जाड़ा आ ही गया ! मेरे बिहार में जाड़ा के आते आते ही आपको गली – गली में हर चार कदम पर ‘अंडा’ का दूकान मिल जाएगा । – चार वर्ष का बच्चा से लेकर सत्तर साल के बुढा तक दुकानदार मिल जाएगा – इसी उम्र का खाने वाला भी ! एक ठेला पर सजा हुआ ‘अंडा’ – बगल में एक किरासिन स्टोव पर अलुमिनियम तसला में उबलता हुआ – ‘अंडा’ ! झप्पू भईया का हीरो हौंडा रुका – बाईक पर बैठल बैठल चार ठो ‘उबला हुआ’ अंडा का ऑर्डर ! अभी वो ‘अंडा’ छील ही रहा है – तब तक झ्प्पू भईया बोले – दू ठो ‘पोंच’ बनाओ ! अंडा वाला स्टोव में – दे पम्प – दे पम्प ! झ्प्पू भईया भी एक दम स्टोव की तरह ‘हाई कान्फिडेंस’ में ! अभी झ्प्पू भईया एक उबला हुआ अंडा खाए ही की उधर से ‘चिम्पू’ भी टहलता हुआ – दू ठो ‘पोंच’ उसके लिए भी ऑर्डर हुआ – अब वो झ्प्पू भईया के पैसा से ‘पोंच’ खा रहा था – मन ही मन खुश – कैसा जतरा है – मुफ्त में दू ठो ‘पोंच’ मिल गया ! अब उसका धर्म बनता है – झ्प्पू भईया का बड़ाई – अब चिम्पू पोंच का पैसा पैसा ..बड़ाई कर के चुकता करेगा – भईया ..आपका हीरो होंडा गजब …भईया आपका चप्पल गजब …भईया ..आपका घड़ी गजब ! झ्प्पू भईया भी समझ गए …चलते चलते …एक – एक और ‘पोंच’ का ऑर्डर हुआ !
मेरे बिहार में ‘पोंच’ का फैशन है – जिसको बाकी के भारत में ‘हाफ फ्राई’ कहते हैं ! ‘पोंच’ को एक मध्यम आकार के ‘कलछुल’ में घी या करुआ तेल में बनाया जाता है ! कई भाई बंधू जो एक बार में छः ‘पोंच’ खड़े खड़े डकार लें – उन्हें उनके मित्र मंडली में ‘पोंचवा’ की उपाधी दी जाती है ।
~ दालान / १२.११.२०१३
BHARAT ANAND
🙏आप अच्छा लिखते हैं। बिहारी बाबू