आईक्यू के एक ख़ास बैंडविथ में – करोड़ों लोग होते हैं पर सामाजिक पटल पर उनके जीवन में बहुत अंतर होता है – उसकी एक ख़ास वजह होती है – ‘निर्णय’ ! जीवन एक सफ़र है और यह एक ऐसा सफ़र होता है – जिसमे ‘मंजिल’ नाम की कोई चीज़ नहीं होती – जहाँ तक जैसे पहुंचे – वही आपकी मंजिल हो जाती है ! पर हर चार कदम पर एक चौराहा होता है और उस चौराहे से किधर मुड़ना है – वहीँ आपका ‘निर्णय’ निर्धारीत करता है आप किधर की ओर रुख कर रहे हैं ! कई बार एक छोटी सी निर्णय आपके पुरे ज़िंदगी को बदल देती है – ये निर्णय सिर्फ इंसान को ही नहीं बड़े से बड़े संगठन से लेकर समूह तक को प्रभावित करती है !
एक उदहारण देता हूँ – अज़ीम प्रेम जी खाने वाले तेल के व्यापार से थे – एक निर्णय लिया – मुझे आईटी में जाना है – विप्रो को दुनिया जान गयी – अम्बानी ने लेट कर दिया – एअरटेल कहाँ से कहाँ पहुँच गयी ! इंसान वही है – उसकी आतंरिक मेरिट भी वही है – उसकी क्षमता भी वही है – बस एक निर्णय उसे आसमां तक पहुंचा सकता है – अगर बात सामाजिक पटल की हो तो !
कई बार निर्णय लेते वक़्त ‘स्टेकहोल्डर’ का भी ध्यान रखना होता है – इंसान कभी अकेला नहीं होता – यह एक भ्रम है की वो अकेला है और उसकी ज़िंदगी सिर्फ उसी की है – कई और लोग उसकी ज़िंदगी से जुड़े होते हैं – जितना बड़ा व्यक्तित्व उतने ज्यादा स्टेकहोल्डर – कई निर्णय में सबका ध्यान रखना होता है – कई बार बिना कुछ सोचे समझे निर्णय ले लिया जाता है – जो होगा देखा जायेगा – इसके लिए अन्दर से बहुत हिम्मत चाहिए होता है – ऐसे ही निर्णय में – हमें कई बार किसी ख़ास की जरुरत होती है – जो हमें बस यह दिलासा दे सके – जाओ आगे बढ़ो – तुम्हारा निर्णय सही है !
कई बार हमें अपने निर्णय के सकरात्मक और नकरात्मक दोनों के अंत तक सोच कर रखना चाहिए – सिर्फ एक पक्ष सोच लेने से – बाद में दिक्कत हो सकती है ! निर्णय और उसके फल में सिर्फ आप नहीं शामिल होते हैं – उसमे कई और लोग भी शामिल होते हैं – वो आपको मदद भी पहुंचा सकते हैं या फिर आपको कमज़ोर भी कर सकते है !
पर किसी भी हाल में …निर्णय लेते रहिये …ज़िंदगी आगे बढ़ते रहने का ही नाम है …:))
~ दालान / 10 Sep – 2014
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