एक बहुत ही अमीर परिवार होता था । बहुत बड़ा महल था । लेकिन एक दिक्कत थी , महल के ठीक बगल वाले ज़मीन में एक गरीब परिवार हंसी खुशी रहता था । वो गरीब परिवार दिन भर की मेहनत मजदूरी कर के एक रुपया कमाता था और शाम तक उस परिवार का वो एक रुपैया खा पी के खत्म हो जाता था । फिर वो गरीब परिवार आधी रात तक ढोल बजाता , नृत्य करता और आसमां के खुले आंगन में सो जाता था । एक खास बात थी , वह गरीब परिवार पूरे दिन में एक ही रुपैया कमाता था ।
महल वाला अमीर परिवार जब सोने जाता , उनके कानों में पड़ोस वाले गरीब परिवार के ढोल – बताशा की आवाज़ आती , जिससे अमीर परिवार के नींद में खलल पड़ती । एक दो दफा अमीर परिवार के मुखिया ने उस गरीब परिवार के आदमी को बुला कर डांटा फटकारा भी लेकिन कोई असर नही हुआ , गरीब परिवार दिन भर में एक रुपया कमाता और आधी रात तक ढोल बताशा और नृत्य करता ।
एक दिन अमीर परिवार के मुखिया को एक आईडिया आया और उन्होंने गरीब परिवार के आदमी को बुलाया । और बोला – तुम लोग हर रात बहुत बढ़िया ढोल बताशा बजाते हो , हम सभी बहुत खुश हैं और ईनाम में 99 रुपैया दे रहे हैं । गरीब परिवार का आदमी बहुत खुश हुआ और 99 रुपये लेकर अपनी झोपड़ी में लौटा, परिवार वाले बहुत ही खुश हुए , वो बेचारे तो महज एक रुपैया ही कमाते थे , कभी एक साथ 99 रुपये नही देखे थे । अचानक उस गरीब परिवार का एक काबिल लड़का बोला , काश ये 99 रुपये , 100 के नम्बरी नोट में बदल जाते । उस गरीब आदमी को बात पसंद आई । लेकिन दिक्कत थी – पूरा परिवार मिल के पूरे दिन में एक रुपया ही कमाता , कभी किसी दिन एक पैसा भी नही बचता था । अब 99 सिक्के रुपैया को 100 के नोट में कैसे बदला जाए ।
एक दो दिन बाद पूरा गरीब परिवार इस चिंता से ग्रस्त रहने लगा कि कैसे 99 सिक्के को 100 के नम्बरी नोट में बदला जाए ।
ढोल बताशा , नृत्य सब बंद हो गया ! अब इस गरीब परिवार को 99 का चक्कर लग गया ।
अमीर परिवार को देर रात पड़ोस से ढोल बताशा की आवाज़ आनी बंद हो गयी , और वो चैन से सोने लगे 😉
~ बचपन मे सुनी हुई एक कहानी , 15.09.2017