मेरा देस – मेरा गांव – होली पार्ट २

मेरा देस – मेरा गांव – होली पार्ट २

सुबह सुबह किसी ने पूछ दिया – इंदिरापुरम में आप लोग होली कैसे मनाते हैं ? अब हम क्या बोलें – कुछ नहीं – सुबह से पत्नी – दही बड़ा , मलपुआ , मीट और पुलाव बनाती हैं ! दिन भर खाते हैं – ग्यारह बजे अपने फ़्लैट से नीचे उतर कुछ लोगों को रंग / अबीर लगाया – फोन पर् टून् – टून् फोन किया – एसएमएस किया और एसएमएस रिसीव किया – दोपहर में स्कूल – कॉलेज के बचपन / जवानी वाले दोस्तों की टीम आएगी – सभी के सभी बेहतरीन व्हिस्की की बोतल हाथ में लिये – घिघिआते हुए पत्नी की तरफ देखूंगा – वो आँख दिखायेगी – हम् निरीह प्राणी की तरह उससे परमिशन लेकर – दो घूँट पियेंगे – गला में तरावट के लिये – तब तक दोस्त महिम लोग ‘मीट और पुआ’ खायेगा – फिर लौटते वक्त – थोडा बहुत अबीर ! हो गया होली – बीन बैग पर् पसर के टीवी देखते रहिए ! 
मुह मारी अइसन होली के 🙁 
क्या सभ्यता है 🙂 मदमस्त ऋतुराज वसंत में होली – बुढ्ढा भी जवाँ हो जाए – एकदम प्रकृति के हिसाब से पर्व – त्यौहार !  
होली बोले तो – ससुराल में ! जब तक भर दम ‘सरहज – साली – जेठसर ‘ से होली नहीं खेला ..क्या खेला ? और तो और पहली होली तो ससुराल में ही मनानी चाहिए ! ‘देवर – नंदोशी’ से अपने गालों में रंग नहीं लगवाया – फिर तो जवानी छूछा ही बीत गया ! समाज के नियम को सलाम ! मौके के हिसाब से स्वतंत्रा मिली हुई है – मानव जाति एक ही बंधन में बंध के ऊब जाता है – शायद – तभी तो ऐसे रिश्ते बनाए गए ! एक से एक बुढ्ढा ‘ससुराल’ पहुंचाते ही रंगीन हो जाता है 😉 
दामाद जी अटैची लेकर ससुराल पहुँच गए – पत्नी पहले से ही वहाँ हैं – कनखिया के एक नज़र पत्नी को देखा – भरपूर देखा – सरहज साली मिठाई लेकर पहुँच गयी ! पत्नी बड़े हक से ‘अटैची’ को लेकर कमरे में रख दी !   तब तक टेढा बोलने वाला – हम उम्र ‘साला’ पहुँच गया – पूछ बैठेगा – का मेहमान ..बस से आयें हैं  की कार से  ..ससुर सामने बैठे हैं ..आपको उनका लिहाज भी करना है ..लिहाज करते हुए जबाब देना है …दामाद बाबु कुछ जबाब देंगे ..जोर का ठहाका लगेगा …तब तक रूह आफजा वाला शरबत लेकर ‘सास’ पहुँच जायेंगी – बड़ी ममता से आपको देखेंगी …’सास – दामाद’ का रिश्ता भी अजीब है ..”घर और वर्” कभी मनलायक नहीं होता ..कैसा भी घर बनवा दीजिए ..कुछ कमी जरुर नज़र आयेगी ..बेटी के लिये कैसा भी वर् खोज लाईये ..कुछ कमी जरुर नज़र आयेगी ! 
होली कल है ! अब आप नहा धो कर ‘झक – झक उज्जर गंजी और उज्जर लूंगी’ में हैं – दक्षिण भारतीय सिनेमा के नायक की तरह ! छोटकी साली को बदमाशी सूझेगी – आपके सफ़ेद वस्त्रों को कैसे रंगीन किया जाए ..वो प्लान बना रही होगी …बहन का प्यार देखिये ..वो अपना सारा प्लान अपनी बड़ी बहन यानी आपकी  पत्नी को बता देगी ..और आपकी पत्नी इशारों में ही आपको आगे का प्लान बता देगी …बेतिया वाली नयकी सरहज भी उसके प्लान में शामिल हो जायेगी …[ आगे का कहानी सेंसर है ] 
आज होली है …बड़ी मुद्दत बाद आप देर रात सोये थे 😉 …सुबह देर से नींद खुली नहीं की ..सामने स्टील के प्लेट में पुआ – पकौड़ी तैयार है …जितना महीन ससुराल ..उतने तरह के व्यंजन …तिरहुत / मिथिला में तो पुरेगाओं से व्यंजन आता है ..’मेहमान’ आयें हैं ..साड़ी के अंचरा में छुपा के ..व्यंजन आते हैं ..अदभुत है ये सभ्यता ! 
अभी आप व्यंजन के स्वाद ले ही रहे हैं …तब तक आपका टीनएज साला …स्टील वाला जग से एक जग रंग  फेंकेगा …आप बस मुस्कुराइए ..उसको ससुर जी के तरफ से एक झिडक मिलेगी ..वो भाग जायेगा ..अब आप होली के मूड में हैं…तब तक आपका हमउम्र साला आपसे कारोबार का सवाल पूछने लगेगा …आप अंदर अंदर उसको मंद बुध्धी बोलेंगे – साले को यही मौक़ा मिला था ..ऐसा सवाल पूछने का ..बियाह के पहले काहे नहीं पता किया था ..! हंसी मजाक का दौर …खाते – पीते समय गुजरने लगेगा …तब तक ..सुबह से गायब एक और साला जो थोड़ा ढीठ और मुहफट है …आपको इशारा से एक कोना में बुलाएगा ..आप सफ़ेद लूंगी संभालते हुए उसके पास पहुंचेंगे …वो धीरे से पूछेगा …’मेहमान ..आपको ‘चलता’ है ? न् “…अब आपको यहाँ एकदम शरीफ जैसा व्यव्हार करना है …पत्नी ने जैसा कल रात समझाया था ..वैसा ही …आप उसको बोलेंगे …’क्या “चलता” है ? ‘ वो गुस्सा के बोलेगा – अरे मेरे गाँव के राम टहल बाबु का बेटा आर्मी में है …सबसे बढ़िया वाला लाया है ..कहियेगा तो इंतजाम हो जायेगा …आप चुप चाप उसको एक शब्द में कुछ ऐसा जबाब दीजिए जिससे वो समझ जाए ..आप आज नहीं ‘लेंगे’ !

अचनाक से आपको युद्ध वाला माहौल नज़र आएगा – चारों तरफ से – छोटका साला , साली , सरहज आप पर् रंगों का बौछार करेंगे ..यहाँ तक की घर में काम करने वाली ‘मेड’ भी ! आप अपने स्वभानुसार प्रतिक्रिया देंगे …अब देखिये ..अभी तक आपके ससुर जी जो आपके बगल में बैठे थे …वो धीरे से उठ कर अपने कमरे में चले गए ….आपने पत्नी की तरफ एक शरारत भरी नज़र से देखा और …..होली शुरू :)))

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रंजन ऋतुराज – इंदिरापुरम !

05.03.12

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