान जाते हो ? प्रेम बोला – जब मान ही जाना है , फिर देर तक रूठने का फायदा ? दोनों हंस दिए !प्रकृति बोली – सुनो , कभी हम दोनों इण्डिया साथ चलेंगे, मुझे ताजमहल देखना है ! प्रेम बोला – कब ? प्रकृति बोली – जब जोर की तमन्ना जागेगी ! प्रेम मुस्कुरा दिया – पता है तुम्हे …तुम अक्सर डिजायर की बातें करती हो और मै इस डिजायर वाली बातें महसूस करता हूँ ! प्रकृति बोली – मतलब ? प्रेम बोला – दो रूहों का खेल महसूस की हो ? प्रकृति अचानक से उठ कर बैठ गयी – कौन सा खेल ? प्रेम बोला – एक डिजायर / तमन्ना रूह से पैदा होती है और दुसरे रूह तक पहुंचती है – और दूसरा रूह उसे महसूस करता है फिर वो वैसा ही करता है जो पहले रूह की चाहत होती है !प्रकृति बोली – मालूम नहीं …तुम क्या क्या महसूस करते हो …! प्रेम बोला – महसूस तो तुम भी करती होगी ! प्रकृति बोली – मै नहीं महसूस करती और मुझे जोर की नींद आ रही है ! प्रेम हंस दिया – पास आओ …मेरे बिलकुल पास …बढ़िया नींद आएगी ! प्रकृति मुस्कुराते हुए प्रेम की बाहों में सिमट गयी ! और प्रेम की उँगलियाँ प्रकृति की बालों में थी – प्रेम ने धीरे से बोला – तुम भी ..न ..ज्यादा देर नहीं रुठती हो , तुरंत मान जाती हो ! प्रकृति से उसे तिरछे नज़र से देखा – किसने कहा ..मै मान गयी हूँ …!प्रेम ने बोला – तुम्हारी आँखें ..:))प्रकृति ने आँखों को मूँद – मुस्कुराने लगी ….अब बोलो !प्रेम ने कहा – ये तुम्हारे होठं …दोनों पेरिस में थे ! दोनों दोपहर में थे ! दोनों एक दुसरे की बाहों में थे ! रूहों का खेल शुरू हो चूका था – ना उसे पता था और ना उसे ! फिलहाल दोनों के जिस्म एक दुसरे की खुशबू से तरबतर थे ….दोपहर की नींद के आगोश में …:)) …………दोनों गहरी नींद में थे और करीब दो बजे प्रकृति की नींद खुली – उसे जोर की भूख लगी – उसने प्रेम को जगाया ! प्रेम थोड़ी देर और सोने के मूड में थे ! उठ उस बीएड पर बैठ गया और बोला – खुद ही कुछ खाने का ऑर्डर कर दो ! प्रकृति ने कहा – नहीं , तुम ऑर्डर करो ! प्रेम ने इंटरकॉम लगाया और ‘चिकेन फ्राईड राईस’ बोला ! प्रकृति बोली – यहाँ पेरिस में भी चाईनीज खाओगे ? प्रेम मुस्कुरा दिया ! चिकेन फ़्राइड राईस आ चूका था ! प्रकृति को जोरो की भूख – उसने चम्मच को प्लेट की तरफ बढ़ाया ! प्रेम ने रोक दिया ! प्रेम खुद से चम्मच में चिकेन राईस डाला और प्रकृति के मुह में डालने लगा ! प्रकृति ने आँखें बंद कर मुह खोल ली ! प्रेम उसको निहारने लगा ! प्रकृति का पहला कौर ख़त्म हुआ और बोली – कब तक यूँ ही प्रेम करोगे ? प्रेम मुस्कुरा दिया और बोला – सातों जनम ! प्रकृति हंस दी और बोली – और ..कल ही लड़ने लगोगे ! प्रेम बोला – वो लड़ने का हक भी तुम्ही ने दिया है ! प्रकृति मुस्कुरा दी और बोली – कोई हक वक मैंने नहीं दिया है , अपनी सीमा में रहो और फिलहाल मुझे अपने चम्मच से खिलाओ – बहुत बढ़िया लग रहा है …बहुत ही बढ़िया 🙂 प्रेम पूछा – चिकेन फ्राइड राईस बढ़िया लग रहा है या मेरे खिलाने का अंदाज़ ? प्रकृति ने अपना हाथ अपने सर में रखते हुए बोला – हे भगवान् , तुम तो बिलकुल डम्ब हो ..! प्रेम बोला – यह बात तुम्हे पहले दिन ही समझ लेनी थी की मै कितना डम्ब हूँ ! प्रकृति बोली – तब मै भी डम्ब थी ! दोनों जोर से हंसने लगे ! प्रेम ने पानी का ग्लास प्रकृति की ओर बढ़ा दिया !
प्रेम बोला – जानती हो ? प्रकृति बोली – क्या ? प्रेम बोला – लडके बिना प्यार के भी यह जता देते हैं की वो प्यार कर रहे हैं और लड़कियाँ प्यार कर के भी ऐसे बोलेंगी जैसे वो प्यार नहीं कर रही ! प्रकृति बोली – यह किस बात पर ऐसा बोले ? प्रेम बोला – बिलकुल डम्ब हो ! फिर दोनों जोर से हंसने लगे !
प्रेम बोला – एक सिगरेट जला लूँ ? प्रकृति बोली – कब छोड़ेगे , सिगरेट ? प्रेम बोला – पता नहीं ! प्रेम सिगरेट के साथ कमरे के बालकोनी में चला गया ! प्रकृति भी पीछे – उसने प्रेम को पीछे से जोर से पकड़ लिया ! प्रकृति ने पूछा – तुम मुझे कब कब मिस करते हो ? प्रेम बोला – हर वक़्त , जब पास नहीं होती ! प्रकृति बोली – सच बोलो ..न ! प्रेम बोला – सच ही बोल रहा हूँ ! प्रकृति बोली – जोर से कब कब मिस करते हो ? प्रेम बोला – चार बार , सुबह जागने के समय – , तुम्हारे नाश्ते के समय , तुम्हारा लंच टाईम और रात सोने के समय ! प्रकृति बोली – बस ..चार बार ? प्रेम बोला – अभी बोला ..हर वक़्त मिस करता हूँ तो तुमको विश्वास नहीं हुआ , फिर जोर से चार बार की बात की तो ..अब शिकायत …तुम भी ..न …गजब हो 🙂 प्रेम ने प्रकृति को जोर से पकड़ किस किया ! प्रकृति ने बोला – आज शाम हम कहाँ चलेंगे ? प्रेम बोला – सेन नदी के किनारे एक नौका है उसपर एक रेस्त्रां है – वहीँ डिनर करेंगे ! प्रकृति बोली – सच ? प्रेम मुस्कुराते हुए बोला – हाँ ..बिलकुल सच …तुम्हारी तरह सच 🙂 प्रकृति ने प्रेम को जोर से पकड़ लिया और पूछा – कब चलेंगे ? प्रेम बोला – शाम सात बजे और मैंने टेबल रिजर्व कर रखा है ! प्रकृति बोली – तब तक हम क्या करेंगे , अभी बहुत समय है ! प्रेम बोला – एक नींद और मारेंगे 🙂 प्रकृति बोली – अब और नहीं सोना .:)
दोनों एक दूसरे की आँखों में हैं ! दोनों बिलकुल खोये हुए ! दोनों वर्तमान में हैं ! दोनों एक ही पल में हैं ! प्रेम और प्रकृति थे – प्रकृति से उपजा प्रेम …..
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तुम्हें मुझमें क्या अच्छा लगता है – प्रकृति बिछावन पर लेटे हुए पूछी । बग़ल में ही प्रेम भी था – दोनो एक ही तकिया पर सर रखे छत को देख रहे थे । प्रेम बोला – तुम गुलाबी हो । प्रकृति बोली – और ? प्रेम बोला – बहुत कुछ । प्रकृति बोली – जैसे ? प्रेम बोला – ज्ञान , शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिसपर मैंने तुमसे चर्चा की हो और तुम्हें उसका ज्ञान न हो , ये बात बहुत अच्छी लगती है । प्रकृति बोली – और ? प्रेम बोला – तुम्हारे चेहरे की चमक , क़ुदरती है , भव्यता है , दुर्गापूजा के अष्टमी के दिन वाले मूर्ति की भव्यता , भव्यता मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है । प्रकृति बोली – और ? प्रेम बोला – मासूम हो । प्रकृति बोली – रुको मत , बोलते जाओ । प्रेम बोला – बेहद ख़ूबसूरत हो , मैंने कभी गुलाबी रंग वाली इंडियन नहीं देखी , कोई भी पुरुष तुम्हारे साथ ख़ुद के ग़ुरूर को नहीं रोक नहीं पाएगा । प्रेम चुप हो गया । प्रकृति भी थोड़ी देर चुप हो गयी फिर बोली – रुको मत …बोलते जाओ । प्रेम बोला – तुम्हारी ख़ूबसूरती में अबोधता है – एक चुटकी नटखट अन्दाज़ के साथ 🙂 कभी कभी सोचता हूँ – ईश्वर ने किसी चीज़ की कमी नहीं की है – दिमाग़ भी बेहतरीन है । सबसे अच्छी बात तुम एक सच हो :)) प्रकृति बोली – मतलब ? प्रेम बोला – मालूम नहीं , कई बातें महसूस की जाती है लेकिन बोली नहीं जाती लेकिन एक बात आज तक समझ में नहीं आयी । प्रकृति बोली – क्या ? प्रेम बोला – तुमसे ज़्यादा नेचुरल इंसान नहीं देखा , पर तुम्हें फ़ेक चीज़ें कैसे आकर्षित करती हैं ? प्रकृति बोली – जैसी मैं हूँ वैसा ही किसी ग़ैर को समझती हूँ – शायद वही धोखा है । प्रेम बोला – हां , हो सकता है । प्रेम ने प्रकृति को एक चुम्बन किया और बोला – आज मैं तुम्हारे लिए चाय बनाता हूँ 🙂 प्रकृति बोली – परम आनंद …:)) प्रेम बोला – तुम्हारी ख़ूबसूरती के कई रूप हैं , मुझे एक रूप बेहद पसंद – जब तुम चाय के मग को दोनो हाथों से पकड़ मुझे देखती हो – बेहद लुभाती हो । प्रकृति हंस दी और बोली – तुम भी न जाने क्या क्या ग़ौर करते हो और क्या क्या बोलते हो 🙂 प्रेम बोला – ठीक है …अब नहीं बोलूँगा । प्रकृति ने अपनी भौं तानी और बोली – अरे …मैंने कब ऐसा कहा । प्रेम हंस दिया । प्रकृति बाथरूम के तरफ़ निकल पड़ी । प्रेम चिल्लाया – कौन सी चाय लोगी , दार्जिलिंग या आसाम ? प्रकृति बाथरूम से ही ज़ोर से बोली – मुझे चाय नहीं पीना है । फिर बुदबुदाने लगी – जब देखो …चाय …एकदम देहाती । प्रेम सुन लिया और ज़ोर से हँसने लगा और बोला – तुम्हारे मुँह से देहाती सुनना बढ़िया लगता है – एक ऐसे इंसान को देहाती बोलती हो जो दुनिया का सारा कोना छान रखा हो । प्रकृति बोली – चाँद पर भी चले जाओगे , रहोगे देहाती । प्रेम और ज़ोर से हँसने लगा । चाय की इलेक्ट्रिक केटली ऑन थी । पानी और प्रकृति दोनो उबल रहे थे – प्रेम ने दोनो मग में चाय रख दी – टीवी ऑन कर दिया । प्रकृति स्नान कर के बाहर निकली …प्रेम हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ – गुलाबी रंग के बाथरॉब में गुलाबी गुलाब की सुगंध और ख़ूबसूरती के साथ भिंगे बाल ….प्रेम बोला – अद्भुत …प्रेम बोला – तुम्हे पता है …दुनिया की सबसे शक्तिशाली चीज़ ? प्रकृति बोली – शायद एक पुरुष का दिमाग ! प्रेम बोला – नहीं , एक अत्यंत खुबसूरत स्त्री ! प्रकृति बोली – कैसे ? प्रेम बोला – एक बेहद शक्तिशाली दिमाग भी एक बेहद खुबसूरत स्त्री के सामने काम करना बंद कर देता है ..:)) दोनों जोर से हंसने लगे !
प्रकृति सचमुच बेहद खुबसूरत दिख रही थी – नहाने के बाद उसकी खूबसूरती और निखर से सुगन्धित हो रही थी ! प्रेम बस निहार रहा था – चुप था …बस देखे ही जा रहा था ! मन ही मन सोच रहा था – खूबसूरती तो बस महसूस करने की चीज़ है …शब्दों में बयाँ बेईमानी है …पर अगर बयां नहीं हो फिर भी दिक्कत है …वो मेरी आँखों में ही खुद क्यों नहीं अपने पसंद के शब्द चुन लेती है …मेरे शब्द पुष्प बन चुके हैं …कौन सा पुष्प उसे अर्पित करूँ …मेरे वश का नहीं …यही कुछ सोचते सोचते उसने चाय के मग को …प्रकृति की तरफ बढ़ा दिया …इस आशा के साथ की …प्रकृति अपनी खूबसूरती प्रेम की आँखों में देख सके …
प्रकृति ने अपने अंदाज़ में …चाय के मग को दोनों हाथों से पकड़ बोला – सच्चे आशिक हो ..मेरी पसंद की चाय तक बनाना सिख लिए …
प्रेम मुस्कुरा दिया …प्रकृति हंस दी …फिर बड़े आराम से प्रकृति ने पूछा – तुमने चिकेन फ़्राईड राईस ही क्यों मंगवाया ? प्रेम बेहद सहज अंदाज में बोल गया – मेनू में सबसे सस्ता वही था …और हंस दिया ! दोनों फिर हंस दिए ! दोनों हंसते बहुत है …शायद यही है उनका प्यार ….:))
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प्रेम ने प्रकृति को उस कमरे में रखे ख़ुद के सामने के सोफे पर बैठने को कहा ! प्रकृति बोली – अरे , बालों को तो सुलझा लेने दो ! प्रेम बोला – रहने दो , ऐसी ही बेहद खुबसूरत दिख रही हो ! प्रकृति मुस्कुरा दी ! प्रेम बोला – मुझे बहुत कहना है ! प्रकृति बोली – इतनी तो बातें करते हैं , फिर भी क्या बाकी रहता है , कहने को ? प्रेम बोला – बहुत कुछ 🙂 प्रेम बोला – मुझे भी दर्द होता है , तुम्हारी बातों ! प्रकृति बोली – मैंने ऐसा क्या कहा जिससे तुम्हे दर्द होता है ! प्रकृति हलके मजाक अंदाज़ में थी ! प्रेम बोला – मजाक मत करो , मुझे जो कुछ कहना हो , कह लो , जितना गाली देना है , दे लो लेकिन मेरे अन्दर तुम्हारे लिए जो भावना है , उसपर कभी सवाल मत उठाना ! प्रकृति बोली – सच बोलूं ? प्रेमा बोला – बोलो ! प्रकृति बोली – अगर सवाल ही होता तो शायद मै इस जगह इस वक़्त तुम्हारे साथ नहीं होती !
प्रेम बोला – तुम मुझसे बहुत ज्यादा प्योर हो , कहो तो मै सामने के एफिल टावर से ऊँची आवाज़ से कह दूँ , लेकिन हमेशा याद रखना की मै एक पुरुष हूँ , तुम्हारी तरह प्योर बना तो ख़त्म हो जाऊंगा ! प्रकृति मुस्कुरा दी और बोली – लेकिन तुमने खुद में जान लगा दी , मेरे ह्रदय को पता है , मेरी जुबान पर मत जाओ ! प्रेम बोला – तुम भी मेरी जुबान पर मत जाओ ! प्रकृति बोली – पास आओ , किस करना है 🙂 प्रेम बोला – तुम पास आओ ! प्रकृति बोली – फिर रहने दो , वहीँ सामने बैठे रहो ! प्रेम हंस दिया – ओखल में जैसे अदरक को कुंचते हैं , ठीक वैसे ही तुम मेरे अहंकार को कुंच देती हो ! प्रकृति जोर जोर से हंसने लगी ! प्रेम सामने था – प्रकृति ने उसे बेहतरीन किस किया ! प्रेम बोला – तुम्हे किस करने में हिचकिचाहट नहीं होती ? प्रकृति बोली – तुम्हारे होठ इतने खुबसूरत है , खुद को रोक पाना मुश्किल है ! प्रेम को मजाक सुझा और बोला – क्या मेरे होठों को देख अन्य महिलाओं को भी ऐसा ही लगता होगा ? प्रकृति बोली – जाओ , सड़क पर खड़ा होकर पूछ लो !
प्रेम बोला – तुम्हे हमारी पहली मुलाकात याद है ? प्रकृति बोली – नहीं 🙂 पर ये बताओ तुम्हे कभी मुझसे उब नहीं हुई ? प्रेम बोला – प्रेम समर्पण खोजता है – आत्मा और शरीर का , वह समर्पण मैंने देखा था उस मुलाकात में – अन्दर से बाहर तक का समर्पण ! प्रकृति बोली – शायद , तुम उस मुलाकात में तुम चारों तरफ से मुझे परास्त कर दिए थे , उस कॉफ़ी शॉप पर , तुम्हारे हाथ में सिगरेट और होठों पर कॉफ़ी – मै एकटक तुमको निहार रही थी ! प्रेम बोला – और तुम्हारा वह समर्पण मुझे हमेशा के लिए परास्त कर दिया :))प्रेम बोला – सबसे मुश्किल है समर्पित अहंकार को फिर से जगाना । प्रकृति बोली – इसकी क्या ज़रूरत है , चुपचाप यहीं रहो – समर्पित :)) प्रेम बोला – पुरुष अहंकार जिसे तुम महिलाएँ मेल ईगो कहती हो , अजीब होता है , शायद तीन जगह ही झुकता है । प्रकृति बोली – कहाँ – कहाँ ? प्रेम बोला – माँ के सामने , बेटी के सामने और तीसरी महिला जिससे वो बेपनाह मुहब्बत करता है , पर तीसरी जगह सबसे ज़्यादा ख़तरा रहता है । प्रकृति बोली – तुम ठीक हो ..न । प्रेम बोला – हां , मैं बिलकुल ठीक हूँ पर यह सवाल क्यों ? प्रकृति बोली – अजीब अजीब सी बातें कर रहे हो । प्रेम बोला – मन में यही सब चलता रहता है , कभी किसी स्त्री से इतना नज़दीक नहीं हुआ । प्रकृति बोली – मुझे भी देखना था , एक पुरुष कैसे डूब कर प्रेम करता है । प्रेम बोला – ओह , तुम बस देखने के लिए ही मुझे इतना डूबा दी । प्रकृति बोली – ओह माई गॉड , तुम हर बात पकड़ते हो , बहुत निगेटिव इंसान हो । प्रेम बोला – मेरे बारे में चार साल बाद पता चला ? प्रकृति – ओह नो , फिर तुम बात पकड़ लिए । प्रेम बोला – चलो कोई बात नहीं , हम एक दूसरे की बात नहीं पकड़ेंगे । प्रकृति बोली – नहीं नहीं , तुम मेरी बात को माईँड नहीं करोगे लेकिन तुमको कोई भी इजाज़त नहीं । प्रेम हंस दिया – जो हुक्म मेरे आका , बेवफ़ाई करो तो रो रो के जान दे देते हैं , वफ़ा करो तो रुला रुला कर जान ले लेते हैं – शायद इसी को मुहब्बत कहते हैं …:)) प्रकृति मुस्कुरा दी । प्रेम सिगरेट और लाइटर के साथ बाल्कोनी में था – एफ़िल टावर को नीचे से ऊपर और ऊपर देखने लगा । शांत था । प्रकृति बेचैन हो गयी – वो प्रेम को देखने लगी ।
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प्रेम बालकोनी में खड़ा सिगरेट के धुएं के छल्ले बना रहा था ! प्रकृति वहीँ पास थी – शांत थी ! प्रकृति ने पूछा – तुम्हे मुझसे क्या मिला ? प्रेम थोडा हैरान हुआ फिर बोला – धैर्य , मैंने धैर्य रखना सिखा ! प्रकृति बोली – और ? प्रेम बोला – प्रेम एक कल्पना होती है , उसे हकीकत में जिया ! प्रकृति बोली – और ? प्रेम बोला – सबसे बड़ी बात , एक औरत का मन देखा ! प्रकृति बोली – उस मन में क्या देखा ? प्रेम बोला – सच बोलूं ? प्रकृति बोली – ओफ़्कौर्से ! प्रेम मुस्कुरा दिया और बोला – उस मन में एक संदूक देखा ! प्रकृति बोली – फिर ? प्रेम बोला – उस संदूक में एक ताला था ! प्रकृति बोली – बोलते जाओ ! प्रेम बोला – उस ताले को पल भर में खोल दिया , लेकिन उस संदूक में सबकुछ था ! प्रकृति बोली – सबकुछ मतलब ? प्रेम जोर से हंसने लगा ! प्रकृति बोली – हंसो मत , मै अभी सीरियस हूँ ! प्रेम बोला – उस संदूक में ढेर सारे सांप बिच्छू थे – और उनके बीच एक मोती था ! प्रकृति बोली – तुम्हे सांप बिच्छू ने काटा नहीं ? प्रेम बोला – बहुत काटा ..बहुत ..कभी मेरे संदूक को खोलोगी तब पता चलेगा ! प्रकृति बोली – मुझे तुम्हारा संदूक नहीं खोलना , फिलहाल तुम मेरे संदूक के बारे में बोलो ! प्रेम बोला – जिद थी , इस बार किसी सांप बिच्छु से नहीं डरना है ! प्रकृति बोली – फिर ? प्रेम बोला – क्या फिर ? अब तुम सामने हो 🙂
प्रकृति बोली – हिम्मत वाले हो ! प्रेम बोला – प्रेम ने हिम्मत दे दिया !
प्रेम बोला – प्रेम की कल्पना कितनी आसान होती है और प्रेम करना कितना मुश्किल होता है ! प्रकृति मुस्कुरा दी ! प्रेम बोला – तुम्हे मुझसे क्या मिला ? प्रकृति हंस दी ! प्रेम बोला – जो भी है सच बोलो ! प्रकृति हंस दी और बालकोनी से कमरे की तरफ मुड़ते हुए बोली – मुझे कुछ नहीं मिला 🙂 प्रेम बोला – यह जबाब मेरी आशा के अनुरूप था ! प्रकृति कमरे के सोफे पर बैठ जोर जोर से हंसने लगी ! प्रेम चुप था ! प्रकृति बोली – बाबु के मेल इगो को ठेस पहुंची क्या ? प्रेम बोली – अब इगो बचा ही कहाँ है जो ठेस पहुंचेगी ! प्रकृति और जोर से हंसने लगी – पास आओ तुम्हारा इगो जिन्दा कर देती हूँ ! प्रेम बोला – कैसे ? प्रकृति बोली – पहले पास तो आओ ! प्रेम प्रकृति के पास चला गया ! प्रकृति बोली – तुमने सब कुछ पवित्र दिया , सकरात्मक या नकरात्मक ! प्रेम बोला – मतलब ! प्रकृति बोली – तुम्हारे प्रेम ने ताकत दी है , मेरा ये हँसता हुआ चेहरा दिया है , मुझे चहकने को खुला आसमां दिया है ! प्रेम बोला – तो क्या इस बात को लॉक कर दिया जाए ? प्रकृति – हाँ बाबु …लॉक कर दो और अपने मन के समुन्दर में फेंक दो ! प्रेम बोला – मन का समुन्दर तो स्त्री के पास होता है , हम पुरुष तो सूखे तालाब की तरह होते हैं , जिसमे तुम जैसी रूपवती स्त्री अपने बारिश से उसको लबालब भर देती हो ! प्रकृति बोली – समुन्दर में मिल जाओ ! प्रेम बोला – दुबारा ? फिर दोनों जोर से हंसने लगे !
प्रेम बोला – तुम बेहद खुबसूरत हो ! प्रकृति बोली – तुम्हारे आँखों में मुहब्बत का चश्मा लगा है इसलिए मेरी खूबसूरती दिख रही है , जिस दिन यह चश्मा उतर जाएगा , तुम्हारे शब्द गायब हो जायेंगे ! प्रेम थोडा उदास हो गया और बोला – प्लीज़ , ऐसा मत बोलो , क्या मेरे लिए जब तुम्हारा आकर्षण ख़त्म हो जाएगा – क्या उस दिन मै गलत इंसान हो जाऊंगा ! प्रकृति बोली – शायद कभी नहीं , तुम मेरी जिंदगी में रहो या नहीं रहो लेकिन तुम मेरे लिए हमेशा एक बेहद खुबसूरत दिल के राजकुमार ही रहोगे – जो मुझसे खूब डरता है और जिससे मै बिलकुल नहीं डरती ! प्रकृति फिर जोर से हंसने लगी ! प्रेम बोला – डरना गुनाह है , क्या ? प्रकृति बोली – यह एक प्रेमिका के सर पर प्रेमी द्वारा पहनाया हुआ ताज है ! प्रेम बोला – डर वो भी ताज के रूप में – वाह रे फिलोसोफी , तुम इतनी बड़ी कब हो गयी ? प्रकृति बोली – मतलब ? प्रेम बोला – कुछ नहीं !
घडी में पांच बजने वाले थे ! प्रकृति अपने मेकअप के सामान के साथ और बोली – कल रात फिर तुमने मेरी बैग में कुछ खोजा है – सारा सामान अस्त व्यस्त है – तुम्हारी जासूसी की आदत गयी नहीं ! प्रेम बोला – अजीब इंसान हो , जिसके शरीर में कितने तिल हैं वो बता सकता हूँ लेकिन उसका बैग नहीं टटोल सकता ! प्रकृति बोली – गलत आदत ! प्रेम बोला – हद हाल है , बाई द वे – बैग में मुझे मिलेगा क्या ? प्रकृति बोली – जैसे चुपके से मेरे मन को टटोलते हो वैसे सब कुछ देखने की आदत है ! प्रेम बोला – हाँ , वही सांप बिच्छु वाला मन पर मोती मेरे पास है ! प्रकृति ने बिछावन पर पड़े तकिये को उठा प्रेम पर चला दिया ! प्रेम जोर जोर से हंसने लगा फिर बोला – कल रात जब मै सो गया गया था तो मेरे मोबाईल में क्या खोज रही थी ? प्रकृति बोली – मैंने तुम्हारा मोबाइल टच भी नहीं किया – वो बस फ़ालतू का अलार्म बजने लगा तो मैंने अलार्म बंद कर दिया – मै तुम्हारी तरह घटिया , चिप और देहाती नहीं हूँ , दूसरों का बैग टटोलने वाला ! प्रेम हंसने लगा – घटिया , चिप और देहाती …कुछ नए एडजेक्टीव जुड़ने चाहिए , वैसे अंग्रेजी भी चलेगा , वैसे मुझे गाली बढ़िया लगती है ! प्रकृति बोली – तुम्हे क्या नहीं पसंद ? प्रेम सीरियस हो गया ! प्रकृति अपने आँखों में आईलाइनर लगाने लगी ! प्रेम उसके पीछे खड़ा हो गया – जोर से पकड़ लिया और धीरे से बोला – मुझे इग्नोर होना नहीं पसंद !
प्रकृति की आँखें भर गयी …आईलाइनर के संग भरी आँखें …धीरे से बोली …तुमने मुझे कभी इग्नोर नहीं किया है …हमेशा स्पेशल बना के रखे …सारी ताकत वहीँ से मिली …यही सुनना चाहते थे ..न ! दोनों बिल्कुल एक दुसरे से चिपके हुए थे …इस बार जिस्म के बगैर …दोनों की रूहें चहचहा रही थी …बालकोनी से एफिल टावर कमरे के अन्दर तक झाँक रहा था …
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सुनो …मुझके झुमके बेहद पसंद है – प्रेम थोडा जोर से बोला – मैंने तुम्हारे बैग में देखा है ! प्रकृति बोली – तो ..? ‘आज शाम तुम फिरोजी रंग वाली साड़ी और झुमके में डिनर के लिए चलोगी’ – प्रेम अपने बैग से सूट को निकालते हुए बोला ! ‘बहुत डिमांडिंग हो…तुम्हारा वश चले तो ….’ – प्रकृति बोली !
प्रेम बोला – हाँ ..मेरा वश चले तो ..तुम्हे एक बेहतरीन महल में क़ैद कर के रखूं …जहाँ एक परिंदा भी नहीं पहुंचे …और तुम्हारा वश चले तो ? ‘ प्रकृति बोली – प्रेम , खूबसूरती , नजाकत , निगाहें , अपनी अदा ..सबसे बाँध और ढेर सारी बंदिशों में रख …खुद आज़ाद हो जाऊं ! प्रेम बोला – बेहद ज़ालिम हो ! प्रकृति बोली – ऐसी ही हूँ , अब क्या करोगे ? कोई उपाय नहीं है तुम्हारे पास ! प्रेम बोला – मेरे अहंकार को चुनौती मत दो ! प्रकृति बोली – ओह …वही अहंकार जो मेरे मेरे इशारे पर नाचता है ? प्रेम बोला – वो मेरा इश्क तेरे इशारे पर नाचता है …मेरा अहंकार तो तुम्हारे कदमों में हमेशा के लिए समर्पित है 🙂 प्रकृति बोली – प्रकृति खुश हुई …वत्स ..बोलो ..क्या मांगते हो ? प्रेम बोला – “तुम” ! प्रकृति बोली – अजीब मर्द हो ..अब भी विश्वास नहीं की मै तुम्हारी हूँ ? प्रेम बोला – वो मर्द ही क्या जो औरत की जुबान पर भरोसा करे ! प्रकृति बोली – पास आओ …तुम्हारे विशाल मस्तक को चूम लूँ ! प्रेम बोला – प्रेम में डूबा पुरुष एक ही स्त्री से प्रेम के सारे रस पाना चाहता है …जब तुम मेरे फोरहेड को चूमती हो ..ऐसा लगता है जैसे तुम पूरी दुनिया की बुरी नज़र से बचा रही हो ! प्रकृति बोली – हाँ , जब तुम पास होते हो …गजब की सुरक्षा लेकर आते हो …बेफिक्र वाली …ऐसी चीज़ें बहुत कम पुरुष कर पाते हैं …!
प्रेम बोला – ठीक है , हर पुरुष से एक सी अपेक्षा रखना …महिलाओं की मुर्खता है …और यही ट्रैप है ! प्रकृति बोली – वार्डरोब से मेरा सैंडिल निकाल कर लाओ ! प्रेम हंसने लगा और बोला – एक पल में सारा घमंड और फिलोसोफी ख़त्म हो जाता है , जब तुम कुछ ऑर्डर के लहजे में बोलती हो ! दोनों जोर से हंसने लगे ! प्रेम बोला – पता है …सबसे अच्छा क्या लगता है ? प्रकृति बोली – क्या ? प्रेम बोला – जब तुम मुझे बिलकुल ही भाव नहीं देती हो , अपनापन लगता है लेकिन कभी कभी अचानक से तुम्हारे सारे भाव खुद के लिए चाहने लगता हूँ ! प्रकृति बोली – ह्म्म्म….इश्क का बुखार ज्यादा चढ़ गया है …इलाज़ करवाओ ! प्रेम बोला – कहाँ ? फिर दोनों हंसने लगे !
प्रेम ने पूछा – होटल लौट कर एअरपोर्ट जायेंगे या वहीँ डिनर से सीधे निकल जायेंगे ? प्रकृति बोली – वहीँ से सीधे निकल जायेंगे ! थोडा मूड भी ठीक रहेगा और शहर में टैक्सी से घुमने में मजा भी आएगा ! प्रेम बोला – ठीक है , मै होटल से चेकआउट कर लेता हूँ !
दोनों शाम की डिनर के लिए सजने लगे ! फिरोजी रंग की साड़ी में प्रकृति बेहद खुबसूरत दिख रही थी ! प्रेम ने भी ग्रे कलर का सूट पहन रखा था ! टैक्सी होटल के बाहर इंतज़ार कर रही थी ! दोनों कमरे से बाहर निकल लिफ्ट में आ चुके थे – लिफ्ट में लगे आईने में एक दूसरे को देख रहे थे ! प्रकृति बोली – तुम्हे दुनिया के किसी भी कोने में ले जाया जाए – वहीँ फिट बैठेगो ! प्रेम बोला – मतलब ? प्रकृति बोली – कुछ नहीं ! प्रेम बोला – अब मै भी तुम्हारी बातों को समझने का प्रयास नहीं करता ! प्रकृति बोली – वो तो मै तुम्हारे साथ पहले दिन से ही कर रही हूँ ! फिर दोनों हंसने लगे !
टैक्सी में थे ! दोनों के हाथ और उँगलियाँ एक दुसरे से उलझी और जकड़ी हुई थी ! प्रेम बोला – पेरिस से मन भर गया ! प्रकृति बोली – इतनी जल्दी ? प्रेम बोला – लेकिन तुम्हारे साथ से आज तक मन नहीं भरा …तुम्हे मुझसे मिल / बात कर पहला एहसास क्या हुआ था ? प्रकृति बोली – जैसे कोई बचपन का दोस्त …एक ही थाली में खाने वाला …एक सुबह से शाम पल पल साथ रहने वाला …शायद वहीँ इस मुहब्बत की जड़ें मजबूत हुई होंगी ! प्रेम बोला – वो देखो …एक बाईक पर खुबसूरत जोड़ा ! प्रकृति बोली – जोड़े बहुत देखते हो …! प्रेम बोला …हाँ …इंसान जिस भाव में होता है …उन्ही चीज़ों पर ज्यादा गौर फरमाता है …वैसे तुम्हारा कत्थक का नया शो कब होने वाला है ? प्रकृति बोली – तुम्हे याद नहीं ..कई बार तो बताया ! प्रेम बोला – सच में भूल गया ..एक बार और बता दो ! प्रकृति बोली – तुम आओगे ..न ! प्रेम बोला – हर बार आता हूँ …बिलकुल पीछे वाले सीट पर बैठ …तुमको मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करते देखता हूँ …खो जाता हूँ …मै भी ज्वाइन कर लूँ …तुम्हारे गुरु जी का क्लास ? प्रकृति बोली – रहने दो …कथक कम सीखोगे …मुझे डिस्टर्ब ज्यादा करोगे …जितनी दूर हो …उतना ही बढ़िया !
पेरिस की खुबसूरत नदी …सेन का किनारा ! टैक्सी वाले ने गेट खोला …दोनों किस भारतीय राजपरिवार के युवा दम्पति की मुद्रा में उतरे ! प्रेम ने पचास यूरो टिप्स में टैक्सी वाले को दिया और प्रकृति को एक किस किया ! प्रकृति बोली – तुमने उसे पचास यूरो दे डाला ? प्रेम बोला – हाँ , उसने जितनी बढ़िया ढंग से टैक्सी चलाई और जिस अंदाज़ से गेट खोल हमें उतरने को बोला …उस एहसास की एक कीमत होती है …!
प्रकृति बड़े गर्व भरे अंदाज़ से प्रेम को निहारने लगी और बोली – तुम सचमुच में प्रिंस हो …ईश्वर से कामना करुँगी की तुम्हे ढेर सारे पैसों हों ! प्रेम मुस्कुरा दिया और बोला – आगे की ओर बढ़ें …
इस बार किस की बारी …प्रकृति की थी …दोनों उन्मुक्त थे ….पेरिस की गगन में …हंसो का जोड़ा …!
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दोनों क्रूज़ पर आ गए थे ! डेक पर एक टेबल और दो चेयर उनके लिए रिजर्व था ! दो घंटों का सफ़र और डिनर ! सांझ ढलने को बेताब थी – पानी को छूती ठंडी हवा दोनों को छू रही थी ! प्रेम बोला – ये शाल बेहद खुबसूरत है ! प्रकृति बोली – ये मेरी नानी की है , तुम्हे पता है – वो अत्यंत खुबसूरत थीं ! प्रेम बोला – तुमसे भी ज्यादा ? प्रकृति बोली – हाँ , कभी उनकी तस्वीर दिखाउंगी ! प्रेम बोला – और ये नाक पर हर वक़्त तैनात गुस्सा ? प्रकृति मुस्कुराते हुए बोली – मेरी दादी का वरदान ! प्रेम बोला – तब तो मै तुम्हारी दादी की तस्वीर देखना ज्यादा पसंद करूँगा ! प्रकृति हंसाने लगी और बोली – मै इन्डियन खाऊँगी ! प्रेम बोला – यहाँ कढी चावल नहीं मिलता है ! दोनों हंसने लगे !
प्रेम बोला – यहाँ आने के पहले बहुत सारी बातें सोच रखा था , ये बोलूँगा , वो बोलूँगा , सब भूल गया ! प्रकृति बोली – इतना सब कुछ तो सुना दिए , अब क्या रह गया था बोलने को ! प्रेम बोला – बहुत कुछ ! प्रकृति बोली – अब इस क्रूज़ का मजा लेने दो !
वाईन आ चूका था ! दोनों ने टोस्ट किया ! क्रूज़ पर बेहतरीन धुन बज रहा था – कोई फ़्रांसिसी ! डेक से दूर एक डांस फ्लोर था ! प्रकृति की नज़र उसी डांस फ्लोर पर थी ! प्रेम समझ गया – चले , क्या ? प्रकृति बोली – चलो ..न ! दोनों उठ खड़ा हुए ! क्रूज़ पर बैठे – अन्य लोग ताली बजाने लगे ! प्रेम ने एक बटलर को इशारा किया – अब डांस फ्लोर में म्यूजिक सिस्टम से हिंदी सिनेमा वक्त के गीत का धुन – आगे भी जाने न ..तू – बजने लगा ! प्रेम ने अपने हाथों में प्रकृति का हाथ ले कर बेहद हल्का वेस्टर्न डांस शुरू किया ! प्रकृति ने प्रेम के कानो में कहा – तुम्हे इतना बढ़िया डांस भी आता है , कभी बताया भी नहीं ! प्रेम बोला – सब कुछ बोला और बताया भी नहीं जाता – वक़्त मिले तो कर के दिखाया भी जाता है ! प्रकृति मुस्कुरा दी ! बैरे को इशारा की – बैरे ने उसक वाइन ग्लास उसके हाथ में बढ़ा दिया – एक घूँट में वो सारा वाईन ख़त्म कर दी !
दोनों उस गीत के धुन पर थिरकने लगे ! प्रकृति का पाँव लडखडाता तो वो प्रेम की बाहों में झूल जाती ! अब कुछ और भी जोड़े आ चुके थे ! अब दूसरे गीत हम्मा… बजने लगा ! कुछ और जोड़े उस डांस फ्लोर पर आ चुके थे ! प्रकृति अब थोडा थकने लगी थी – वो टेबल की ओर निकल पड़ी और बैठ गयी ! एक इटालियन लड़की आई और प्रेम के संग डांस करने लगी – प्रेम प्रकृति की तरफ देखने लगा – प्रकृति नदी की तरफ – क्रूज़ की रफ़्तार तेज़ हो गयी – प्रकृति को यह संगीत शोर सा लगने लगा !
प्रेम समझ गया – वापस टेबल पर आ गया ! प्रकृति अभी भी सेन नदी को देख रही थी ! प्रेम ने बोला – हेलो ! प्रकृति ने बोला – देखो …यहाँ से पेरिस कितना खुबसूरत दिख रहा है ! प्रेम बोला – तुमसे कम ! प्रकृति चुप रही – वह लगातार नदी की तरफ मुह कर के देख रही थी ! प्रेम ने उसका हाथ माँगा ! प्रकृति ने कुछ जबाब नहीं दिया ! प्रेम बोला – बुरा लगा ? प्रकृति बोली – नहीं , कुछ बुरा नहीं लगा ! प्रेम बोला – झूठ मत बोलो ! प्रकृति चुप रही ! प्रेम बोला – बस ..इतना में इतना गुस्सा , तुमने कभी सोचा है …मै कितना बर्दाश्त करता हूँ !
प्रकृति ने अपना हाथ बढ़ा दिया – प्रेम ने उसकी उनग्लिओं को जोर से पकड़ लिया ! डिनर आ चूका था ! दोनों को पता नहीं था – ये क्या डिनर है ? कुछ है – कह कर दोनों खाना शुरू कर दिए ! क्रूज़ अब तेज हो चूका था !
दो घंटे का सफ़र ख़त्म हो चूका था ! दोनों क्रूज़ से बाहर आ चुके थे – टैक्सीवाला ने उनको अभिवादन किया ! प्रेम मुस्कुराया ! अब दोनों टैक्सी पर सवार एअरपोर्ट की तरफ निकल चले थे ! प्रेम ने प्रकृति का हाथ पकड़ा ! उसे उसका हाथ पकड़ना बहुत अच्छा लगता था ! सड़क पर बेहतरीन गाडीयां ! सन्डे की रात ! प्रकृति ने पूछा – हर बार तुम्हारा फ्लाइट मेरे बाद ही क्यों होता है ? प्रेम बोला – मै ऐसे ही टिकट कटाता हूँ ! प्रेम ने प्रकृति की हाथों को जोर से पकड़ लिया ! फिर दुसरे हाथ से एक अपने कोट के पौकेट से एक अंगूठी निकाला और चुपके से प्रकृति की उंगली में पहना दिया ! प्रकृति अवाक रह गयी ! प्रेम दूसरी तरफ देखने लगा और बोला – किसी भी प्रेम का सिर्फ और सिर्फ एक ही गवाह होना चाहिए – ईश्वर और मै उसी ईश्वर को गवाह मान तुमको हमेशा के लिए अपनाता हूँ ! प्रकृति चुप रह गयी ! बिलकुल चुप थी !
एअरपोर्ट आ चूका था ! टैक्सी का बिल और टैक्सीवाले को टिप्स देकर प्रेम आगे बढ़ा ! उसने प्रकृति को जोर से अपने बाहों में जकड़ा और बोला – जाओ …! प्रकृति अन्दर की तरफ निकल पड़ी ! कुछ दूर चल फिर लौटी ! प्रेम को पकड़ कर एक किस की और बोली – मै तुम्हे बहुत तंग करती हूँ …न …मेरी किसी बात का बुरा मत मानना और मुझे कभी छोड़ना मत …वादा करो ! प्रेम चुप रहा ! प्रकृति उससे लिपटी रही ! प्रेम बोला – बगैर वादा कोई इतना लम्बा सफ़र नहीं तय करता है और मुझे तुमसे क्या वादा करना – वादा तो खुद से किया हूँ ….लेकिन अगर तुमने साथ छोड़ दिया तो ….
प्रकृति मुड गयी …धीरे धीरे एक रानी की चाल में ….प्रेम उसे देख रहा था …उसके पास उसका दिया कुछ नहीं था …सिवाय प्रकृति की खुशबू के ….प्रकृति ने दूर से अपना हाथ हिलाया ….अंगूठी चमक रही थी ….प्रकृति प्रेम की नज़रों से ओझल हो रही थी ….
“हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है …
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है ..हमें ” ………
~ प्रेम और प्रकृति , 15 जनवरी 2016
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Beautifully written.
हर मुलाकात का अंजाम जुदाई ही है…..