रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग

रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग

Requirement Engineering / Management ?

~ मास्टर डिग्री के अंतिम सेमेस्टर में मैंने काफ़ी पढ़ाई की . इंजीनियरिंग मैनेजमेंट और बाक़ी स्वयं के विषय के कई किताबों को पढ़ा .

नोएडा आने पर मुझे जेपी यूनिवर्सिटी के प्रो नवीन के बारे में पता चला कि उत्तर भारत में वही रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग के एक एकडेमिक एक्सपर्ट हैं , लेकिन मैं मिल नहीं सका . मालूम नहीं क्यों 😐

सन 1997 में नोएडा / अथॉरिटी ने धनबाद / सिंदरी की सरकारी उपक्रम पीडीआईएल और अन्य पीएसयू को सेक्टर 62 में फ्लैट्स बनाने को ज़मीन दी . इसी के नोएडा ऑफिस में मेरा पूर्व सहपाठी सुबीर सिन्हा भी काम करता था और उसका अपना फ्लैट भी था . इस सरकारी कंपनी में क़रीब 95 % स्टाफ सिर्फ़ इंजीनियर ही थे .
~ खैर , सुबीर और श्रीप्रकाश के चलते मुझे इस सोसाइटी में दो कमरों का फ्लैट किराया पर मिल गया . कॉलेज मात्र 1 किलोमीटर दूर रहा होगा .

पीडीआईएल , जिसके 95 % स्टाफ डिज़ाइन इंजीनियर , उनकी अपनी 200+ फ्लैट्स की सोसाइटी . एक से बढ़कर एक धाकड़ इंजीनियर . बेहतरीन हवादार फ्लैट्स 😊

लेकिन पीडीआईएल वालों ने अपने सोसाइटी के अंदर कार पार्किंग की जगह नहीं दी 😃 सन 1997 में नोएडा / अथॉरिटी ने इन्हें ज़मीन दी . सन 2001 तक इनका सोसाइटी बना .
~ कार पार्किंग के सवाल पर इसके कर्ता धर्ता बोले कि सन 1997 तक आम पीएसयू की सैलरी इतनी कम थी की किसी ने स्वयं कार रखने की कल्पना नहीं की .
: सो सोसाइटी का डिज़ाइन बिना कार पार्किंग के हुआ 😐

यह एक अजीब उदाहरण है . डिज़ाइन इंजीनियरिंग की कंपनी और स्वयं के फ़्लैट में कार पार्किंग नहीं . कम्पलीट फेलियर ऑफ़ रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग / मैनेजमेंट 😡

रांची में अंतिम सेमेस्टर लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ाई का निष्कर्ष यही निकला की किसी भी प्रोजेक्ट के सफल होने के पीछे रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग / मैनेजमेंट का बहुत बड़ा हाथ है .

सन 2003/04 में मैंने नोएडा में पहले से निर्मित और इंदिरापुरम में नव निर्मित करीब 50 अपार्टमेंट सोसाइटी देखा . तीन कमरे का फ्लैट लेना था और अधिकतर के तीनो कमरे एक ही पैसेज में खुलते या फिर बेडरूम में जाने के लिए मुझे ड्राइंग रूम डायग्नॉल क्रॉस कर के जाना होता 😐 हम हैरान परेशान की कैसे आर्टिटेक्ट ?

जहाँ फ़्लैट बुक किया , वहाँ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आईआईटी रुड़की और आईआईटी दिल्ली से पास . बेहतरीन 3+1 का फ़्लैट . सब कुछ बढ़िया लेकिन लॉबी इतना छोटा बना दिए की मन उदास . साथ में लिफ्ट इतना छोटा दिए की मेरा किंग और क्वीन खालिस सागवान का आलमीरा ना तो सीढ़ी से उतरा और लिफ्ट का सवाल ही पैदा नहीं हुआ .
~ रेंटर भोग रहा है 😊 लेकिन फ़्लैट में शिफ्ट होने के बाद मैं ख़ुद यह भूल गया की कल को मुझे फ़्लैट ख़ाली करना पड़ेगा तो इतना भारी किंग एंड क्वीन आलमीरा कैसे नीचे जाएगा ?

: ऐसा सिर्फ़ सिविल इंजीनियरिंग में नहीं है बल्कि सॉफ्टवेयर में तो कमजोर रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग / मैनेजमेंट ने काफ़ी गंध मचाया . खरबों डॉलर का फेमस वाईटूके प्रोजेक्ट भी तो इसी का नतीजा था . साठ, सत्तर और अस्सी के दशक में अमरीका डिफेंस और फार्च्यून 500 कंपनी के ख़रबो डॉलर के सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट बर्बाद हुए .
~ बनाना है आम और बना रहे हैं इमली . क्लाइंट का पैसा . मुफ्त का चंदन , घस रघुनंदन 😃

अगर आप इंजीनियरिंग फ़ील्ड से हैं तो रिक्वायरमेंट इंजीनियरिंग / मैनेजमेंट / एनालिसिस को समझिए . नहीं तो क्लाइंट से माई बहिन सुनिए 😂 मेरे एक मित्र को पोलैंड में क्लाइंट जेल में ठूँस दिया था 😆

~ रंजन ऋतुराज , दालान

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