यह गुलाब है । ऋतुराज वसंत के एक सुबह खिला हुआ गुलाब । गुलाब के साथ कोई विशेषण नहीं लगाते , गुलाब की तौहिनि होती है , बस इन्हें गुलाब कहते हैं । बड़ी मुश्किल से गुलाबी गुलाब दिखते है । इन्हें तोड़ना नहीं , मिट्टी से ख़ुशबू निकाल तुमतक पहुँचाते रहेंगे । गुलाब मख़मली होते हैं । गुलाब सिल्क़ी होते हैं । गुलाब ख़ुशबूदार होते हैं । बोला न …गुलाब के साथ कोई विशेषण नहीं लगाते …गुलाब बस गुलाब होते हैं …उनकी ख़ूबसूरती और सुगंध बस महसूस किए जाते हैं …:)) गुलाब तो बस माली का होता है …दूर से माली गुलाब को देखता है और गुलाब अपने माली को …वही माली जो चुपके से गुलाब के पेड़ के जड़ में खाद पानी दे जाता है – गुलाब खिलता रहे तो खर पतवार को हटा देता है …और खिला गुलाब मुस्कुराता रहता है …यह गुलाब है । ऋतुराज वसंत के एक सुबह खिला हुआ गुलाब …कहीं ऐसा गुलाब देखा है ? अगर ऐसा गुलाब नहीं दिखा तो ख़ुद को आइना में देख लेना …:)) तुम्हारी ख़ुशबू और तुम्हारे रंग वाला – गुलाबी गुलाब …:))
( राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्डन से हिंदुस्तान टाइम्स के लिए खिंचा हुआ – एक गुलाबी गुलाब )
~ फ़रवरी / 2016