छाया / साया / शैडो

Shadow

‘तू जहाँ जहाँ चलेगा …मेरा साया साथ होगा’ – राजा मेंहदी हसन अली खान की बेहतरीन पोएट्री ।
आख़िर ये साया / छाया / शैडो है क्या चीज़ । विज्ञान ने जो कुछ इसके बारे में समझाया – वह तो आँखों के सामने है , हर रोज दिखता है । लेकिन विज्ञान से आगे भी तो बहुत कुछ है – जहाँ हम इस शैडो को महसूस करते हैं । हर रोज़ महसूस करते हैं , कभी कभी तो किसी रोज़ हर पल महसूस करते हैं । रिश्तों में भी तो यादें शैडो की तरह होती है । जितना गहरा रिश्ता – उसकी शैडो उतनी ही बड़ी , जैसे उस शैडो में एक उम्र समा जाए !
पर कोई भी शैडो कितना सकून देगा , उसकी अहमियत क्या होगी , यह मौसम और वक़्त तय करेगा । गरमी के दिन में बरगद की छाया किसी अमृत से कम नहीं वहीं ठिठुरते जाड़े में बरगद के नीचे जान भी चली जाए । जिस गरमी धूप से बचने के लिए हम किसी शैडो की तलाश करते हैं वहीं जाड़े में हम शैडो को याद तक नहीं करते । ‘बस यहीं इंसान वक़्त और मौसम से हार जाता है’ !
इंसान इंसान के क़रीब आएगा – प्रकृति तो यही कहती है । एक दूसरे का शैडो एक दूसरे पर आएगा , पर ऐसा होता नहीं है । एक ऊँचा क़द वाला कड़ी धूप को झेल एक शैडो बनाएगा और दूसरा उस शैडो में सुस्ताएगा । लेकिन कब तक – एक बच्चा अपने माता पिता के शैडो में पलता बढ़ता है , उम्र के साथ वह अपनी ख़ुद की शैडो खोजता है । शायद आपका ख़ुद का शैडो होना आपके अस्तित्व की पहचान है – और इस जीवन की सारी लड़ाई तो इसी अस्तित्व की है – जहाँ एक शैडो बन रहा हो , आपका अपना – ख़ुद का ।
पर सबसे मुश्किल होता है – किसी अन्य के शैडो से बाहर निकलना । किसी के शैडो में रहो तो दम घुटता है – बाहर निकलो तो रिश्ता टूटता है ।
पर एक अजीब बात और है – शैडो तब नहीं बनता जब रौशनी बिलकुल सर पर हो या आसपास घुप्प अँधेरा हो । शैडो ख़ुद के क़द से बड़ा भी चढ़ती रौशनी / सूर्य में दिखता है या ढलते सूर्य / दूर जाती रौशनी में ।
और ख़ुद से बड़ा शैडो – एक भ्रम भी देता है , एक ख़ुशी के साथ ।
कुछ अजीब है – रौशनी और शैडो का रिश्ता । जहाँ रौशनी है वहीं एक शैडो है , या जहाँ एक शैडो हैं – वहीं आसपास एक रौशनी है …:))
कभी चाँदनी रात में ख़ुद का शैडो देखा है ? देखना …बड़ा सकून वाला होता है ….वो ख़ुद का एक शैडो …:))
~ रंजन / दालान
{ एक शाम अचानक एक काफी पुराने मित्र ने मुझसे इस विषय पर लिखने की सलाह दिए और शायद अगले आधे घंटे में , मैंने लिख दिया , शायद एक दो साल पहले 🙂 }