ताजिया …

ताजिया …

आज तजिया है ! शहर शहर , गाँव गाँव तजिया निकला होगा ! मेरे गाँव में भी ! बचपन यादों की गली से झाँक रहा है ! कई दिन पहले से तजिया को सजाने का काम शुरू हो जाता था ! लम्बे और खूब ऊँचे तजिया !
“हसन – हुसैन” करते टोली आती थी ! दरवाजे पर ! भाला , लाठी , तलवार से सजाये हुए तजिया ! बाबा के गोद में बैठ दरवाजे पर उन तजिया को देखना ! लाठी भांजने वाले वो युवक ! कभी कोई चाचा / बड़ा भाई भी लाठी भांजता था ! भाले को चमकाना और तलवार युद्ध ! बहुत रोमांच पैदा करता था !
आँगन से दादी आती थी जिस लोटा से शिव को जल , उसी लोटा से तजिया को भी जल ! कोई धर्म नहीं पता , कोई इतिहास नहीं पता ! बस यही पता की आज तजिया है ! हसन हुसैन के शहादत का दिन !
‘शौर्य और शहादत” का दिन ! भोग तो सिर्फ अपना मन और तन लेकिन त्याग / शहादत को कई सदी पुजती है !
शाम होते होते सभी ताजिया का गाँव के पास वाले उस आम के बगीचा वाले खेत में जमा होना , वहीँ किसी ठेला से जिलेबी खाना और फिर इस घमंड से अपने घर वापस आना की – मेरे गाँव वाले तजिया को सबने सबसे बढ़िया कहा !
ज़िन्दगी कहाँ से कहाँ आ गयी लेकिन जब बचपन यादों की गलिओं में झांकता है- न जाने कितने अनमोल खजाने खोज लाता है !
हां , बिहार के मुजफ्फरपुर इलाके में वहां की एक हिन्दू जाति ‘भूमिहार’ भी इस शहादत में बड़े गर्व से अपने तजिया निकालती है या उस जुलुस में उसी परंपरा से शामिल होती है ! टाईम्स ऑफ़ इण्डिया ने कई बार इसकी चर्चा भी की है ! पश्चिमी उत्तरप्रदेश के त्यागी ब्राह्मण / पंजाब के मोह्याल ब्राह्मण को ” हुसैनी ब्राह्मण ” भी कहा जाता हैं क्योंकि यही लोग करबला में हसन हुसैन की रक्षा के लिए गए थे ।
शौर्य / वीर गाथा / शहादत के किस्से – धर्म , जाति , परिवार से ऊपर उठकर – उनके गीत गाये जाते हैं !
सलाम ………हसन हुसैन …!!!!
~ रंजन
“ अयाचक , सैनिक , हुसैनी और सामंती “

ताजिया का ही अपभ्रंश है तज़िया 🙏

2016

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