मिर्च ही मिर्च …

मिर्च ही मिर्च …

तीखी मिर्ज …

मिर्च की इतनी वैराईटी देख मन खुश हो गया । मां की याद आई । उनके खाने में आग में सेका हुआ मिर्च अवश्य होता था । फिर अपना बचपन याद आया – रगड़ा चटनी । लहसुन और हरा मिर्च का चटनी । आह । दिन में चावल दाल के साथ रगड़ा चटनी ।
मेरे ससुराल में मिर्च की जबरदस्त खेती होती है। अजीब किसान है – मंगरैला , सौंफ , मिर्च यही सब की खेती । लेकिन उनके हाता में सूखते लाल मिर्च अच्छे लगते थे। मेरे अनुज है – बॉबी बाबू , सिविल सर्वेंट है । आ गए नोएडा – बोले – भाई जी , आज मटन हम बनाएंगे । हरा मिर्च और लहसुन का जबरदस्त पेस्ट बनाए और मटन बनाते बनाते गरम मसाला डालना भूल गए । हा हा हा ।
मिर्च के बारे में कहा जाता है – जो जितनी छोटी , वो उतनी ही तीखी । अब लोग अपने गमले में मिर्च लगाने लगे हैं । हम कभी बाज़ार गए तो सब्जी विक्रेता से पूछते है – यह मिर्च कितनी तीखी है । उसने कहा – बहुत तीखा । हम बोलते है – रहने दो । हा हा हा । अब बताइए – मिर्च की विशेषता तो इसी में है न …वो कितनी तीखी है ।
हम मिर्च का आँचार बढ़िया बना लेते है। एक हॉर्लिक्स का खाली बोतल / डब्बा लीजिए । उसको दे सर्फ ..दे सर्फ बढ़िया से साफ कीजिए । फिर हरे मिर्च का पेट हल्का काट के उसको उस डब्बे में डालिए । दो चार नींबू को काट कर उसमे डालिए । फिर थोड़ा अदरक । धूप में पांच छह दिन सूखा दीजिए । मस्त सेक्सी हरे मिर्च का अंचार तैयार । दाल भात पर मस्त खाइए ।
कभी कभी सोचते हैं – नौकरी चाकरी नहीं रहेगा तो मिर्च का अचार बना के बेचेंगे । घर घर – दिन में ।
हा हा हा … अब किसान परिवार से आते हैं तो यहीं सब न फोटो डालेंगे ।
खैर , आज भी प्रतिदिन मेरे मुख्य भोजन में एक हरा मिर्च अवश्य होता है ।
~ रंजन / दालान / 04.11.2019

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