ब्लैकबेरी बेहतरीन स्टाइलिश फोन होता था ।
आज ब्लैकबेरी का कनेक्शन हटवा दिया ! अच्छा नहीं लगा ! मन बहुत उदास हो गया ! अगस्त 2012 के प्रथम सप्ताह में लिया था ! टचस्क्रीन वाला मोडल है ! एक झटके में ले लिया था ! हाथ में ब्लैकबेरी , बढ़िया लगता था ! पर ऐसा लग रहा है जैसे आपकी सबसे प्यारी चीज़ बेजान हो गयी हो ! अब वो सिंपल फ़ोन की तरह काम करेगा ! अब उसपर कोई इमेल नहीं आएगा ! अब उसपर कोई बीबीएम टेक्स्ट नहीं आयेगा ! धीरे धीरे किसी रोज़ किसी दराज़ घुस जायेगा !
लेदर होल्डर में रखता था ! कितने आराम से उसको लेदर होल्डर से निकलता था ! जब तक कॉलेज में पढ़ाया , किताबों और डस्टर के बीच यह फोन भी पोडियम पर आ बैठ जाता – हक़ से ! बहुत प्यार से और संभाल के रखता था ! आज भी बिलकुल नया जैसा है ! हर दो तीन दिन पर उसको पोंछना ! न जाने कितनी अनगिनत तस्वीरें खींचा ! हर वक़्त शर्त के ऊपर वाले पॉकेट पर , पार्कर के सबसे महंगे वाले कलम के साथ यह लड़ता रहता था ! सोते वक़्त तकिया के बगल में रखना ! मेमोरी कम थी , इसलिए कभी कोई फ़ालतू का एप्प नहीं रखा , तस्वीरों से मेमोरी भर गया तब तुरंत सारी तस्वीरें डिलीट कर देता था , ऐसा लगता था जैसे मेरे ब्लैकबेरी का दम घूंट रहा है , ऐसा कैसे हो सकता है की मेरी सबसे प्यारी चीज़ का दम घूंटे ! *Action starts here वाला ऐड ! जैसे कुछ भी नया इन्फोर्मेशन आया – वो पिली बत्ती का ‘भूक भूक ‘ कर के हमको बता देना ! बहुत कुछ मिस करूँगा ! फुर्सत में कभी कभी फेसबुक को भी देख लेना ! ईमेल के जबाब के अंत में सिग्नेचर के साथ – sent from Blackberry !
दो साल हो गए दिल्ली / एनसीआर छूटे पर इस ब्लैकबेरी का नंबर नहीं बदला ! पटना में लोग टोकते थे – क्यों नहीं कोई लोकल नंबर ले लेते हैं , मुस्कुरा देता था !
यादों के फव्वारे के बीच यह फोन अभी लैपटॉप के बगल में चुप चाप बैठा हुआ है , जैसे हर वक़्त बैठा होता था – टुकुर टुकुर देख रहा है ! शायद दराज़ में घुसाने वाली बात उसके दिल को ठेस पहुंचा दी होगी , ऐसा नहीं होगा – जबतक मेरे अन्दर दम है यह साथ रहेगा – अपने उसी नंबर वाले सिम के साथ ! इतना हक तो उसका भी बनता है – वादा निभाना भी तो मेरा फ़र्ज़ बनता है …! ~ RR / 27.05.2015
Rangoli
“सूरज भी कभी कभी ‘गुलाबी’ हो जाता है …धरती को कुहासे में ढका देख …शर्मा जाता है …” 👏🏻👏🏻