छाता 😊
~ अगर बचपन को याद करूं तो छाता जरूरत के साथ साथ सभ्यता का भी प्रतीक होता है । पहले बेंत वाले छाते आते थे 😊 गांव के बाजार पर एक छाता मरम्मत वाले बैठते थे । कुछ ग्रामीण छाता मरम्मत वाले के सड़क किनारे चुकुमुकू बैठ अपनी छाता मरम्मत करा रहे 😊
: गांव के बड़े गृहस्थ / जमींदार से लेकर खेतों में काम करने वाले मजदूर तक छाता अपनी हैसियत के हिसाब से रखते । बचपन में कलकत्ता से छाता आता था । शायद के सी पाल का । फिर नेपाल से चाइनीज छाता आने लगा । बटन वाला । इसका कपड़ा थोड़ा सिल्की । बाबा नेपाल से खरीद कर लाए तो बगल के गांव शेर के एक राय जी छाता लेकर जिद पर अड़ गए की आपके हाथी पर सवार छाता को लगाए अपने गांव जायेंगे 😀 बड़े धनिक लोग , संबंधी भी लेकिन गैर जमींदार तो मन में एक कसक , हाथी पर सवार होकर छाता लगाना है 😀 चलो भाई , छाता लेते जाओ । धन और मिजाज दोनो अलग अलग चीज है ।
~ बाबा को टॉर्च , घड़ी , कलम और छाता का बहुत शौक । बढ़िया छाता । लाल बत्ती एंबेसडर से आहिस्ते से उतरना । सफेद खादी कुर्ता , धोती , पॉकेट में कलम , एचएमटी का काजल घड़ी और एक अरदली छाता लिए पीछे से । क्या दृश्य रहता था । अब वो इस खानदान में कोई नहीं भोगेगा 😐 सब कहानी खत्म है । जय जय सियाराम 😐
~ हमारे दौर में ही लेडीज छाता आया । बड़का बैग में समा जाने वाला । मास्टरनी लोग रखता था । मोट मोट काजल वाली मैडम लोग । छाता लगाए और इस बरसात ठेहुन तक साड़ी उठाए 🙄
: मालूम नही कब हम पुरुष भी ये लेडीज छाता प्रयोग करने लगे 😐 छोटका लेडीज छाता अब लेडीज नही हो कर यूनिसेक्स हो गया । लइका , बूतरू, बूढ़ा , जवान सब लेडीज छाता प्रयोग करने लगा । जो छाता घर की मलकीनी प्रयोग कर रही , वही छाता किचेन हेल्पर भी 😐 छाता का इज्जत लोग खा गया 😐
~ छाता एक हथियार भी होता है । बड़का वाला । सरकारी स्कूल के मास्टर लोग बड़ी मार मारता था : दे छाता… दे छाता 😀 हम छाता से मार नही खाए हैं ।
~ हमको छाता का बहुत शौक । अभी एक बड़ा वाला खरीदे हैं । कार में रखा रहता है । व्हाइट हाउस में भी अमरीका प्रेसिडेंट के पीछे छाता लिए खड़ा । यहां वह छाता हैसियत और ताकत का प्रतीक बन जाता है 😊 मुझे अच्छा लगता है ।
: कुछ आप लोग भी लिखिए 😊 यहां नही लिख सकते तो दालान पर कमेंट कीजिए । दिन भर बॉस के आगे कांख में फाइल चांप खड़ा रहना अच्छा नही लगता 😐 थोड़ा हिसाब से : ऑफिस में छाता चोरी भी बहुत होता है 😀 बाहर से आए और कहीं लटका दिए , उधर से रंजन जी आए और आपका छाता लेकर चल दिए 😀 खोजते रहिए 🙄
~ रंजन जी ’छाता वाले’ , दालान