चाय पर चर्चा और आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है 🙂 ।
माँ बहुत चाय पीती थी । हर वक़्त चाय चाहिए । सो बहुत बचपन से हम दोनों भाई बहन को भी चाय चाहिए होता था । चाय के चक्कर मे बहुत कुछ छूटा है – परीक्षा तक भी – तो उसी चाय के चक्कर मे एक आध हसीन मुलाकात भी हुई है । हा हा हा ।
एक मध्यम वर्ग जिस हद तक के चाय के ब्रांड को अफोर्ड कर सकता है – किया हूँ । लेकिन दार्जिलिंग चाय बेहद पसंद ।
आप जितने रईस , चाय परोसने और उसको रखने के उतने ही रईस ढंग । और चाय परोसने का अंदाज़ आपकी कुलीनता का परिचय भी है । चाय रोमांस है । चाय की चुस्की विचार है । मेरी खुद की कई रोमांटिक लेखनी में दार्जिलिंग चाय जरूर से होती है । मोदी जी खुद “चाय पर चर्चा” से सत्ता में आये ।
चाय की बात हो तो चाय के कप प्याले की भी बात हो । लालू जी मंत्री बने तो चुक्कड़ / मिट्टी वाले कप फिर से फैशन में आये । वरना हम तो स्टील वाले कप में भी चाय पिये है , जिससे होंठ जल जाते थे । कोजी में ढके चाय के सेट और जाड़े की सुबह लॉन में आसाम बेंत की कुर्सियों पर धूप से पाश्मीना शाल में लिपटी पीठ को सेंकना ही असल रईसी है या फिर गाँव मुहल्ले के चौक पर चाय के दुकान पर चाय पीते पीते गप्प में ही किसी की भी सरकार गिरा देना ही बादशाहत है ।
चाय के साथ अलग अलग कॉम्बिनेशन है । चाय और सुट्टा – कॉलेज के छोकरे , अपनी पुरानी जीन्स – बाएं हाथ मे चाय और दाहिने में सुट्टा और एक तीखी निगाह अपनी क्रश पर ।
चाय और बिस्कुट । भारत मे ब्रिटेनिया का मेरी बिस्कुट मध्यम वर्ग की शालीनता का परिचायक है । कहीं कहीं चाय के साथ ‘दालमोट’ भी 😉 भर मुठ्ठी दालमोट और फिर चाय । हा हा हा ।
चाय और रोटी भी सुबह का बेहतरीन नाश्ता होता है । कुछ लोगों को हर वक़्त चाय चाहिए होता है । सुबह नित्य क्रिया के पहले चाय , दाढ़ी बनाने के साथ चाय । नहाने के बाद चाय । दिन के भोजन के बाद चाय । बस चाय चाय और चाय ।
रेल यात्राओं में भी चाय का महत्व है । गरम चाय गरम चाय करते हुए आपकी बोगी में बेचने आया हुआ वो चाय वाला । नही मन करते हुए भी – एक कप लाना । सहयात्री को भी देना और उसके चाय के पैसे खुद देना ही ‘सामंतवाद’ है – पल भर के लिए ही सही 😉
कलकत्ता में महज चार आने का भी चाय पिया हूँ और आज गली मोहल्ले की चाय दस रुपये हो गयी है ।
रुकिए …एक कप चाय पीकर आते हैं :))
~ रंजन ऋतुराज / दालान / 15.12.2018