छाता …

छाता …

आइये मेरे पटना में – बारिशों का मौसम है ..:)) जबरदस्त बारिश हो रही है – मेरे पटना में …
छाता ….पहले लकड़ी वाला छाता होता था …जैसा छाता वैसा उस इंसान का हैसियत …कलकत्ता से छाता आता था …एक फेमस ब्रांड होता था …नाम भूल रहा हूँ …स्प्रिंग एकदम हार्ड …सब अजिन कजिन उस छाता को खोलने का प्रयास …किसी का उंगली ‘चिपा’ गया …बाकी सब फरार ..:)) फिर आया ..स्टील वाला छाता …नेपाल से …बटन वाला ….कोई गेस्ट अगर वैसा छाता के साथ आ गया …इतना न उसका बटन ‘पुट-पुटाते’ थे …जैसे ही बटन दबाते वो छाता खुलता …चेहरे पर एक विजयी मुस्कान …:)) फिर उसको बंद करो …फिर बटन दबाओ …फिर उस छाते को गीली जमीन में उल्टा कर के धंसा देना …लगता था ..जैसे वहां कोई किला फतह कर लिए ..:)) फिर आया ‘लेडिज छाता’ फोल्ड वाला …लाल – नीला – अलग अलग रंग वाला ….घर में छाता नहीं मिल रहा …कोई हाथ में ‘लेडिज छाता’ थमा दिया …बहुत बेइज्जती जैसा लगता था ….हूँ…रोड पर लेडिज छाता लेकर जायेंगे …हुंह …कोई देखेगा तो क्या बोलेगा …हा हा हा हा …अब वो फोल्ड हो जाने वाला छाता काला मिलने लगा …यूनिसेक्स हो गया …एक ही छाता सब लोग यूज करने लगे …
सीढीघर में …रेलिंग के सहारे खडा वो छाता …बूँद – बूँद टपक रहा ..वो छाता …कोई आया है …मेरे गाँव से … :))

14.08.14

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