पिछले कुछ साल में – इंटरनेट के माध्यम से हज़ारों लोगों के बात चीत और उनके मनस्थिती को समझते हुए यही पाया हूँ की – देश या इस देश के इंसान अभी भी व्यक्तिवाद के पीछे पागल है ! मेरी यहाँ पर दूसरी राय है !
मैंने हमेशा संस्था को महत्वपूर्ण समझा है ! उस संस्था के शिखर पर बैठा इंसान का बहुत हद तक महत्व नहीं है क्योंकि जब वह संस्था मजबूत होगी – कोई भी आये या जाए – बहुत फर्क नहीं पड़ता है !
परिवार से लेकर विश्व तक – हर एक नेतृतव का यह धर्म है की वह संस्था को मजबूत बनाए ! अम्बेडकर नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा बनाई गयी संविधान ही है की – कभी एक अर्थशास्त्री भी देश का मुखिया बन जाता तो कभी एक घोर दक्षिणपंथी ! आप पुरे देश को गौर से देखियेगा तो – यह देश इतना मजबूत ही की नेतृतव परिवर्तन से बहुत हद तक बहुत फर्क नहीं पड़ता ! अगर आस पास के दुसरे देशों को देखें तो वहां नेतृतव परिवर्तन के साथ एक भूचाल आ जाता है ! कारण यह है की – संस्था मजबूत है !
कई बार एक मजबूत नेतृतव संस्था को मजबूत बनाने के बदले उसे कमज़ोर भी करने लगता है – कई राज्य जहाँ ऐसे मुख्यमंत्री बने वह इसके गवाह है ! पर संस्था इतनी मजबूत होती है की – एक हद के बाद वह खुद नेतृतव को बदल देती है !
हम आज है – कल नहीं ! देश कल भी था , देश आज भी है और देश कल भी रहेगा ! सवाल यही है – हमारा योगदान कितना है – हम इसे कितना मजबूत बना पाते है ! वही इतिहास होगा – वही भविष्य होगा !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं …!!!
जय हिन्द 🙏