Daalaan Classics श्री बाबू जब हमारे गांव आए Oct 21, 2024 ranjan.daalaan@gmail.com 0 Comment श्री बाबू : जब हमारे गांव आए 🙏~ मेरे ग्रामीण राम किशुन बाबा अत्यंत मेधावी जिन के व्यक्तित्व थे । द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद वो आर्मी की नौकरी छोड़ बिहार सरकार में हुई बहाली में प्रथम आ गए । अत्यंत तेज थे । कालांतर 1957 में महेश बाबू मुजफ्फरपुर में अपना चुनाव हारने के बाद खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष बने । उसी वक्त हमारे ग्रामीण राम किशुन बाबा महेश बाबू के निजी सहायक मनोनित हुए ।~ महेश बाबू अत्यंत खानदानी और महीन गांव से आते थे । सो उनका रसोइया भी बेहतरीन । बतौर मुख्यमंत्री श्री बाबू अक्सर दोपहर का भोजन महेश बाबू के घर किया करते थे । बात 1958 /59 की रही होगी । राम किशुन बाबा की बहन का विवाह था । दोपहर भोजन के बाद राम किशुन बाबा ने श्री बाबू को अपने बहन के विवाह में आने का न्योता दे दिया । श्री बाबू मान भी गए ।~ छपरा तक वो सरकारी गाड़ी से आए । वहां से हमारी तत्कालीन छोटी लाइन रेल में एक ट्रेन में सैलून लगा । श्री बाबू हमारे रेलवे स्टेशन दिघवा दुबौली तक सैलून में आए । वहां से एंबेसडर पर सवार हमारे इलाके के सबसे प्रतिष्ठित रेवतिथ दरबार में उनका दोपहर का भोजन हुआ । फिर थोड़ी देर सुस्ताने के बाद, वो हमारे गांव के लिए प्रस्थान किए । गांव प्रवेश द्वार से लेकर हमारे तत्कालीन दालान तक श्री बाबू के स्वागत में लाल एकरंगा कपड़ा बिछा दिया गया 😊 शायद , उस वक्त इलाके में सबसे भव्य दालान हमारा ही था । वहीं वो रुके , न्योता पेहानी किए । और पुनः रेलवे स्टेशन दिघवा दुबौली अपने सैलून में विश्राम को निकल गए । काफी वृद्ध हो चुके थे ।~ तब हमारे विधायक होते थे शिव बचन तिवारी बाबा । वो अनुग्रह बाबू गुट के थे । वो अपने इलाके में अनुग्रह बाबू के नाम पर कोई स्कूल खोलवा दिए । मात्र 8 विद्यार्थी । श्री बाबू से जिद करने लगे की उस स्कूल को सरकारी कर दीजिए । श्री बाबू मुस्कुरा दिए और बोले बाबूसाहब के नाम पर स्कूल का निरीक्षण कर के हम उनकी आत्मा को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे सो सैलून में ही बैठ उस स्कूल को सरकारी बनाने का दर्जा दे दिए । इस घटना के पहले अनुग्रह बाबू दुनिया छोड़ चुके थे 🙏 जब अगली सुबह हुई तो वापस उसी सैलून से छपरा और उसके बाद पटना निकल गए ।~ हमारी याद तक हमारे गांव के स्कूल का नाम ‘श्रीकृष्ण रामरूची मध्य विद्यालय’ ही था । कालांतर कांग्रेसी सरकार ने वो नाम हटा दिया ।: रामकिशुन बाबा जिनकी बहन के विवाह में श्री बाबू आए , का पैतृक जिन ही बहुत मेधावी था । कुछ खास था जो आज तक है । उनके परिवार के जो लोग गांव छोड़ दिए , आज उचित अवसर मिलने पर विश्व विख्यात हैं । उनके भतीजे पुतुल चाचा तो आईएएस की नौकरी त्याग अडानी ग्रुप के नंबर 2 हैं । दो दो पोतियां आईआईएम से हैं । अभी उसी फुआ दादी का पोता 2023/24 आईएएस टॉपर लिस्ट में है .😊~ श्री बाबू की इज्जत देखनी हो तो बेगूसराय जाइए । इनकी दत्तक पुत्री श्रीमती कृष्णा शाही का सन 1991 का लोकसभा चुनाव देखिए , कैसे वहां के लोग श्री बाबू की इज्जत बचाने के लिए अपनी जान लगा दिए और सम्मलित बिहार में सिर्फ 1 सीट कांग्रेस को दिलवाए ।: इस तस्वीर में आपके मोरारजी भाई हैं । सन 1950 के दसक में मोरारजी भाई के समस्त भारत में ब्रह्मर्षि / अयाचक लॉबी के ही एक प्रमुख किरदार श्री बाबू होते थे । नेहरू के बाद कांग्रेस में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले मोरारजी भाई अपना वीटो लगाकर श्री बाबू के लोगों को विधानसभा का अधिकतम टिकट दिलवाते । उसी दौर में एक और गुजराती ब्रह्मर्षि / अयाचक विनोबा भावे जब भूदान आंदोलन चलाए तो समस्त बिहार में सबसे ज्यादा जमीन का दान इसी जाति ने किया ।~ श्री बाबू के वंशज स्वयं को हस्तिनापुर से आए मूलतः कान्यकुब्ज ब्राह्मण कहते हैं जो कालांतर बिहार आने पर बाभन / भूमिहार कहलाए । संभवतः उनके पूर्वज का सरनेम तिवारी होता था और श्री बाबू के एक भाई ने तो अभी तक का सबसे सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी का किताब भी लिखा है ।: श्री बाबू पढ़ते बहुत थे । इनकी पढ़ी हुई किताबों के संग्रह से ही मुंगेर शहर में एक बेहतरीन पुस्तकालय भी बन गया , जहां इनके द्वारा पढ़ी करीब 14 हजार किताबें हैं ।: इनके पैतृक गांव के बगल में मेरा ननिहाल “ तेउस “ है । आपको नमन है 🙏~ रंजन , दालान