वसंत और खेत

हर किसी ने आज वसंत पंचमी को अपने अपने रंग में मनाया तो धरा ने भी प्रकृति के साथ मिल , आज खुद को कुछ यूं रंग लिया … :)) ~ यह खूबसूरत तस्वीर पटना से पूरब ‘ लखीसराय ‘ जिले की है । पटना से पूरब ज़मीन थोड़ी नीची होते चली जाती है जिसके कारण गंगा या अन्य छोटी नदियों से उर्वरक मिट्टी आती भी है और काफी दिनों तक जल जमाव भी रहता है । इस इलाके में विश्व प्रसिद्ध ‘ मोकमा टाल ‘ / बड़हिया टाल इत्यादि क्षेत्र है , जहां लाखों हेक्टेयर में कोई गांव नहीं है और सिर्फ ‘ तेलहन और दलहन ‘ की खेती होती है । मोकामा टाल कृषि क्षेत्र को ‘ दाल का कटोरा ‘ कहा जाता है । थोड़ा और आगे लखीसराय / बड़हिया बढ़ेंगे तो इस मौसम हर खेत तेलहन की खेती मिलेगी । अगर आप इस मौसम छोटे हेलीकॉप्टर से इस इलाके का दौरा करेंगे तो पाएंगे कि धरती पर बेहतरीन नक्काशी की गई है :)) अपनी कार की खिड़की हल्की नीचे कर दीजिए , और बगल के खेत से सरसों को छू कर जो पवन आप तक आएगी , उसकी खुशबू बेतरीब आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी :)) ~ रंजन / दालान / वसंत पंचमी – 2020

वसंत पंचमी और सरस्वती

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं …!!!

शिशिर का भाई हेमंत अभी भी उत्तर भारत में अपने पैरों को जमाए खड़ा है और ऋतुराज वसंत भी चौखट पर है । कहने का मतलब की ठंड है ।
यह तस्वीर 1650 की मेवाड़ स्टाइल पेंटिंग है । मैंने इधर करीब 5 सालों में लाखों अलग अलग तरह की देवी और देवताओं की पेंटिंग देखी है । मेरे पिछले ही मोबाईल में करीब 16000 तस्वीरें थी । सरस्वती क्रिएटिविटी की देवी हैं और मैंने देखा कि हर एक क्रियेटिव इंसान अपने क्रिएटिविटी में काल और स्थान / जियोग्राफिकल लोकेशन को ही दर्शाया है । उसकी कल्पना वहीं सिमट कर रहती हैं । अगर देवी / देवताओं की पेंटिंग करनी है तो वह कहीं न कहीं अपने मन को रंगों में उतार देता है । तिब्बत की देवी और दक्षिण की देवी की आकृति में अंतर है । अधिकांश देवताओं के चेहरे को कोमल बनाया गया क्योंकि यह मान कर चला जाता है कि जो सच में शक्तिशाली है उसके अंदर क्षमा की शक्ति आएगी ही आएगी और क्षमा आपके अंदर की कोमलता को बढ़ाएगी । हालांकि आजकल के शिव जिम से लौटते ज्यादा नजर आते हैं , शक्ति के लिए बेचैन कम । हा हा हा । खैर , फिर से एक बार लिख रहा हूं – शक्ति के हजारों रूप और उन रूपों तक पहुंचने का दो ही आधार – या तो ईश्वरीय देन या फिर साधना । अब मेरा यह पुरजोर मानना है कि साधना से प्राप्त शक्ति कि आयु कम होती है और ईश्वरीय देन अंतिम दिन तक रहता है और आकर्षण हमेशा ईश्वरीय देन वाली शक्ति ही पैदा करती है । लेकिन शक्ति का असल आनंद आकर्षण पैदा करने में नहीं है , खुद से उसके आनंद पाने में हैं । लेकिन इंसान का व्यक्तित्व ही इतना छोटा होता है कि वह आनंद छोड़ बाज़ार में आकर्षण पैदा करने निकल पड़ता है । अब यह सही है या गलत – बहस का मुद्दा है ।
लेकिन , मैंने सरस्वती को खुद को छूते हुए महसूस किया है , कब , कैसे और क्यों – पता नहीं । और शक्ति के किसी भी रूप का खुद को छूते हुए महसूस करना ही असल आनंद है या कभी कभी पीड़ा भी :)) हा हा हा ।
फिर से एक बार – वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं …!!! ऋतुराज वसंत का आनंद लीजिए …
धन्यवाद ..!!!
~ रंजन / दालान / वसंत पंचमी – 2020