Devi #Shakti #NavRatra :
~ शक्ति आती है , आपको छूती है , आपसे अच्छे या बुरे कर्म करवाती है और फिर वही शक्ति क्षीण हो जाती है । यह शक्ति किसी इंसान विशेष , परिवार , टोला या मुहल्ले या किसी समुदाय के साथ अटैच हो सकती है । लेकिन शक्ति के विलुप्त होने के बाद भी उसकी आभा अगले कई सेकेंड , मिनट , घण्टे, दिन, महीना , वर्ष , या दसक तक बरकरार रहती है जिसके नशे में पात्र भी रहते हैं और उसकी इज्जत अन्य भी करते हैं लेकिन पात्र को यह समझना होगा कि अब शक्ति जा चुकी है या शक्ति का प्रभाव खत्म हो चुका है ।
~ ईश्वर , प्रकृति के बाद तीसरी जो सबसे बड़ी शक्ति है – वो है समाज । इस समाज के गठन में हजारों साल लगे और विडम्बना देखिए कि यह अधिकांश लोग इसी समाज की शक्ति में फंस कर अपनी ईश्वरीय या प्राकृतिक शक्ति को खो बैठते हैं । जैसे आप ईश्वर और प्रकृति से ऊपर नहीं है , ठीक उसी तरह आप समाज से ऊपर नहीं है । लेकिन समाज की अपनी सीमा है । एक मित्र भारत सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी हैं , लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ कर लौटे हैं । एक दिन मैंने पूछा कि – आएं सर , लंदन के मेट्रो / ट्यूब में सफर करते वक्त भी आप खुद को आईएएस समझ तन के रहते थे , का ? आईआईटियन हैं सो मेरी बात का बुरा तो नहीं माने लेकिन झेंप गए । हा हा हा । फिर भी , आपको समाज की शक्ति को मानना ही मानना होगा । आप जितने लोग सामाजिक पटल पर सफल देखते हैं – वो कोई बहुत हाई आइक्यू के लोग नहीं होते , वो किसी शक्ति के उपासक नहीं होते । उनकी बस यही शक्ति होती है कि वो समाज के फॉर्म्युला को बखूबी जानते हैं और उसमें वो खुद को फिट करना जानते हैं । यह समाज कोई सरकार , संस्था या परिवार हो सकता है ।
और आप सारी समझ रख कर भी दांत चियारते रहते हैं । आपको समाज की प्रकृति को समझना होगा जो इंसानों की प्रकृति से बना है ।
~ लेकिन आपके अंदर एक और शक्ति होती है जो इस फॉर्म्युला को मानने से इन्कार करती है । जब आप अपने से ज्यादा स्थापित शक्ति को चैलेंज करेंगे तो आप या तो कुचल दिए जायेंगे या फिर आप विजेता बनेंगे । तीसरा कोई रास्ता नहीं है ।
हा हा हा …
नवरात्र की ढेरो शुभकामनाएं …ईश्वर ने जो प्रकृति दिया है , उसकी शक्ति के साथ मस्त रहिए :))
: रंजन , दालान