श्री बाबू : बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री

#SriBabu
आज बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री एवम मुख्यमंत्री श्री बाबु की पुण्य तिथि है । मेरे ननिहाल क्षेत्र ‘बरबीघा’ / पुराना मुंगेर के रहने वाले थे । मेरे ननिहाल का नाम ‘तेउस’ है और उनके गाँव का नाम ‘माऊर’ है …:))
जब तक दिल्ली रहा – वहाँ के बिहारी समाज द्वारा जब जब उनके जन्मदिवस या पुण्यतिथि के अवसर पर कोई भी आयोजन हुआ – दल बल / घोड़ा गाड़ी / आफ़िला क़ाफ़िला / दोस्त महिम के साथ ज़रूर गया । कुछ एक बार आशन भाषण भी दिया ।
बेगूसराय निवासी एवम सिक्किम के पूर्व राज्यपाल बाल्मीकी बाबू का श्री बाबु पर भाषण सुनना बढ़िया लगता था । एक बार वो भी तारीफ़ कर दिए – बढ़िया बोलते हो – चार दिन हम नशा में रहे – मुझसा कोई नहीं टाइप ।
श्री बाबु मेरे गाँव भी आए थे – गोपालगंज । मुख्यमंत्री थे । महेश बाबू के पीए होते थे – राम किशून बाबा । श्री बाबु दोपहर का भोजन महेश बाबु के आवास पर करते थे – महेश बाबु का रसोईया बेहतरीन था – ख़ानदानी थे महेश बाबु । एक दोपहर खाने के बाद – श्री बाबु अँचा रहे थे – राम किशून बाबा बोले – मेरी बहन की शादी है आपको मेरे गाँव आना होगा । श्री बाबु तैयार हो गए । छपरा से रेल का सैलून लगा । मेरे गाँव के बग़ल वाले स्टेशन पर रुका । सफ़ेद ऐंबेस्सडर लगा । गाँव के सबसे बड़े परिवार – रेवतिथ दरबार में दोपहर का भोजन हुआ । फिर वहाँ से मेरे दालान तक – सड़क पर एकरंगा बिछा दिया गया । भारी भरकम श्री बाबु और पीछे पीछे पुरा गाँव । न्योता पेहानी किए । रात हो गयी तो वापस अपने सैलून में विश्राम को चले गए । उनके परम मित्र अनुग्रह बाबू की मृत्यु हो चुकी थी – सो उसी सैलून में बैठे बैठे अनुग्रह बाबु के नाम पर एक स्कूल का अनुमोदन किए । किसी ने कहा – बिना स्कूल देखे – कैसे अनुमोदन – श्री बाबु बोले – बाबूसाहेब का नाम ही काफ़ी है ।
श्री बाबु अनुग्रह बाबु को बाबूसाहेब कहते थे और अनुग्रह बाबु श्री बाबु को मालिक कहते थे । आज यह दोनो पुकारू नाम – जातिविशेष से जोड़ दिए गए …:))
श्री बाबु बहुत बड़े विजनरी थे । देवघर के मंदिर में दलित समाज को इंट्री नहीं देते थे । १९५७ में समाज की गंदी सोच को तोड़ते हुए अपनी हुकूमत के बल पर दलित समाज के लोगों के साथ मंदिर में प्रवेश किए । समाज और सरकार हिल गयी – और राजनीति इस क़दर पलटी की – श्री बाबु के मृत्यु के बाद देवघर के एक पुजारी को ही कोंग़्रेस ने मुख्यमंत्री बना दिया :))
~ रंजन / दालान / 31 जनवरी